१७ जून, १९९९ से पहले बसी कॉलोनियों पर फैसला
राज्य कैबिनेट का निर्णय : अवाप्तशुदा भूमि पर बनी कॉलोनियों का भी होगा नियमन
राज्य कैबिनेट का निर्णय : अवाप्तशुदा भूमि पर बनी कॉलोनियों का भी होगा नियमन
प्रदेश में अब 17 जून, 1999 से पहले कृषि भूमि पर बसी अवैध कॉलोनियों में सभी मकानों का 'जहां, जैसी स्थिति में है' के आधार पर नियमन किया जाएगा। साथ ही सरकारी विभागों की अवाप्तशुदा जमीनों, सीलिंग से प्रभावित कृषि, शहरी, राजा-महाराजाओं की भूमि पर बसी कॉलोनियों में भी नियमन के बाद पट्टे दिए जाएंगे। इसके लिए राज्य में 21 नवंबर से 25 दिसंबर तक प्रशासन शहरों के संग अभियान चलेगा। अभियान के लिए बुधवार को राज्य सरकार ने कई तरह की रियायतें दी हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी में संशोधन, टीडीआर पॉलिसी, आठ शहरों की पेयजल योजनाएं नगरीय निकायों को सौंपने, राजस्थान स्टेट पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन का गठन और राजस्थान महिला अत्याचार निवारण विधेयक लाने जैसे कई फैसले किए गए। बैठक के बाद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि 17 जून, 1999 से पहले अस्तित्व में आई कॉलोनियों में सड़क की चौड़ाई की बाध्यता भी नहीं रहेगी। परंतु जहां भूखंड खाली है या सैट बैक छोड़ा हुआ है, उन मामलों में सैट बैक का पालन कराया जाएगा।
अभियान में मिलने वाले आवेदन पत्रों का निस्तारण 31 मार्च, 2013 तक किया जाएगा। इसके बाद संबंधित निकाय फॉलोअप शिविर भी लगाएंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी में संशोधन, टीडीआर पॉलिसी, आठ शहरों की पेयजल योजनाएं नगरीय निकायों को सौंपने, राजस्थान स्टेट पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन का गठन और राजस्थान महिला अत्याचार निवारण विधेयक लाने जैसे कई फैसले किए गए। बैठक के बाद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि 17 जून, 1999 से पहले अस्तित्व में आई कॉलोनियों में सड़क की चौड़ाई की बाध्यता भी नहीं रहेगी। परंतु जहां भूखंड खाली है या सैट बैक छोड़ा हुआ है, उन मामलों में सैट बैक का पालन कराया जाएगा।
अभियान में मिलने वाले आवेदन पत्रों का निस्तारण 31 मार्च, 2013 तक किया जाएगा। इसके बाद संबंधित निकाय फॉलोअप शिविर भी लगाएंगे।
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