बीज-खाद मांगने पर गोली मिलती है : राव
आदर्श स्टेडियम में स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले किसान पंचायत में किसानों ने भरी हूंकार, भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बुलंद हुई आवाज, वक्ताओं ने कोसा केंद्र व राज्य सरकार को
बाड़मेर भारत की साठ फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है, अमेरिका में ये आंकड़ा केवल 2 प्रतिशत व फ्रांस में महज 6 फीसदी ही है। हमारे यहां की जमीन साल में तीन फसलें देती है, लेकिन फिर भी यहां के किसान को जमीन, बीज व आजादी के लिए लड़ाई लडऩी पड़ती है। बीज-खाद मांगने पर गोली मिलती है। देश हमारा है तो सरकार भी हमारे लिए ही चलनी चाहिए।' यह उद्गार गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री एवं स्वदेशी आंदोलन के नेता मुरलीधर राव ने आदर्श स्टेडियम में कहे। राव स्वदेशी जागरण मंच के बैनरतले आयोजित किसान पंचायत में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भी ओरण-गोचर जमीन रिकार्ड में दर्ज नहीं है। दुनिया में सबसे पहले भारत ने ही कुओं व बावडिय़ों का निर्माण करवाया था। आज किसान की स्थिति यहां तक हो गई है कि उसके नौजवान पुत्र को कोई बेटी नहीं देता जबकि चपरासी या सामान्य पद पर नौकरी करने वाले को दे देता है, ऐसा क्यों?
कांग्रेस का दामाद-हमारा दामाद!
राव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि मुगलों को बीकानेर तक पहुंचने में सालों लग गए, लेकिन वाड्रा को गहलोत सरकार ने पल भर में पहुंचा दिया। क्योंकि वह कांग्रेस का दामाद है यानी हम सबका। उन्होंने आगामी चुनावों को लेकर किसानों को कहा कि जमीन बेचने वाला नहीं, बल्कि रखने वाला किसान संपन्नता का मापदंड होगा। इसलिए भूमि अधिग्रहण कानून को किसान के पक्ष में रखने वाली पार्टी को वोट देना। शेषत्न पेज १९
डाकू नहीं मैं किसान...: मिर्जापुर के पूर्व सांसद वीरेंद्रसिंह चौधरी को संबोधन के लिए बुलाने वाले संचालक ने उन्हें कुख्यात डकैत फूलन देवी को हरा संसद पहुंचने वाला बताया तो चौधरी ने टोकते हुए कहा-'मैं कोई डाकू नहीं हूं।' उन्होंने कहा कि पंचायत का मतलब फैसले से होता है, इसलिए यहां फैसला करके जाना है। आज बाजार में किसान विरोधी ताकते हावी होती जा रही है। परिवार टूट रहे हैं, लेकिन किसान का हित परिवार संस्कृति को कायम रखने में ही है। पैसा किसी की बपौती नहीं है, रॉबर्ट वाड्रा जैसे देश का करोड़ों का खजाना लूट रहे हैं, लेकिन कांग्रेस व सरकार सब बचाने में जुटे हैं। उन्होंने फिरोज गांधी के बारे में बोलते हुए कहा कि एक वो दामाद था, जिसने एक छोटे से घोटाले पर संसद में आवाज उठाई और तत्कालीन वित्त मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने कहा कि सिकंदर को भारत आने से पहले उसकी मां ने गांव, गंगा, गाय व गीता के संदेश के बारे में बताते हुए कहा था कि ये हिंदुस्तान की पहचान है।
