सोमवार, 12 नवंबर 2012

पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ 

  मनीष रामदेव 


ये प्रकाश का अभिनन्दन है , अंधकार को दूर भगाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ

शुद्ध करो निज मन मंदिर को क्रोध-अनल लालच-विष छोडो
परहित पर हो अर्पित जीवन स्वार्थ मोह बंधन सब तोड़ो
जो आँखों पर पड़ा हुआ है पहले वो अज्ञान उठाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशिओं के दीप जलाओ

जहाँ रौशनी दे न दिखाई उस पर भी सोचो पल दो पल
वहाँ किसी की आँखों में भी है आशाओं का शीतल जल
जो जीवन पथ में भटके हैं उनकी नई राह दिखलाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ


नवल ज्योति से नव प्रकाश हो नई सोच हो नई कल्पना
चहुँ दिशी यश, वैभव, सुख बरसे पूरा हो जाए हर सपना
जिसमे सभी संग दीखते हों कुछ ऐसे तस्वीर बनाओ
पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ

1 टिप्पणी:

  1. यह कविता मेरी लिखी हुई है। पता नहीं कविता चोर लोग क्यूँ अपने नाम से पोस्ट लगा लेते हैं और असली कवि का नाम देना भी उचित नहीं समझते ... डॉ. अरुण मित्तल 'अद्भुत'

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