शनिवार, 1 सितंबर 2012

मंत्री की संस्था को कौडियों के भाव जमीन

मंत्री की संस्था को कौडियों के भाव जमीन

जयपुर। राज्य सरकार की केबिनेट मंत्री बीना काक ने सरकार से अपनी ही संस्था को कौडियों के भाव बेशकीमती भूमि आवंटित करा ली। काक वर्तमान में उस संस्था की अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राज्य मंत्रिमण्डल के स्तर पर यह आवंटन करवाया। इस विषय में बात करने के लिए काक से कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की गई, मगर वे उपलब्ध नहीं हो पाई।

मामला काक की संस्था "उमंग सेंटर फॉर स्पेशल एजुकेशन" का है। इस संस्था को राज्य मंत्रिमण्डल के निर्णय के अनुसार चार साल पहले की संस्थानिक आरक्षित दर के दस प्रतिशत के आधार पर शिप्रा पथ पर 2000 वर्गमीटर भूमि मात्र 352 रूपए प्रति वर्गमीटर पर आवंटित कर दी गई। जबकि वर्तमान में भूमि का बाजार भाव कम से कम 50 हजार रूपए प्रति वर्गमीटर है। मानसरोवर निवासी विवेक कालिया व अभय पुरोहित को सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में इस मामले का खुलासा हुआ है।

संस्थानिक दर पर ही होना था आवंटन
पिछली भाजपा सरकार के समय आवासन मण्डल ने पहले संस्थानिक आरक्षित दर के 50त्न के आधार पर संस्था को भूमि आवंटित की थी। सरकार ने इसे गलत ठहराते हुए पूरी संस्थानिक दर पर भूमि देना तय किया था। मौजूदा सरकार के समय मण्डल ने भी 12 नवम्बर 09 को संस्थानिक दर पर ही राशि जमा कराने का संस्था को नोटिस दिया।

मगर मंत्री ने रूकवा दिया मामला
काक ने अपने रूतबे से निर्घारित अवधि में भूमि की राशि जमा नहीं कराते हुए भी आवासन मण्डल को आवंटन निरस्त करने नहीं दिया। राशि जमा कराने की अंतिम तिथि 15 मार्च 2010 थी। इसके ठीक एक दिन पहले प्रमुख सचिव नगरीय विकास जी.एस.संधु ने मण्डल को निर्देश दिए कि मामले में कार्यवाही सरकार से पूछ कर ही करें।

...और पहली बैठक में ही निपटारा
राज्य मंत्रिमण्डल में आवंटन की सिफारिश के लिए नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में गठित एम्पावर्ड समिति की 30 जून 2011 को हुई पहली ही बैठक में संस्था को भूमि देने का प्रस्ताव रखा गया। तत्कालीन दर के बजाय चार साल पहले की संस्थानिक दर के 10त्न पर भूमि आवंटन की अनुशंसा की गई। राज्य मंत्रिमण्डल ने 12 अगस्त 2011 की आज्ञा में इस पर मुहर लगा दी।

पक्ष दरकिनार
धारीवाल वाली एम्पावर्ड समिति को भेजे गए एजेण्डे में आवासन मण्डल ने स्पष्ट लिखा कि संस्थानिक दर पर पूर्व में जारी आवंटन पत्र के अनुसार राशि जमा कराना ही न्यायसंगत है। संस्था ने निर्घारित समय में राशि जमा नहीं कराई है। लेकिन बैठक में इस पक्ष को दरकिनार कर दिया गया।

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