सिंचाई के लिए 1100 करोड़ और कलमाड़ी के लिए 1700...: पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सतपाल मलिक ने कहा कि देश में किसान को सिंचाई के लिए बजट में 1100 करोड़ का ही प्रावधान रखा जाता है जबकि कॉमनवेल्थ गैम्स के नाम पर कलमाड़ी के लिए 1700 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि यूपी के टप्पल व भट्टा-पारसौल में किसान की भूमि का अधिग्रहण करने पर किसानों ने संघर्ष किया तब जाकर उन्हें सफलता मिली, बाड़मेर-जैसलमेर के किसानों को भी संघर्ष करने की जरूरत है। आज हम दस साल की तुलना में आधा ही खरीद पाते हैं, बड़ी होशियारी से किसान को ठगा जा रहा है, इसलिए भारत के किसानों को को होश संभालना होगा।
भूमि अवाप्ति बर्दाश्त नहीं: पूर्व मंत्री एवं कोलायत विधायक देवीसिंह भाटी ने कहा हमारे पूर्वजों ने लंबी रिसर्च के बाद गांव की परिकल्पना साकार की थी। कम खर्चे में गांव की सारी व्यवस्था चलती थी, लेकिन अंग्रेजी शासन ने यहां उपकरण, खाद व यूरिया जैसे थोपकर किसान को खोखला कर दिया है। सरकार चारागाहों की जमीन खत्म करने में तुली हुई है, विदेशी कंपनियों को सस्ती दर पर जमीन दे रही हैं, लेकिन किसान वर्ग का शोषण कर रही है। आज जनता नहीं नेता मालिक बन गए है और अब इनके बाप कंपनी वाले आ गए। लेकिन हमें भूमि अवाप्ति किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है। भाटी ने राजीव गांधी सेवा केंद्रों को भूत बंगला बताते हुए कहा कि इसके स्थान पर गांवों में अनाज के भंडारण की व्यवस्था की जाती तो फायदा मिलता। हर तरफ से लूट मची हुई है। लेकिन किसान व्ग अब इस सरकार की नाक रगड़कर रख देगा। उन्होंने किसानों से चुनाव के समय पार्टियों से समयबद्ध घोषणा-पत्र मांगने की भी बात कही।
संस्कृति से जुड़ा है पशुपालन: पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्रसिंह ने कहा कि भूमि अवाप्ति के विरोध में आंदोलन किया जाएगा। इस देश में पशुपालन की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पशुपालन देश की संस्कृति से जुड़ा हुआ है, भगवान श्रीकृष्ण से लेकर सभी देवी-देवताओं का आधार गाय ही है। इसलिए इन मूक प्राणियों के लिए भी पशु कार्ड योजना बननी चाहिए। किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि किसान अनाज बेचते समय और खरीदते समय लुटता है। राज्य सरकार बाजरा की प्रति क्विंटल लागत तो 1292 रुपए मानती है, लेकिन खरीद मूल्य 1175 ही रखती है। स्वरूपसिंह राठौड़ ने डीएनपी मामले पर प्रकाश डाला। पूर्व विधायक टीकमचंद कांत व लाधूराम बिश्नोई ने भी अपनी बात रखी। अंत में स्वदेशी जागरण मंच के प्रदेश प्रवक्ता संदीप काबरा ने आभार जताया। मंच संचालन मंच के जिला संयोजक राजेंद्रसिंह भिंयाड़ ने किया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले स्थानीय मांगणियारों ने स्वागत गीत के साथ अतिथियों को स्वागत किया। वहीं मंच के पदाधिकारियों व स्थानीय नेताओं ने अतिथियों का माला व साफा पहना स्वागत किया।
ये रहें मौजूद: पंचायत में जोधपुर के पूर्व सांसद जसवंतसिंह बिश्नोई, पूर्व मंत्री अमराराम चौधरी, पूर्व विधायक डॉ. जालमसिंह रावलोत, मृदुरेखा चौधरी, आदूराम मेघवाल, स्वरूपसिंह खारा, संजय रामावत, मूलाराम भांभू, पीयूष डोसी, कैलाश बेनीवाल, रतनसिंह बाखासर, रूपसिंह चौहटन, लक्ष्मण वडेरा, भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर परबतसिंह, तेजदान चारण, देरावरसिंह खारिया व मेहराराम राईका सहित स्वदेशी जागरण मंच के कई प्रदेश व जिला स्तरीय पदाधिकारी तथा किसान मौजूद थे।
