सीपीसी अधिवेशन में सैन्य आधुनिकीकरण पर जोर
बीजिंग। चीन में नेतृत्व परिवर्तन की कवायदों के बीच कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन गुरूवार को यहां "द ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल" में शुरू हो गया। अधिवेशन में कम्युनिस्ट पार्टी के करीब 2,200 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जो पार्टी के आठ करोड़ 20 लाख सदस्यों में से चुने गए हैं।
सीपीसी के अधिवेशन का उद्घाटन राष्ट्रपति हू जिंताओ ने किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने पार्टी के सदस्यों तथा देशवासियों का आ±वान किया कि वे चीन की विशेषताओं के साथ समाजवाद के पथ पर आगे बढ़ें। साथ ही उन्होंने सेना को आधुनिक बनाने और भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उनका देश राजनीतिक संरचना में सुधार जारी रखेगा, लेकिन इसके लिए पश्चिमी व्यवस्था का अनुसरण नहीं किया जाएगा।
अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए जिंताओ ने कहा कि पिछले 90 साल से सीपीसी देश के सभी लोगों को लेकर आगे बढ़ रही है और इसके संघर्षो का ही परिणाम है कि पिछड़ा हुआ चीन आज समृद्ध एवं शक्तिशाली देश के रूप में सामने है तथा एक राष्ट्र के रूप में इसके नवीनीकरण की उज्जवल सम्भावनाएं हैं। भ्रष्टाचार के खात्मे पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ना तथा राजनीतिक शुचिता को बढ़ावा देना लोगों की मुख्य चिंता है। इसके प्रति कम्युनिस्ट पार्टी की स्पष्ट व दीर्घकालिक राजनीतिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए। पार्टी को राजनीतिक जीवन में शुचिता को बढ़ावा देने की कोशिश करनी चाहिए तथा नैतिक पतन के खिलाफ चौकस रहना चाहिए।
सेना को आधुनिक बनाने की प्रतिबद्धता जताते हुए जिंताओ ने कहा कि वर्ष 2020 तक पूर्ण सैन्य सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की जाएगी। उन्होंने कहा कि चीन को नए वक्त के अनुसार अपनी सैन्य रणनीति बनाने की आवश्यकता है। समुद्री, अंतरिक्ष तथा साइबर सुरक्षा पर खास ध्यान देने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि चीन को राष्ट्रीय रक्षा नीति जारी रखनी चाहिए, जो रक्षात्मक प्रकृति की है।
चीन की राजनीतिक संरचना में सुधार के मुद्दे पर जिंताओ ने कहा कि इसे जारी रखा जाएगा, लेकिन इस संदर्भ में पश्चिमी राजनीतिक व्यवस्था का अनुसरण नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें राजनीतिक संरचना में सुधार के लिए सक्रिय व सावधानी से प्रयास करने की जरूरत है। साथ ही लोकतंत्र को व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसमें अपार सम्भावनाएं हों और जो व्यवहार में प्रबल हों।
बीजिंग। चीन में नेतृत्व परिवर्तन की कवायदों के बीच कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का 18वां राष्ट्रीय अधिवेशन गुरूवार को यहां "द ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल" में शुरू हो गया। अधिवेशन में कम्युनिस्ट पार्टी के करीब 2,200 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जो पार्टी के आठ करोड़ 20 लाख सदस्यों में से चुने गए हैं।
सीपीसी के अधिवेशन का उद्घाटन राष्ट्रपति हू जिंताओ ने किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने पार्टी के सदस्यों तथा देशवासियों का आ±वान किया कि वे चीन की विशेषताओं के साथ समाजवाद के पथ पर आगे बढ़ें। साथ ही उन्होंने सेना को आधुनिक बनाने और भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उनका देश राजनीतिक संरचना में सुधार जारी रखेगा, लेकिन इसके लिए पश्चिमी व्यवस्था का अनुसरण नहीं किया जाएगा।
अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए जिंताओ ने कहा कि पिछले 90 साल से सीपीसी देश के सभी लोगों को लेकर आगे बढ़ रही है और इसके संघर्षो का ही परिणाम है कि पिछड़ा हुआ चीन आज समृद्ध एवं शक्तिशाली देश के रूप में सामने है तथा एक राष्ट्र के रूप में इसके नवीनीकरण की उज्जवल सम्भावनाएं हैं। भ्रष्टाचार के खात्मे पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ना तथा राजनीतिक शुचिता को बढ़ावा देना लोगों की मुख्य चिंता है। इसके प्रति कम्युनिस्ट पार्टी की स्पष्ट व दीर्घकालिक राजनीतिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए। पार्टी को राजनीतिक जीवन में शुचिता को बढ़ावा देने की कोशिश करनी चाहिए तथा नैतिक पतन के खिलाफ चौकस रहना चाहिए।
सेना को आधुनिक बनाने की प्रतिबद्धता जताते हुए जिंताओ ने कहा कि वर्ष 2020 तक पूर्ण सैन्य सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की जाएगी। उन्होंने कहा कि चीन को नए वक्त के अनुसार अपनी सैन्य रणनीति बनाने की आवश्यकता है। समुद्री, अंतरिक्ष तथा साइबर सुरक्षा पर खास ध्यान देने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि चीन को राष्ट्रीय रक्षा नीति जारी रखनी चाहिए, जो रक्षात्मक प्रकृति की है।
चीन की राजनीतिक संरचना में सुधार के मुद्दे पर जिंताओ ने कहा कि इसे जारी रखा जाएगा, लेकिन इस संदर्भ में पश्चिमी राजनीतिक व्यवस्था का अनुसरण नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें राजनीतिक संरचना में सुधार के लिए सक्रिय व सावधानी से प्रयास करने की जरूरत है। साथ ही लोकतंत्र को व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसमें अपार सम्भावनाएं हों और जो व्यवहार में प्रबल हों।
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