ग्रामीणों का तहसीलदार पर हमला
नागौर। खेण की खिन्दलाई नाडी के जलग्रहण क्षेत्र में से 132 बीघा जमीन का आबंटन रद्द कराने की मांग को लेकर कलक्ट्रेट के सामने बैठे अनशनकारियों को जबरन हटाने के विरोध में शुक्रवार को ग्रामीणों ने यहां कलक्ट्रेट के सामने जमकर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने तहसीलदार पर कुर्सी फेंकी और उनसे हाथापाई कर डाली।
बाद में ग्रामीणों के दबाव के आगे प्रशासन को तीनों अनशनकारियों को पुन: धरना स्थल पर ले जाया गया, तब जाकर ग्रामीण शांत हुए। इससे पहले ग्रामीण रैली के रूप में धरना स्थल से अस्पताल पहुंचे। ग्रामीणों के साथ महिलाएं भी काफी संख्या में थी और ग्रामीण पशुओं को भी धरना स्थल पर ले आए। इधर जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार, मेड़ता उप पुलिस अधीक्षक पुनाराम डूडी, नागौर थानाधिकारी नगाराम चौधरी, श्रीबालाजी थानाधिकारी मनोज माचरा, त्रिलोक सिंह, रणजीतसिंह, मूण्डवा थानाधिकारी अनिल बिश्नोई मौके पर मौजूद रहे।
तहसीलदार पर किया हमला
अस्पताल में रैली के रूप में पहुंचे ग्रामीणों में से कुछ नागौर तहसीलदार रामजस बिश्नोई के पीछे दौड़े। इस दौरान नागौर थानाधिकारी नगाराम चौधरी, मूण्डवा थानाधिकारी अनिल बिश्नोई व अन्य पुलिस कर्मियों ने बीच-बचाव कर तहसीलदार बिश्नोई को अस्पताल परिसर के बरामदे में भेज दिया। पीछे से एक ग्रामीण ने तहसीलदार पर कुर्सी फेंकी। हालंाकि उन्हें कुर्सी की लगी नहीं। इस दौरान एक ग्रामीण ने तहसीलदार की बांह पकड़ ली।
पहनाई मालाएं किया स्वागत
अनशनकारियों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के साथ ही बाहर इंतजार कर रहे ग्रामीणों ने खुशी से जयकारे लगाए। तीनों अनशनकारियों को मालाएं पहनाई गई तथा कंधों पर बैठाकर धरना स्थल पर लाया गया।
तो हो जाता हंगामा
ग्रामीणों के पहुंचने और चेतावनियां देने के लहजे से स्पष्ट हो गया कि मामला कभी भी बिगड़ सकता है। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को शांत करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। अस्पताल पहुंचने तक मामला गरमा गया। गनीमत यह रही कि पुलिस अधिकारियों ने पूरा संयम रखा।
भेड़-बकरियां तक ले आए
ग्रामीणों ने अम्बुजा सीमेन्ट कंपनी को गोचर जमीन का आवंटन करने के विरोध में मवेशियों, गायों का हवाला दिया कि हमारे पशुओं का क्या होगा? विरोध की बानगी देखिए कि एक पिकअप में भेड-बकरियां भर लाए और रास्ता रोकने के लिए उन्होंने भेड़-बकरियों को भी सड़कों पर उतार दिया।
ट्रोलियों में भरकर आए ग्रामीण
जिला प्रशासन की ओर से अनशनकारियों को जबरन अस्पताल भेजने की कार्रवाई गुरूवार रात की गई। कार्रवाई की जानकारी मिलने के साथ ही शुक्रवार सुबह गांव से टे्रक्टर ट्रोलियों, जीपों व अन्य वाहनों से ग्रामीण धरना स्थल पर पहुंच गए। धरने पर पहुंचकर ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी और कहा कि जबरदस्ती अनशनकारियों का अनशन तोड़ने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम धरने पर पुन: बैठने से पूर्व अस्पताल में जबरदस्ती भर्ती किए तीनों साथियों को यहां लाएंगे। इतना कहकर एकत्रित ग्रामीण रैली के रूप में रवाना हो गए। अस्पताल पहुंचकर उन्होंने तीनों साथियों को बाहर बुलाने के लिए नारेबाजी की।