आदर्श स्टेडियम में स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले किसान पंचायत में किसानों ने भरी हूंकार, भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बुलंद हुई आवाज, वक्ताओं ने कोसा केंद्र व राज्य सरकार को
बाड़मेर भारत की साठ फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है, अमेरिका में ये आंकड़ा केवल 2 प्रतिशत व फ्रांस में महज 6 फीसदी ही है। हमारे यहां की जमीन साल में तीन फसलें देती है, लेकिन फिर भी यहां के किसान को जमीन, बीज व आजादी के लिए लड़ाई लडऩी पड़ती है। बीज-खाद मांगने पर गोली मिलती है। देश हमारा है तो सरकार भी हमारे लिए ही चलनी चाहिए।' यह उद्गार गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री एवं स्वदेशी आंदोलन के नेता मुरलीधर राव ने आदर्श स्टेडियम में कहे। राव स्वदेशी जागरण मंच के बैनरतले आयोजित किसान पंचायत में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भी ओरण-गोचर जमीन रिकार्ड में दर्ज नहीं है। दुनिया में सबसे पहले भारत ने ही कुओं व बावडिय़ों का निर्माण करवाया था। आज किसान की स्थिति यहां तक हो गई है कि उसके नौजवान पुत्र को कोई बेटी नहीं देता जबकि चपरासी या सामान्य पद पर नौकरी करने वाले को दे देता है, ऐसा क्यों?
कांग्रेस का दामाद-हमारा दामाद!
राव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि मुगलों को बीकानेर तक पहुंचने में सालों लग गए, लेकिन वाड्रा को गहलोत सरकार ने पल भर में पहुंचा दिया। क्योंकि वह कांग्रेस का दामाद है यानी हम सबका। उन्होंने आगामी चुनावों को लेकर किसानों को कहा कि जमीन बेचने वाला नहीं, बल्कि रखने वाला किसान संपन्नता का मापदंड होगा। इसलिए भूमि अधिग्रहण कानून को किसान के पक्ष में रखने वाली पार्टी को वोट देना। शेषत्न पेज १९
डाकू नहीं मैं किसान...: मिर्जापुर के पूर्व सांसद वीरेंद्रसिंह चौधरी को संबोधन के लिए बुलाने वाले संचालक ने उन्हें कुख्यात डकैत फूलन देवी को हरा संसद पहुंचने वाला बताया तो चौधरी ने टोकते हुए कहा-'मैं कोई डाकू नहीं हूं।' उन्होंने कहा कि पंचायत का मतलब फैसले से होता है, इसलिए यहां फैसला करके जाना है। आज बाजार में किसान विरोधी ताकते हावी होती जा रही है। परिवार टूट रहे हैं, लेकिन किसान का हित परिवार संस्कृति को कायम रखने में ही है। पैसा किसी की बपौती नहीं है, रॉबर्ट वाड्रा जैसे देश का करोड़ों का खजाना लूट रहे हैं, लेकिन कांग्रेस व सरकार सब बचाने में जुटे हैं। उन्होंने फिरोज गांधी के बारे में बोलते हुए कहा कि एक वो दामाद था, जिसने एक छोटे से घोटाले पर संसद में आवाज उठाई और तत्कालीन वित्त मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने कहा कि सिकंदर को भारत आने से पहले उसकी मां ने गांव, गंगा, गाय व गीता के संदेश के बारे में बताते हुए कहा था कि ये हिंदुस्तान की पहचान है।
सिंचाई के लिए 1100 करोड़ और कलमाड़ी के लिए 1700...: पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सतपाल मलिक ने कहा कि देश में किसान को सिंचाई के लिए बजट में 1100 करोड़ का ही प्रावधान रखा जाता है जबकि कॉमनवेल्थ गैम्स के नाम पर कलमाड़ी के लिए 1700 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि यूपी के टप्पल व भट्टा-पारसौल में किसान की भूमि का अधिग्रहण करने पर किसानों ने संघर्ष किया तब जाकर उन्हें सफलता मिली, बाड़मेर-जैसलमेर के किसानों को भी संघर्ष करने की जरूरत है। आज हम दस साल की तुलना में आधा ही खरीद पाते हैं, बड़ी होशियारी से किसान को ठगा जा रहा है, इसलिए भारत के किसानों को को होश संभालना होगा।
