गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

चालीस करोड़ का भुगतान अटका

चालीस करोड़ का भुगतान अटका
बाड़मेर। महानरेगा योजना में चालीस प्रतिशत सामग्री की राशि के लिए जिले के 380 ग्राम पंचायतों के सरपंच ग्राम सेवक तरस रहे हंै। राशि खर्च होने के बावजूद भुगतान नहीं हो रहा है। पिछले तीन माह से यही स्थिति है। इधर विभागीय तर्क है कि करीब सोलह करोड़ का हिसाब मिलान नहीं हो रहा है। ग्राम पंचायतों के बिल वाउचर नहीं मिल रहे हैं।

महानरेगा योजना में 60 प्रतिशत श्रम की राशि सीधे मजदूरों के खाते में जमा होती है। शेष 40 प्रतिशत राशि सामग्री की है। इसके लिए पूर्व में पांच लाख रूपए व्यय होने पर इसके बिल वाउचर पेश होते और भुगतान हो जाता। ग्राम पंचायतों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र में देरी होने एवं फर्जी फर्मो का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने एक लाख रूपए की अधिकतम सीमा तय कर दी। अब एक लाख का कार्य करवाने के साथ ही बिल वाउचर पेश करने होते है। इस नए सिस्टम के बाद करीब तीन माह से सामग्री की राशि का भुगतान अटक रहा है। जिलेभर के करीब चालीस करोड़ रूपए बकाया है।

काम करवाना मुश्किल
ग्राम पंचायतों ने राशि खर्च कर ली है। कार्य भी पूरा हो गया है। उधारी वाले तकाजा करने लगे है। बिलों का भुगतान नहीं होने से अब उनके लिए आगे काम करना मुश्किल हो रहा है।

रोज रोज चक्कर
राशि का भुगतान नहीं होने से दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे है। पंद्रह बीस दिन में मामूली राशि जारी होने पर पंचायत समितियों में सरपंचों में खींचाताणी हो रही है।

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