विधानसभा में गूंजा मौलासर थाने में बलात्कार का मामला
जयपुर। मौलासर में महिला के साथ थाने में ज्यादती के बहुचर्चित मामले में सरकार ने गुरुवार को सदन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संबंधित महिला के साथ किसी प्रकार की ज्यादती नहीं हुई है। महिला ने एफिडेविट देकर अपने साथ इस तरह का बर्ताव होने से इनकार किया है। इसके बावजूद इस मामले में जांच हो रही है। मामले को लेकर सदन में काफी देर शोर-शराबा होता रहा।
विधायक अमराराम ने अपराध बढ़ोतरी को लेकर अपने मूल सवाल के पूरक प्रश्नों के दौरान कहा कि थाने में महिला के साथ ज्यादती हुई है और इसमें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। गृह राज्यमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल जवाब देते इससे पहले ही विधायक रूपाराम डूडी उठ खड़े हुए और इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया। उनका साथ विधायक नाथूराम सिनोदिया ने भी दिया। इधर अमराराम के पक्ष में माकपा विधायक पेमाराम और पवन दुग्गल भी उठ खड़े हुए और सदन में भारी शोर-शराबा शुरू हो गया।
विधायकों का कहना था कि पीडि़ता को लगातार पुलिस की ओर से धमकाया जा रहा है। इस दौरान विधायक रघु शर्मा ने भी माकपा विधायकों से इस मामले में सबूत लाने की बात कह दी। गृह राज्यमंत्री ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा कि महिला ने एफिडेविट देकर अपने साथ इस तरह का बर्ताव होने से इनकार किया है। इसके बावजूद इस मामले में जांच हो रही है। बहस के दौरान व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोपों को सदन की कार्रवाई से विलोपित कर दिया गया।
विधायक अमराराम ने अपराध बढ़ोतरी को लेकर अपने मूल सवाल के पूरक प्रश्नों के दौरान कहा कि थाने में महिला के साथ ज्यादती हुई है और इसमें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। गृह राज्यमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल जवाब देते इससे पहले ही विधायक रूपाराम डूडी उठ खड़े हुए और इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया। उनका साथ विधायक नाथूराम सिनोदिया ने भी दिया। इधर अमराराम के पक्ष में माकपा विधायक पेमाराम और पवन दुग्गल भी उठ खड़े हुए और सदन में भारी शोर-शराबा शुरू हो गया।
विधायकों का कहना था कि पीडि़ता को लगातार पुलिस की ओर से धमकाया जा रहा है। इस दौरान विधायक रघु शर्मा ने भी माकपा विधायकों से इस मामले में सबूत लाने की बात कह दी। गृह राज्यमंत्री ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा कि महिला ने एफिडेविट देकर अपने साथ इस तरह का बर्ताव होने से इनकार किया है। इसके बावजूद इस मामले में जांच हो रही है। बहस के दौरान व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोपों को सदन की कार्रवाई से विलोपित कर दिया गया।
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