शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

एक ही रात में मरे 16 काले हिरण


एक ही रात में मरे 16 काले हिरण


कोटा जू : संक्रमण व दम घुटने से मौत का संदेह



कोटा  शहर के चिडिय़ाघर में गुरुवार को 21 में से 16 काले हिरणों की अचानक मौत हो गई। इसके पीछे संक्रमण या दम घुटने को कारण माना जा रहा है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही असली कारणों का खुलासा होगा। प्रदेश के किसी चिडिय़ाघर के इतिहास में इतने काले हिरणों की एकसाथ मौत का यह पहला मामला है। घटना की सूचना मिलने के बाद विभागीय अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया। दोपहर को मेडिकल बोर्ड से मृतक काले हिरणों का पोस्टमार्टम कराया गया और शवों का चिडिय़ाघर में ही अंतिम संस्कार किया गया।

5 ही जीवित बचे, इनमें भी दो गंभीर

काले हिरणों ने बुधवार रात से गुरुवार सुबह 11 बजे के बीच दम तोड़ा। अब यहां ५ हिरण जीवित बचे हैं, जिनमें दो की स्थिति नाजुक बनी हुई है। हिरणों की मौत की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे डॉक्टरों ने झाडिय़ों के बीच घायल अवस्था में मिले हिरणों को इंजेक्शन लगाए। मृत हिरणों में 10 मादा व 6 नर थे। इनमें से 5 मादाएं 2 से 4 महीने की गर्भवती थीं। मादा हिरण साल में दो बार एक से दो बच्चों को जन्म देती है। मरने वालों में एक मादा 2 महीने की थी। डॉक्टरों ने हिरणों की मौत के लिए प्रथम दृष्टया एसफिक्सिया अर्थात स्वाभाविक दम घुटने को कारण बताया है। उधर, वन्यजीव विभाग के अधिकारी मौत का प्रथम कारण संक्रमण बता रहे हैं।

न पर्याप्त स्टाफ, न साफ-सफाई

चिडिय़ाघर में जानवरों की चौकसी के लिए एक चौकीदार नियुक्त है। रात को कोई चौकसी नहीं।

चौकीदार के पास सूचना देने तक के लिए संसाधन नहीं।

चिडिय़ाघर में एक सफाई कर्मचारी है। केयरटेकर व केटल गार्ड को ही पिंजरों की साफ-सफाई करनी होती है। ऐसे में नियमित साफ-सफाई नहीं हो पाती।

जानवरों की देखभाल के लिए एक डॉक्टर। नियमानुसार एक अतिरिक्त डॉक्टर व कंपाउंडर की जरूरत।

वन्यजीवों के ब्लड, यूरीन एवं अन्य जांचों के लिए लैब नहीं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही होगा खुलासा

मेडिकल टीम ने सभी मृत जानवरों के सैंपल लिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही कारणों का खुलासा हो सकेगा। प्रथमदृष्टया इनमें संक्रमण को कारण माना जा रहा है।

-अनुराग भारद्वाज, सीसीएफ (वन्यजीव विभाग)


विशेषज्ञ बताते हैं ये कारण

रिटायर्ड वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि ऐसी घटना में सामान्यतया तीन कारण हो सकते हैं। पहला-खाने-पीने में जहरीली सामग्री होना। दूसरा कारण सदमा हो सकता है। जानवर बड़े संवेदनशील होते हैं। चिडिय़ाघर में अचानक किसी जानवर के घुसने पर ये शॉक रहे जाते हैं और दौड़कर दम तोड़ देते हैं। तीसरा कारण गलघोंटू बीमारी हो सकता है। रिटायर्ड वन अधिकारी वीके सालवान के अनुसार चिडिय़ाघर प्रशासन को चाहिए कि वह जानवरों के लिए पीने का पानी बदले। यदि गलघोंटू बीमारी है तो जानवरों को टीके लगवाए।

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