लखनऊ. भगवान राम पर भाजपा नेता राम जेठमलानी के बयान को लेकर अयोध्या के साधु-संत खासे नाराज हैं। उनके बयान के बाद ही अयोध्या के साधु-संतों और विहिप ने राम जेठमलानी के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रया व्यक्त की और साफ़ कह दिया किया वह क़ानूनविद हो सकते हैं, लेकिन धर्म के मर्मज्ञ नहीं। इसलिए उन्हें अपने दायरे में ही रहना चाहिए। जब उन्हें रामायण और धर्म का ज्ञान नहीं है, तो राम जैसे आदर्श चरित्र पर उंगली नहीं उठानी चाहिए और अपने कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए।
वहीं राम जेठमलानी ने अपने बयान पर माफी मांगने या बयान से पीछे हटने के बजाय अब भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। सीएनएन आईबीएन के एक कार्यक्रम में राम जेठमलानी ने कहा कि उनके मन में भगवान राम के अस्तित्व को लेकर संदेह है और जो उन्होंने कल कहा था वो उनके सुनियोजित विचार थे। ऐसा गलती से नहीं कहा गया था।
अयोध्या की राम जन्म भूमि में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास का कहना है कि उन्हें भगवान् राम पर टिप्पणी करने से बाज आना चाहिए। राम एक आदर्श पुरुष थे और राम जैसा पति किसी लोक में नहीं हुआ है। मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रति ऐसा कहने वाले जेठमलानी एक तरह से पागल हैं और मर्यादारहित है। उनको अध्यात्म का और राम का ज्ञान नहीं है। यदि राम के चरित्र और व्यवस्था का राम जेठमलानी को ज्ञान होता तो वह ऐसा नहीं कहते। राम जेठमलानी का यह बयान बिलकुल मूर्खतापूर्ण है। भगवान राम पर टिप्पणी करने का जो पाप किया है, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने भी उनके बयान के बाद अयोध्या के साधु-संतों के सुर में सुर मिलाते हुए राम जेठमलानी को अपने बयान के लिए साधु-संतों से माफी मांगने की नसीहत दे डाली। उनका कहना है कि वह कानूनविद हैं तो वही रहें। धर्म का मर्मज्ञ बनने की कोशिश न करें और न ही भविष्य में इस तरह के बयान देने की गलती दोहराएं। राम जेठमलानी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस मर्यादा पुरुषोत्तम राम को हम आदर्श मानते हैं, जो जन-जन में विराजमान हैं, जिनकी हम आदर्श जीवन के लिए कसम खाते है, ऐसे राम पर उंगली उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे राम पर उंगली उठाकर उन्होंने बहुत बड़ा पाप किया है। उन्हें समाज से माफी मांगनी चाहिए।
अभी संतों का गुस्सा शांत भी नहीं हुआ था कि श्री हिंदू न्यायपीठ विधान परिषद ने ऐलान किया जो कोई भी व्यक्ति राम जेठमलानी की जुबान काटकर लाएगा, उसको 11 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। अब देखना यह भी होगा कि वरिष्ठ अधिवक्ता जेठमलानी इस खुली धमकी का किस अंदाज में जवाब देते हैं।
वहीं राम जेठमलानी ने अपने बयान पर माफी मांगने या बयान से पीछे हटने के बजाय अब भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। सीएनएन आईबीएन के एक कार्यक्रम में राम जेठमलानी ने कहा कि उनके मन में भगवान राम के अस्तित्व को लेकर संदेह है और जो उन्होंने कल कहा था वो उनके सुनियोजित विचार थे। ऐसा गलती से नहीं कहा गया था।
अयोध्या की राम जन्म भूमि में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास का कहना है कि उन्हें भगवान् राम पर टिप्पणी करने से बाज आना चाहिए। राम एक आदर्श पुरुष थे और राम जैसा पति किसी लोक में नहीं हुआ है। मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रति ऐसा कहने वाले जेठमलानी एक तरह से पागल हैं और मर्यादारहित है। उनको अध्यात्म का और राम का ज्ञान नहीं है। यदि राम के चरित्र और व्यवस्था का राम जेठमलानी को ज्ञान होता तो वह ऐसा नहीं कहते। राम जेठमलानी का यह बयान बिलकुल मूर्खतापूर्ण है। भगवान राम पर टिप्पणी करने का जो पाप किया है, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने भी उनके बयान के बाद अयोध्या के साधु-संतों के सुर में सुर मिलाते हुए राम जेठमलानी को अपने बयान के लिए साधु-संतों से माफी मांगने की नसीहत दे डाली। उनका कहना है कि वह कानूनविद हैं तो वही रहें। धर्म का मर्मज्ञ बनने की कोशिश न करें और न ही भविष्य में इस तरह के बयान देने की गलती दोहराएं। राम जेठमलानी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस मर्यादा पुरुषोत्तम राम को हम आदर्श मानते हैं, जो जन-जन में विराजमान हैं, जिनकी हम आदर्श जीवन के लिए कसम खाते है, ऐसे राम पर उंगली उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे राम पर उंगली उठाकर उन्होंने बहुत बड़ा पाप किया है। उन्हें समाज से माफी मांगनी चाहिए।
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