अगर दीपावली, गोवर्धन पूजा व यम द्वितीया को श्रेष्ठ समय में पूजन करेंगे तो घर में सुख-समृद्धि व संपदा भरपूर रहेगी। दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 5.54 से 6.07 बजे तक रहेगा। राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री के मुताबिक सांयकाल प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन शुभ फलदायी है। गृहस्थों को सायंकाल प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए। व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों में पूरे दिन महालक्ष्मी पूजन किया जाना श्रेष्ठ रहेगा।
ये हैं श्रेष्ठ मुहूर्त
प्रदोषकाल सायं 5.33 से 8.12 तक, वृष लग्न में सायं 5.41 से 7.38 तक और सिंह लग्न में मध्य रात्रि 12.11 से रात्रि 2.27 तक पूजन श्रेष्ठ है। रात्रि में शुभ चौघडिय़ों में भी महालक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ है।
लाभ : रात्रि 7.13 से रात्रि 8.52 तक, शुभ : रात्रि 10.32 से रात्रि 12.11 तक, अमृत : रात्रि 12.11 से रात्रि 1.50 तक,
चर : रात्रि 1.50 से रात्रि 3.30 तक पूजन श्रेष्ठ है।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त : गोवर्धन पूजा बुधवार को होगी। गोवर्धन स्थापित करने का श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 6.50 से 8.10 तक लाभ एवं 8.10 से 9.30 तक अमृत का चौघडिय़ा श्रेष्ठ है। पूजन के लिए शाम 4.10 से 5.33 तक लाभ का चौघडिय़ा व रात्रि 7.12 से 8.51 तक शुभ का चौघडि़ए में भी पूजन श्रेष्ठ रहेगा।
भाई दूज : भाई दूज पर गुरुवार को कलम दवात पूजन के लिए सुबह 6.50 से 8.11 तक शुभ और 10.51 से 12.11 तक चर का चौघडिय़ा शुभ है। भाईयों को तिलक करने के लिए सुबह 6.50 से 8.11 शुभ का चौघडिय़ा, 10.51 से 12.11 चर का चौघडिय़ा और दोपहर 12.11 से 2.52 तक लाभ व अमृत का चौघडिय़ा शुभ रहेगा।
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