रविवार, 11 नवंबर 2012

पूरा शहर उमड़ पडा मायड़ भाषा के नाम दीपक जलाने को

पूरा शहर उमड़ पडा मायड़  भाषा के नाम दीपक जलाने को 



एक दिवलो मायड़ भाषा रे नाव ..कार्यक्रम आयोजित 

बाड़मेर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की मांग करने वाले राजस्थानी भाशा प्रेमियों नें दीपावली की पूर्व संध्या पर एक दीपकराजस्थानी भाशा के नाम जला कर अपनी मांग के समर्थन में एकजुटता का प्रदर्शन किया । प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम भाषा की मान्यता के लिए हजारों पोस्टकार्ड भेजे जाने की कड़ी में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।साथ ही मानव श्रृंखला बनाकर अपनी मांग पुरजोर तरीके  से रखी है।

इस कार्यक्रम का नाम एक  दिवलो मायड़ भासा रै नांव’ दिया गया । इस कार्यक्रम के तहत बाडमेर के गाँधी चौक पर सैकडों दीपक राजस्थानी भाशा के नाम जलाऐ गयें।पूरा शहर  इस कार्यक्रम में भाग लेने उमड पडा।कार्यक्रम में इन्द्र प्रकाश पुरोहित ,जिला पाटवी रिडमल  सिंह दांता ,डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी,डॉ हुक्म राम सुथार ,महादान सिंह भादरेश  ,सांगसिह लुणु ,छोटू सिंह , ,सुलतान सिंह रेडाना प्रकाश  जोशी ,  विजय कुमार ,भोम सिंह बलाई ,विजय सिंह खारा ,  अनिल सुखानी रघुवीर सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,डॉ हरपाल राव ,अशोक सारला .पार्षद अशोक दरजी , दिग्विजय सिंह चुली ,जीतेन्द्र फुलवरिया ,मनोज विश्नोई ,खेतमल तातेड ,सहित शहर के तमाम नागरिकों नें राजस्थानी भाशा के नाम दीपक जला भाशा की मान्यता के लिऐं सेंकल्प लिया 
राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाडमेर के संयोजक जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने बताया कि कार्यक्रम में शहर के तमाम साहित्यकार कवि जन प्रतिनिधियो तथा राजस्थानी भाशा प्रेमियों नें सैकडों दीपकजलाऐं॥आंदोलन से जुड़ा हर व्यक्ति नें इस दिन एक दीपक जलाकर भाषा की मान्यता के प्रति संकल्पना जताई। जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता का कहना है कि यह आंदोलन की सकारात्मक रणनीति का हिस्सा है। दीया आस और विश्वास का प्रतीक है। हम इसके माध्यम से एकजुटता का प्रदर्शन करना चाहते हैं। निश्चित रूप से केंद्र सरकार तक हमारा संदेश पहुंचेगा और भाषा की मान्यता का मार्ग प्रशस्त होगा।

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