भूमि अवाप्ति बर्दाश्त नहीं: पूर्व मंत्री एवं कोलायत विधायक देवीसिंह भाटी ने कहा हमारे पूर्वजों ने लंबी रिसर्च के बाद गांव की परिकल्पना साकार की थी। कम खर्चे में गांव की सारी व्यवस्था चलती थी, लेकिन अंग्रेजी शासन ने यहां उपकरण, खाद व यूरिया जैसे थोपकर किसान को खोखला कर दिया है। सरकार चारागाहों की जमीन खत्म करने में तुली हुई है, विदेशी कंपनियों को सस्ती दर पर जमीन दे रही हैं, लेकिन किसान वर्ग का शोषण कर रही है। आज जनता नहीं नेता मालिक बन गए है और अब इनके बाप कंपनी वाले आ गए। लेकिन हमें भूमि अवाप्ति किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है। भाटी ने राजीव गांधी सेवा केंद्रों को भूत बंगला बताते हुए कहा कि इसके स्थान पर गांवों में अनाज के भंडारण की व्यवस्था की जाती तो फायदा मिलता। हर तरफ से लूट मची हुई है। लेकिन किसान व्ग अब इस सरकार की नाक रगड़कर रख देगा। उन्होंने किसानों से चुनाव के समय पार्टियों से समयबद्ध घोषणा-पत्र मांगने की भी बात कही।
संस्कृति से जुड़ा है पशुपालन: पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्रसिंह ने कहा कि भूमि अवाप्ति के विरोध में आंदोलन किया जाएगा। इस देश में पशुपालन की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पशुपालन देश की संस्कृति से जुड़ा हुआ है, भगवान श्रीकृष्ण से लेकर सभी देवी-देवताओं का आधार गाय ही है। इसलिए इन मूक प्राणियों के लिए भी पशु कार्ड योजना बननी चाहिए। किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि किसान अनाज बेचते समय और खरीदते समय लुटता है। राज्य सरकार बाजरा की प्रति क्विंटल लागत तो 1292 रुपए मानती है, लेकिन खरीद मूल्य 1175 ही रखती है। स्वरूपसिंह राठौड़ ने डीएनपी मामले पर प्रकाश डाला। पूर्व विधायक टीकमचंद कांत व लाधूराम बिश्नोई ने भी अपनी बात रखी। अंत में स्वदेशी जागरण मंच के प्रदेश प्रवक्ता संदीप काबरा ने आभार जताया। मंच संचालन मंच के जिला संयोजक राजेंद्रसिंह भिंयाड़ ने किया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले स्थानीय मांगणियारों ने स्वागत गीत के साथ अतिथियों को स्वागत किया। वहीं मंच के पदाधिकारियों व स्थानीय नेताओं ने अतिथियों का माला व साफा पहना स्वागत किया।
ये रहें मौजूद: पंचायत में जोधपुर के पूर्व सांसद जसवंतसिंह बिश्नोई, पूर्व मंत्री अमराराम चौधरी, पूर्व विधायक डॉ. जालमसिंह रावलोत, मृदुरेखा चौधरी, आदूराम मेघवाल, स्वरूपसिंह खारा, संजय रामावत, मूलाराम भांभू, पीयूष डोसी, कैलाश बेनीवाल, रतनसिंह बाखासर, रूपसिंह चौहटन, लक्ष्मण वडेरा, भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर परबतसिंह, तेजदान चारण, देरावरसिंह खारिया व मेहराराम राईका सहित स्वदेशी जागरण मंच के कई प्रदेश व जिला स्तरीय पदाधिकारी तथा किसान मौजूद थे।
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