मोदी की वैवाहिक स्थिति के बारे में याचिका खारिज
अहमदाबाद।गुजरात उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की वैवाहिक स्थिति के बारे में चुनाव आयोग से जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश भास्कर भट्टाचार्य व न्यायाधीश जेबी पारडीवाला की खंडपीठ ने जिग्नेश गोस्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका पर टिप्पणी की कि इन मुद्दों पर किन कारणों से चुनाव आयोग से स्थिति रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए। ये मुद्दे फिलहाल अपरिपक्व हैं। न्यायालय चुनाव की प्रक्रिया को लेकर तब तक कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है जब तक कोई उल्लंघन नहीं हो रहा हो।
याचिका में मोदी के थरूर की पत्नी सुनंदा के 50 करोड़ की गर्ल फ्रैंड के जवाब में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान का हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी अपनी पत्नी का नाम क्यों छिपाते हैं? याचिका के मुताबिक मोदी गत चुनावों में नामांकन पत्रों में वैवाहिक स्थिति के कॉलम रिक्त रखते हैं। गुजरात के साथ-साथ देश की जनता जानना चाहती है कि मोदी विवाहित हैं या अविवाहित।
याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता को पता चला है कि मोदी की पत्नी का नाम यशोदाबेन है और उनसे एक बच्ची भी है जो सुदूर गांव में रहती है जिसे मोदी ने दशकों पहले छोड़ दिया है। इस तरह मोदी अपनी नैतिक व वैधानिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
भारी पड़ा मोदी के पैर छूना
निर्वाचन आयोग ने अवर सचिव भरत वैष्णव को गुरूवार को चुनावी डयूटी से हटा दिया। हाल ही में वैष्णव के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पैर छूते हुए की तस्वीर के साथ कांग्रेस ने इस बारे में शिकायत की थी। गुजरात की मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती अनिता करवल ने केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के आदेश पर तत्काल प्रभाव से वैष्णव को अवर सचिव के रूप में चुनावी डयूटी के साथ पूर्व पद सेक्शन निर्वाचन अधिकारी से भी हटा दिया है। वैष्णव की नई नियुक्ति का जिम्मा राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के हवाले कर दिया है। करवल के अनुसार कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा को ध्यान में रखते हुए गत मंगलवार को वैष्णव की मोदी के पैर छूते हुए तस्वीर पेश करते हुए उनकी निष्पक्षता पर आशंका व्यक्त की थी।
वैसे, प्राथमिक जांच में पता चला कि वैष्णव की मोदी के चरण स्पर्श करते हुई तस्वीर एक साल से ज्यादा पुरानी थी। इससे उपरोक्त विवादित मसले की कांग्रेस की शिकायत को केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के पास मार्गदर्शन के लिए भेजा गया। आयोग ने उस पर विचार करने के बाद गुरूवार को वैष्णव को चुनावी डयूटी से बाहर करने का आदेश दिया है। (का.सं.)
मोदी को नहीं था संत सम्मेलन का न्योता
अहमदाबाद के छारोड़ी गुरूकुल में आयोजित संत सम्मेलन के आयोजक स्वामी परमानंद के अनुसार मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कार्यक्रम में शिरकत जरूरत की लेकिन इस संदर्भ में कोई अधिकृत न्योता नहीं भेजा गया था। आयोजक स्वामी परमानंद के अनुसार मोदी ने संतो के दर्शन की इ“छा जताते हुए संत सम्मेलन में शिरकत के लिए खुद फोन किया था। मोदी सम्मेलन में स्वेच्छा से बुधवार को कार्यक्रम में शामिल हुए। आयोजकों ने आयोजन स्थल पर मोदी की आरएसएस-विहिप के मोहन भागवत व अशोक सिंघल के साथ किसी राजनीतिक मंत्रणा से भी इनकार किया है। परमानंद ने कहा कि संत सम्मेलन प्लानिंग आठ माह पहले की गई थी।
उस समय गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई थी। हिन्दू जागरूकता के उद्देश्य से निर्धारित संत सम्मेलन में आरएसएस, विहिप आदि से जुड़े गणमान्यों के अलावा शीर्ष संत महंतों को आमंत्रित किया गया था। इसका सम्मान करते हुए भागवत एवं सिंघल बुधवार को सम्मेलन में शिरकत करने आए थे। बुधवार को ही मोदी ने भी सम्मेलन में शिरकत की। गुरूवार को परमानंद के साथ बात करने के बाद भागवत व सिंघल से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
