कांग्रेस नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 22 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले मंहगाई, भ्रष्टाचार, घोटालों और एफडीआई के खिलाफ देशव्यापी ‘हल्ला बोल’ आंदोलन करने का निर्णय किया है.
इस हल्ला बोल कार्यक्रम में पार्टी के लगभग सभी शीर्ष नेता हिस्सा लेंगे. पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने ये जानकारी देते हुए बताया कि 21 नवंबर को देश के सभी जिलों में उक्त मुद्दों के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के परिवार पर लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उजागर किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का ‘संसद में अंक गणित और सड़क पर जन गणित’ दोनों बिगड़ चुका है. इसके बावजूद भी सरकार जनविरोधी एवं देश हितों को नुकसान पंहुचाने वाले फैसले ले रही है.’
नकवी ने आरोप लगाया कि पिछले साढ़े आठ सालों के यूपीए शासन में परमाणु समझौते और खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दो बड़े फैसले किए गए और दोनों ही विदेशी हितों को ध्यान में रख कर किए गए.
यूपीए सरकार के खिलाफ इस देशव्यापी प्रदर्शन में अरुणाचल प्रदेश में नितिन गडकरी, मुंबई में अरुण जेटली, दिल्ली में मुरली मनोहर जोशी, हैदराबाद में एम वेंकैया नायडू, दिल्ली में राजनाथ सिंह और नकवी, लखनऊ में अंनत कुमार, जयपुर में रविशंकर प्रसाद, गोवा में शाहनवाज हुसैन, कोलकाता में निर्मला सीतारमण आदि आंदोलन की अगुवाई करेंगे.
नकवी के अनुसार इसी दिन संसद में सरकार के खिलाफ रणनीति तैयार करने के लिए यहां होने वाली राजग की बैठक के कारण लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज हल्ला बोल आंदोलन में शिरकत नहीं करेंगे.
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