शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

राष्ट्रपति के रेफरेंस से मरू भूमि के किसानों को पर्याप्त पानी




नर्मदा सिंचाई परियोजना के लिये बकाया 522 करोड़ रू. की सहायता राशि शीघ्र जारी की जाए
राजस्थान के जल संसाधन मंत्राी श्री हेमाराम चौधरी ने केंद्र सरकार से राजस्थान की नर्मदा सिंचाई परियोजना की 522 करोड़ रू. की बकाया सहायता राशि और 13वें वित्त आयोग की 225 करोड़ रू. की राशि शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया है। श्री चौधरी शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्राी डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित छठवीं राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद की बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए बोल रहे थे। बैठक में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्राी श्री हरीश रावत एवं राजस्थान के प्रमुख जल संसाधन सचिव श्री ओ.पी. सैनी सहित अन्य अधिकारीगण भी मौजूद थे। श्री चौधरी ने बताया कि प्रदेश के जालौर-बाड़मेर जिलों में नर्मदा सिंचाई परियोजना से 2.46 लाख हैक्टेयर कमाण्ड क्षेत्रा में दाबीय पद्धति (फव्वारा एवं बूंद-बूंद) से सिंचाई की जा रही है। देश में दाबीय पद्धति से सिंचाई करने की यह पहली परियोजना है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य के मरू विकास परियोजना (डी.डी.पी.) क्षेत्रा को भी सूखा संभावित क्षेत्रा परियोजना (डी.पी.ए.पी.) के समान ही 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता वाली श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए। श्री चौधरी ने रावी व्यास के आधिक्य जल में से राजस्थान को आवंटित 8.6 मिलियन एकड़ फीट (एम.एफ.टी.) पानी में से राज्य के हिस्से का 0.6 मिलियन एकड़ फीट पानी जिसका उपयोग पंजाब द्वारा किया जा रहा है, उसे दिलवाने के लिए राष्ट्रपति के रेफरेंस से सर्वोच्च न्यायालय को भेजे गये मामले की नियमित सुनवाई करवा कर शीघ्र फैसला करवाने का केंद्र सरकार से आग्रह किया, ताकि मरू भूमि के किसानों को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सके। इसी प्रकार भाखड़ा-व्यास प्रबंधन मंडल में राजस्थान को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने का मामला उठाते हुए मंडल में सदस्यों की नियुक्ति रोटेशन के आधार पर करने की मांग रखी। साथ ही एक अतिरिक्त सदस्य के प्रावधान का आग्रह किया। उन्होंने राजस्थान को सिद्धमुख नोहर क्षेत्रा के लिए भाखड़ा मुख्य नहर के माध्यम से हरियाणा से राजस्थान को 0.17 एम.एफ.टी. पानी दिलवाने का अनुरोध किया। उन्होंने राज्य के चुरू और झुंझुनू जिलों में पेयजल की समस्या के निराकरण के लिए ताजेवाला हैडवर्क्स से राजस्थान के हिस्से का 1917 क्यूसेक जल हरियाणा से दिलवाने की मांग भी रखी। श्री चौधरी ने अन्तर्राज्यीय जल विवादों को निपटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक पृथक बैंच का गठन करने का सुझाव दिया ताकि वर्षो से लम्बित विवादित प्रकरणों का शीघ्र निपटारा हो सके। जल संसाधन मंत्राी ने बताया कि राजस्थान में सतही एवं भूमिगत पानी की उपलब्धता न्यूनतम है। अतः प्रदेश की पेयजल संबंधी समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान को विशिष्ट श्रेणी में रख कर विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्राी श्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को सम्पन्न हुई राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में इस मुद्दे को जोरदार ढ़ंग से उठाते हुए प्रदेश को 51 हजार करोड़ रू. का विशेष पैकेज देने का आग्रह किया है। श्री चौधरी ने कहा कि इस विशेष पेकेज के अन्तर्गत राज्य को प्रतिवर्ष 3045 करोड़ रू. की अतिरिक्त सहायता उपलब्ध करवाई जाए। श्री चौधरी ने बताया कि राजस्थान सरकार ने अपनी ’’जल-नीति’’ बनाकर इसे विगत फरवरी, 2010 में लागू कर दिया है। इसी प्रकार जल नियामक बिल भी राज्य विधान सभा में प्रस्तुत किया जा चुका है। श्री चौधरी ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय जल नीति में राजस्थान जैसे 66 प्रतिशत रेगिस्तान भू-भाग वाले प्रदेश को विशेष दर्जा देकर मदद करने की मांग रखी। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पानी की कमी, विषम जलवायु, भू जल की खराब गुणवत्ता और मरूस्थलीय आदि परिस्थितियां प्रदेश को ’’विशेष श्रेणी’’ के राज्य में शामिल करने की दृष्टि से पर्याप्त हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जल नीति-2012 के प्रारूप में राजस्थान की जल नीति की तरह जल आंवटन के लिए मनुष्य और पशुधन को पेयजल, अन्य घरेलु उपयोगार्थ पानी, कृषि, ऊर्जा उत्पादन आदि प्राथमिकताओं को शामिल करने का सुझाव दिया। श्री चौधरी ने बैठक में राजस्थान में राजीव गांधी जल विकास एवं संरक्षण मिशन के अन्तर्गत करवाये जा रहे जल प्रबंधन कार्यो की विस्तृत जानकारी भी दी।

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