शनिवार, 15 दिसंबर 2012

हर किसी के साथ सोने को तैयार इस लड़की ने मुट्ठी में कर ली मुंबई!

हर किसी के साथ सोने को तैयार इस लड़की ने मुट्ठी में कर ली मुंबई!हर किसी के साथ सोने को तैयार इस लड़की ने मुट्ठी में कर ली मुंबई!


मुंबई। बेहद कमनीय और आकर्षक काया, छरहरा बदन और किसी के भी साथ हमबिस्तर होने को तैयार अर्चना का चेहरा मनीषा कोइराला से मिलता-जुलता था।

अर्चना बालमुकुन्द शर्मा उर्फ़ मनीषा मध्यम-वर्गीय परिवार की एक प्रतिभाशाली और खूबसूरत लड़की थी। फिरौती, हत्या और अपहरण जैसे अपराधों को अंजाम देने में उसका कोई सानी न था।

मध्य-प्रदेश के उज्जैन जैसे छोटे से शहर से निकल कर इस लड़की ने अपने आकर्षक शरीर के बल पर पहले राजनीतिक हस्तियों से अंतरंग संबंध बनाए और फिर जा पहुंची अंडरवर्ल्ड की जन्मस्थली 'मुंबई'.

यहां उसने कुख्यात माफिया सरगना ओम प्रकाश उर्फ़ बबलू श्रीवास्तव को अपने हुस्न के जाल में फंसाया और जुर्म के दुनिया की पटरानी बन गई। मनीषा के हुस्न की दीवानगी में नेपाल के एक मंत्री भी फंसे और अपनी जान तक गंवा बैठे।



कौन हैं हुसैन जैदी :

पेशे से जर्नलिस्ट एस हुसैन जैदी ने क्राइम बीट पर लंबे अरसे तक काम किया। अपने अनुभव को उन्होंने एक किताब की शक्ल में 'Black Friday - The True Story of the Bombay Bomb Blasts' में पहली बार पेश किया। 1993 के मुंबई बम धमाकों पर लिखी गई यह किताब बेस्ट सेलर रही।

फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने इसी नाम से एक प्रसिद्ध फिल्म भी बनाई थी। इस फिल्म ने लॉस एंजिल्स में हुए इंडियन फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड ज्यूरी अवार्ड जीता। इसके बाद उन्होंने 'डोंगरी से दुबई' नाम की दूसरी किताब लिखी।

फिलहाल उनकी किताब 'Mafia Queens Of Mumbai: Stories Of Women From The Ganglands' की काफी चर्चा है। उनकी तीनों ही किताबें मुंबई अंडरवर्ल्ड पर आधरित है, लेकिन 'माफिया क्वींस ऑफ़ मुंबई' संभवतः पहली ऐसी किताब है जिसे मुंबई की उन महिलाओं को ध्यान में रखकर लिखा गया है जिन्होंने जुर्म की काली दुनिया में एक मुकम्मल मकाम हासिल किया।

जैदी ने अपने कैरियर की शुरुआत 'द एशियन एज' से की थी। मुंबई अंडरवर्ल्ड पर किये गए उनके गहन शोध का उपयोग अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अनेक लेखकों ने अपनी किताबों में भी किया है।

ये कोई कहानी नहीं बल्कि, जुर्म की दुनिया का ऐसा सच है जिसे पहली बार एक किताब में संजोने का काम एस. हुसैन जैदी ने किया है। जैदी पेशे से पत्रकार हैं। मुंबई में क्राइम रिपोर्टिंग करते हुए वैसे तो न जाने कितने खूंखार माफियाओं से इनका वास्ता पड़ा।लेकिन 15 साल से भी ज्यादा वक्त गुजारने के बाद एक दिन अचानक उन्हें कुछ ऐसा मालूम पड़ा जिसने जरायम पेशे से जुड़े उनके सारे अनुभव को सिरे से झकझोर डाला।जैदी, मुंबई के पहले अघोषित अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान की बरसी के मौके पर उसकी कब्र पर चादर चढ़ाने के बहाने बड़ा कब्रिस्तान (मरीन लाइन्स स्टेशन के पास) में पहली बार घुसते हैं। यहां उनकी मुलाक़ात एक अजीबो-गरीब शख्स से होती है। कब्रिस्तान में मिला वह शख्स जैदी के सामने अंडरवर्ल्ड की दुनिया से जुडी एक ऐसी महिला की सच्चाई सामने लाता है जिसकी मदद पर दाउद इब्राहिम, करीम लाला और हाजी मस्तान जैसे सरगनाओं की हस्ती टिकी थी।

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