रामदेवरा मेलार्थियों को लुभाती हैं राजस्थानी पगड़ियाँ
नए लुक में दिखने का मोह हावी रहता है मेलार्थियों पर
- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
जैसलमेर
राजस्थान की आन-बान और शान की प्रतीक राजस्थानी पगड़ी सदियों से लोक जीवन का अहम हिस्सा रही है। सामाजिक रीति-रिवाजों, उत्सवी परम्पराओं और हर तरह के आयोजनों में राजस्थानी पगड़ी का जो आकर्षण बरकरार है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है।
हर बाजार में सजती हैं पगड़ियाँ
रामदेवरा आने वाले देशी एवं विदेशी सैलानियों में लगातार बढ़ती जा रही राजस्थानी पगड़ी की लोकप्रियता ने रामदेवरा को इन पगड़ियों का बड़ा बाजार बना दिया है। जहाँ तैयार रंग-बिरगी व विभिन्न आकर्षक किस्मों की पगड़ियाँ हजारों की संख्या में उपलब्ध हैं।
राजस्थानी पगड़ियों की जबरदस्त मांग की वजह से रामदेवरा में अधिसंख्य दुकानों पर ये बिक्री के लिए रखी गई हैं, चाहे वे किसी भी सामग्री की दुकानें क्याें न हों। इन साफानुमा पगड़ियों को बांधना नहीं पड़ता बल्कि बंधी-बंधायी तैयार मिलने की वजह से इन्हें धारण करना अत्यन्त ही सहज होता है।
सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र
रामदेवरा में इन पगड़ियों का अनोखा संसार ही ऎसा बसा होता है कि सैलानी इन पगड़ियों को पहन कर अपनी अनूठी शान दिखाने का मोह नहीं छोड़ पाते हैं। बात शहरी मेलार्थियों की हो या ग्रामीण क्षेत्रों से आए, सभी में राजस्थानी पगड़ी का जबरदस्त क्रेज होता है।
रामदेवरा में भादवा मेले का समय हो अथवा साल भर की बात, इन पगड़ियों का आकर्षण रामदेवरा में हमेशा छाया रहता है। बड़ी संख्या में सैलानी इन पगड़ियों को रामदेवरा में पहनकर घूमते भी हैं व अपने परिजनों व परिचितों को भेंट करने के लिए यहां से खरीदकर ले भी जाते हैं।
रामदेवरा की दुकानों पर अपने माथे राजस्थानी पगड़ी रख कर सैलानी अपने साथी-संगियों से यह पूछते देखे जा सकते हैं - कैसी लग रही है पगड़ी।
महिलाओं में भी शौक परवान पर
रामदेवरा आए सैलानियों में सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी राजस्थानी पगड़ी पहनने का शौक सर चढ़कर बोलता है। मेले में रामदेवरा के बाजारों से साफा स्टाईल वाली ये सैकड़ों पगड़ियाँ रोज बिकती हैं।
शीतकालीन अवकाश और नया साल मनाने यहां आने वाले सैलानियों के साथ ही विदेशी स्त्री-पुरुष पर्यटकों के लिए भी रंग-बिरंगी पगड़ियां पहनने का आकर्षण खूब रहता है।
रामदेवरा से निकली यह राजस्थानी पगड़ियां सैलानियों के साथ देश के कोने-कोने में पहुँच कर राजस्थानी लोक संस्कृति की मेहमानवाजी परम्परा का जयगान कर रही है।
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