शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

अब इंजीनियरिंग मंे बेटियांे की उंची उड़ान






नवनिर्माण की नई इबारत की तैयारी

-अब इंजीनियरिंग मंे बेटियांे की उंची उड़ान

बाड़मेर। एक जमाना हुआ करता था जब राजस्थान के दूसरे इलाकांे की तरह रेतीले थार मंे बेटियांे कोचुल्हे चौके की जद तक ही सीमित रखा जाता था। लेकिन बदले वक्त और बदली बयार मंे थार की बेटियांेने अपने कदम घर की चौखट से बढाकर हर उस क्षेत्र मंे रख दिए है जिससे बरसांे से पुरूषांे के दबदबे काकहा जाता रहा है। चाहे वह प्रशासनिक सेवा हो, राजनीति हो या फिर शनिवार 15 सितंबर को मुल्क पूरा जिसदिवस को मनाने जा रहा है वह इंजीनीयरिंग का कार्य क्षेत्र हो। बेटियों ने देरी से ही सही इस क्षेत्र में अपनेकदम रख कर यह साबित कर दिया है कि वह भी किसी से कम नहीं है।

अपनी पढ़ाई की शुरूआत से ही गणित में महारथ हासिल कर अपने सहपाठियों में सबसे ज्यादा चुनौती पूर्णकैरियर को चुनने वाली स्नेहा राजपुरोहित आज राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड 132 केवीमें कनिष्ट अभियंता पद पर कार्यरत है। इंजीनियर स्नेहा जहां अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के पीछे अपनेपरिवार वालों की प्रेरणा को आधार मानती है वहीं बाड़मेर को विद्युत संपन्न देखने का इनका सपना है औरइस सपने में वह इंजीनियर बनकर सहभागी बन पाई है उन्हें इस बात की खुशी है।

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के राजस्व वितरण शाखा में कार्यरत इंजीनियर आरती परिहार का माननाहै कि बालक-बालिका एक समान की बात को अगर कोई परिजन हर वक्त अपने जेहन में रखे तो बेटियां यहसाबित कर सकती है वह किसी से कम नहीं है। अपने विभाग के कार्य में हर वक्त अपना सर्वश्रेष्ठ देने कामानस रखने वाली आरती आने वाले कल को बेटियों का वक्त बताती है।

जोधपुर डिस्कॉम में कनिष्ट अभियंता पद पर कार्यरत तृप्ति शर्मा अपने पिता के सपने को साकार करने केलिए इंजीनियरिंग के पैसे में आई और आज वह अपनी बहनों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। तृप्ति बताती है किअगर कोई बेटी किसी क्षेत्र को अपना कर्म क्षेत्र बनाना चाहे तो बस सच्चे मन से की गई मेहनत और परिजनोंका दिया गया हौंसला यकिनन उसे सफल बना देता है।

वहीं जोधपुर डिस्कॉम में ही कार्यरत इंजीनियर प्रगति इस बात को स्वीकारती है कि बीता हुआ वक्त बेटियोंपर पाबंदियों का वक्त था, लेकिन आज का समय आजादी का एहसास करवाने वाला है। बेटियों ने जहां हर क्षेत्रमें अपना लोहा मनवाया है वहीं बरसों तक अछुता रहा इंजीनियरिंग का क्षेत्र भी अब बेटियों की सफलता कीकहानी कहता है। प्रगति बताती है कि आज का युग मेहनत का युग है और मेहनत करने वाला हर कोईसफल हो सकता है।

बरसों पहले इंजीनियर डे के आधार मोक्षगुंडम विश्वेश्वरइया ने जिस सपने को देखा था वह सपना आज इन बेटियों के होसले को देखकर यकीन सार्थक होता नजर आ रहा है। इन बेटियांे के आज के काम की बानगीदेखकर मन ही मन इस बात का अहसास होता है कि आने वाला कल इनका ही होगा।

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