नई दिल्ली। उड्डयन नियामक डीजीसीए ने किंगफिशर एयरलाइंस का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है। यह किंगफिशर एयरलाइंस और उसके चेयरमैन विजय माल्या के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका है। लाइसेंस निरस्त करने से पहले डीजीसीए ने कंपनी को एक नोटिस भी भेजा था।
डीजीसीए के अनुसार, लाइसेंस सस्पेंड करने से पहले कानूनी विशेषज्ञों की राय ली गई, इसके बाद ही यह फैसला लिया गया।
डीजीसीए के इस फैसले पर अब तक एयरलाइंस कंपनी की ओर से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि, एयरलाइन ने तालाबंदी 23 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। कंपनी ने डीजीसीए को कारण बताओ नोटिस का जवाब भी भेज दिया है।
किंगफिशर के कर्मचारियों को सात महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके भुगतान की मांग को लेकर वे कई दिनों से हड़ताल पर हैं। एयरलाइन प्रबंधन गतिरोध खत्म करने में अब तक विफल रहा है। एयरलाइन की उड़ानें पूरी तरह ठप हैं। हड़ताल की वजह से उसने 23 अक्टूबर को आंशिक तालाबंदी की घोषणा की थी। कंपनी 8000 करोड़ रुपए के घाटे में है। उसपर 7000 करोड़ रुपए का कर्ज है।
क्या है मामला
डीजीसीए ने पांच अक्टूबर को किंगफिशर को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया था। इसमें एयरलाइन से पूछा गया था कि वह उड़ान शेड्यूल का पालन नहीं कर रही है। बीते 10 महीनों में उसकी उड़ानें बार-बार रद्द हुई हैं। इससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा है। इसलिए क्यों नहीं उसका उड़ान लाइसेंस निलंबित या रद्द कर दिया जाए? जवाब के लिए डीजीसीए ने किंगफिशर को 15 दिन का समय दिया था। इसकी अवधि शनिवार को खत्म हो रही थी।
नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने भी किंगफिशर मामले को गंभीरता से लिया था। वे पहले ही कह चुके हैं कि विमान संचालन में सुरक्षा के मसले पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
इससे पहले किंगफिशर एयरलाइंस और उसके चेयरमैन विजय माल्या के नाम गैर जमानती वारंट जारी कर किया जा चुका है। देश की एक अदालत के विशेष मजिस्ट्रेट ने 10.5 करोड़ रुपए के चैक बाउंस मामले में माल्या के अदालत में पेश न होने की वजह से यह कार्रवाई की थी। कोर्ट ने किंगफिशर के सीईओ संजय अग्रवाल सहित चार निदेशकों के खिलाफ भी वारंट जारी किए गए। मामले की अगली सुनवाई अब पांच नवंबर को होगी। हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की व्यवस्था देख रही जीएमआर लिमिटेड ने कोर्ट में शिकायत की थी। कोर्ट ने 20 सितंबर को माल्या सहित 5 निदेशकों को पेश होने के लिए समन जारी किए थे।
डीजीसीए के अनुसार, लाइसेंस सस्पेंड करने से पहले कानूनी विशेषज्ञों की राय ली गई, इसके बाद ही यह फैसला लिया गया।
डीजीसीए के इस फैसले पर अब तक एयरलाइंस कंपनी की ओर से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि, एयरलाइन ने तालाबंदी 23 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। कंपनी ने डीजीसीए को कारण बताओ नोटिस का जवाब भी भेज दिया है।
किंगफिशर के कर्मचारियों को सात महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके भुगतान की मांग को लेकर वे कई दिनों से हड़ताल पर हैं। एयरलाइन प्रबंधन गतिरोध खत्म करने में अब तक विफल रहा है। एयरलाइन की उड़ानें पूरी तरह ठप हैं। हड़ताल की वजह से उसने 23 अक्टूबर को आंशिक तालाबंदी की घोषणा की थी। कंपनी 8000 करोड़ रुपए के घाटे में है। उसपर 7000 करोड़ रुपए का कर्ज है।
क्या है मामला
डीजीसीए ने पांच अक्टूबर को किंगफिशर को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया था। इसमें एयरलाइन से पूछा गया था कि वह उड़ान शेड्यूल का पालन नहीं कर रही है। बीते 10 महीनों में उसकी उड़ानें बार-बार रद्द हुई हैं। इससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा है। इसलिए क्यों नहीं उसका उड़ान लाइसेंस निलंबित या रद्द कर दिया जाए? जवाब के लिए डीजीसीए ने किंगफिशर को 15 दिन का समय दिया था। इसकी अवधि शनिवार को खत्म हो रही थी।
नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने भी किंगफिशर मामले को गंभीरता से लिया था। वे पहले ही कह चुके हैं कि विमान संचालन में सुरक्षा के मसले पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
इससे पहले किंगफिशर एयरलाइंस और उसके चेयरमैन विजय माल्या के नाम गैर जमानती वारंट जारी कर किया जा चुका है। देश की एक अदालत के विशेष मजिस्ट्रेट ने 10.5 करोड़ रुपए के चैक बाउंस मामले में माल्या के अदालत में पेश न होने की वजह से यह कार्रवाई की थी। कोर्ट ने किंगफिशर के सीईओ संजय अग्रवाल सहित चार निदेशकों के खिलाफ भी वारंट जारी किए गए। मामले की अगली सुनवाई अब पांच नवंबर को होगी। हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की व्यवस्था देख रही जीएमआर लिमिटेड ने कोर्ट में शिकायत की थी। कोर्ट ने 20 सितंबर को माल्या सहित 5 निदेशकों को पेश होने के लिए समन जारी किए थे।
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