नागौर। खेण की खिन्दलाई नाडी के जलग्रहण क्षेत्र में से 132 बीघा जमीन का आबंटन रद्द कराने की मांग को लेकर कलक्ट्रेट के सामने बैठे अनशनकारियों को जबरन हटाने के विरोध में शुक्रवार को ग्रामीणों ने यहां कलक्ट्रेट के सामने जमकर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने तहसीलदार पर कुर्सी फेंकी और उनसे हाथापाई कर डाली।
बाद में ग्रामीणों के दबाव के आगे प्रशासन को तीनों अनशनकारियों को पुन: धरना स्थल पर ले जाया गया, तब जाकर ग्रामीण शांत हुए। इससे पहले ग्रामीण रैली के रूप में धरना स्थल से अस्पताल पहुंचे। ग्रामीणों के साथ महिलाएं भी काफी संख्या में थी और ग्रामीण पशुओं को भी धरना स्थल पर ले आए। इधर जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार, मेड़ता उप पुलिस अधीक्षक पुनाराम डूडी, नागौर थानाधिकारी नगाराम चौधरी, श्रीबालाजी थानाधिकारी मनोज माचरा, त्रिलोक सिंह, रणजीतसिंह, मूण्डवा थानाधिकारी अनिल बिश्नोई मौके पर मौजूद रहे।
तहसीलदार पर किया हमला
अस्पताल में रैली के रूप में पहुंचे ग्रामीणों में से कुछ नागौर तहसीलदार रामजस बिश्नोई के पीछे दौड़े। इस दौरान नागौर थानाधिकारी नगाराम चौधरी, मूण्डवा थानाधिकारी अनिल बिश्नोई व अन्य पुलिस कर्मियों ने बीच-बचाव कर तहसीलदार बिश्नोई को अस्पताल परिसर के बरामदे में भेज दिया। पीछे से एक ग्रामीण ने तहसीलदार पर कुर्सी फेंकी। हालंाकि उन्हें कुर्सी की लगी नहीं। इस दौरान एक ग्रामीण ने तहसीलदार की बांह पकड़ ली।
पहनाई मालाएं किया स्वागत
अनशनकारियों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के साथ ही बाहर इंतजार कर रहे ग्रामीणों ने खुशी से जयकारे लगाए। तीनों अनशनकारियों को मालाएं पहनाई गई तथा कंधों पर बैठाकर धरना स्थल पर लाया गया।
तो हो जाता हंगामा
ग्रामीणों के पहुंचने और चेतावनियां देने के लहजे से स्पष्ट हो गया कि मामला कभी भी बिगड़ सकता है। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को शांत करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। अस्पताल पहुंचने तक मामला गरमा गया। गनीमत यह रही कि पुलिस अधिकारियों ने पूरा संयम रखा।
भेड़-बकरियां तक ले आए
ग्रामीणों ने अम्बुजा सीमेन्ट कंपनी को गोचर जमीन का आवंटन करने के विरोध में मवेशियों, गायों का हवाला दिया कि हमारे पशुओं का क्या होगा? विरोध की बानगी देखिए कि एक पिकअप में भेड-बकरियां भर लाए और रास्ता रोकने के लिए उन्होंने भेड़-बकरियों को भी सड़कों पर उतार दिया।
ट्रोलियों में भरकर आए ग्रामीण
जिला प्रशासन की ओर से अनशनकारियों को जबरन अस्पताल भेजने की कार्रवाई गुरूवार रात की गई। कार्रवाई की जानकारी मिलने के साथ ही शुक्रवार सुबह गांव से टे्रक्टर ट्रोलियों, जीपों व अन्य वाहनों से ग्रामीण धरना स्थल पर पहुंच गए। धरने पर पहुंचकर ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी और कहा कि जबरदस्ती अनशनकारियों का अनशन तोड़ने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम धरने पर पुन: बैठने से पूर्व अस्पताल में जबरदस्ती भर्ती किए तीनों साथियों को यहां लाएंगे। इतना कहकर एकत्रित ग्रामीण रैली के रूप में रवाना हो गए। अस्पताल पहुंचकर उन्होंने तीनों साथियों को बाहर बुलाने के लिए नारेबाजी की।
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