अहमदाबाद।गुजरात उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की वैवाहिक स्थिति के बारे में चुनाव आयोग से जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश भास्कर भट्टाचार्य व न्यायाधीश जेबी पारडीवाला की खंडपीठ ने जिग्नेश गोस्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका पर टिप्पणी की कि इन मुद्दों पर किन कारणों से चुनाव आयोग से स्थिति रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए। ये मुद्दे फिलहाल अपरिपक्व हैं। न्यायालय चुनाव की प्रक्रिया को लेकर तब तक कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है जब तक कोई उल्लंघन नहीं हो रहा हो।
याचिका में मोदी के थरूर की पत्नी सुनंदा के 50 करोड़ की गर्ल फ्रैंड के जवाब में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान का हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी अपनी पत्नी का नाम क्यों छिपाते हैं? याचिका के मुताबिक मोदी गत चुनावों में नामांकन पत्रों में वैवाहिक स्थिति के कॉलम रिक्त रखते हैं। गुजरात के साथ-साथ देश की जनता जानना चाहती है कि मोदी विवाहित हैं या अविवाहित।
याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता को पता चला है कि मोदी की पत्नी का नाम यशोदाबेन है और उनसे एक बच्ची भी है जो सुदूर गांव में रहती है जिसे मोदी ने दशकों पहले छोड़ दिया है। इस तरह मोदी अपनी नैतिक व वैधानिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
भारी पड़ा मोदी के पैर छूना
निर्वाचन आयोग ने अवर सचिव भरत वैष्णव को गुरूवार को चुनावी डयूटी से हटा दिया। हाल ही में वैष्णव के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पैर छूते हुए की तस्वीर के साथ कांग्रेस ने इस बारे में शिकायत की थी। गुजरात की मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती अनिता करवल ने केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के आदेश पर तत्काल प्रभाव से वैष्णव को अवर सचिव के रूप में चुनावी डयूटी के साथ पूर्व पद सेक्शन निर्वाचन अधिकारी से भी हटा दिया है। वैष्णव की नई नियुक्ति का जिम्मा राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के हवाले कर दिया है। करवल के अनुसार कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा को ध्यान में रखते हुए गत मंगलवार को वैष्णव की मोदी के पैर छूते हुए तस्वीर पेश करते हुए उनकी निष्पक्षता पर आशंका व्यक्त की थी।
वैसे, प्राथमिक जांच में पता चला कि वैष्णव की मोदी के चरण स्पर्श करते हुई तस्वीर एक साल से ज्यादा पुरानी थी। इससे उपरोक्त विवादित मसले की कांग्रेस की शिकायत को केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के पास मार्गदर्शन के लिए भेजा गया। आयोग ने उस पर विचार करने के बाद गुरूवार को वैष्णव को चुनावी डयूटी से बाहर करने का आदेश दिया है। (का.सं.)
मोदी को नहीं था संत सम्मेलन का न्योता
अहमदाबाद के छारोड़ी गुरूकुल में आयोजित संत सम्मेलन के आयोजक स्वामी परमानंद के अनुसार मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कार्यक्रम में शिरकत जरूरत की लेकिन इस संदर्भ में कोई अधिकृत न्योता नहीं भेजा गया था। आयोजक स्वामी परमानंद के अनुसार मोदी ने संतो के दर्शन की इ“छा जताते हुए संत सम्मेलन में शिरकत के लिए खुद फोन किया था। मोदी सम्मेलन में स्वेच्छा से बुधवार को कार्यक्रम में शामिल हुए। आयोजकों ने आयोजन स्थल पर मोदी की आरएसएस-विहिप के मोहन भागवत व अशोक सिंघल के साथ किसी राजनीतिक मंत्रणा से भी इनकार किया है। परमानंद ने कहा कि संत सम्मेलन प्लानिंग आठ माह पहले की गई थी।
उस समय गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई थी। हिन्दू जागरूकता के उद्देश्य से निर्धारित संत सम्मेलन में आरएसएस, विहिप आदि से जुड़े गणमान्यों के अलावा शीर्ष संत महंतों को आमंत्रित किया गया था। इसका सम्मान करते हुए भागवत एवं सिंघल बुधवार को सम्मेलन में शिरकत करने आए थे। बुधवार को ही मोदी ने भी सम्मेलन में शिरकत की। गुरूवार को परमानंद के साथ बात करने के बाद भागवत व सिंघल से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
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