सोमवार, 12 नवंबर 2012

झाडियों में तड़पती मिली "लक्ष्मी"

झाडियों में तड़पती मिली "लक्ष्मी"
 
हनुमानगढ़। समय बदला, दुनिया बदली। परिवार और समाज की सोच में भी अंतर आया। लेकिन कुछ लोगों की सोच इस 21 वीं सदी में भी पिछड़ी हुई है, जो लड़कियों को बोझ मानते हैं। रविवार को धनतेरस पर यहां रेलवे लोको घर में झाडियों में मिली 5-6 दिन की नवजात बच्ची भी ऎसे ही लोगों की सोच का शिकार हो गई। जिस समय इस बच्ची को मां की गोद में होना चाहिए था, उस समय मां-बाप उसे झाडियों में मरने के लिए छोड़ गए। स्थानीय लोगों ने नवजात को चिकित्सालय में भर्ती करवाया, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है।

हल्का बुखार पर खतरे की बात नहीं
जंक्शन में रेलवे लोको घर में ओवरहैड टंकी के पास झाडियों में बच्चे के रोने की आवाज सुन आसपास के लोग अन्दर पहुंचे तो वहां कपड़े में लिपटी नवजात नजर आई। नवजात को देख लोग सन्न रह गए। सूचना पर पहुंची 108 एम्बुलेंस ने उसे राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जगतार सिंह खोसा के अनुसार नवजात बच्ची मात्र पांच-छह दिन की है। उसे हल्का बुखार है। सभी टेस्ट करवा लिए हैं। खतरे की बात नहीं है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 317 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

मेरा क्या कसूर...
यह नवजात रो रही थी, मानो पूछ रही हो, मां-मेरा क्या कसूर जो मुझे झाडियों में पटक दिया। नवजात के बदन पर नए कपड़े थे। पास ही दूध से भरी हुई बोतल भी थी। नवजात के पास ही एक जोड़ी नए कपड़े रखे थे। जिससे लगता है संभवत: उसके मां-बाप ही उसे यहां छोड़ गए हैं।

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