शनिवार, 15 सितंबर 2012

याद किया भारत रत्न मोक्ष गुंडम विश्वेश्वरैया को



याद किया भारत रत्न मोक्ष गुंडम विश्वेश्वरैया को ...

इंजीनियर डे पर आयोजित हुए कई कार्यक्रम

बच्चों ने कल े सपने को कागज पर उेरा


बाड़मेर 15 सितम्बर। आज के जमाने में किसी भी इमारत या फिर सफलता की बड़ी इबारत के पीछे अभियांत्रिकी का सबसे बड़ा हाथ माना जाता है। इतिहास में दर्ज बड़ीबड़ी सफलताएं हर मर्तबा अभियांत्रिकी पर आधारित रहती है। और इस बात में कोई शक नहीं है, देश के विकास में अभियांत्रिकी हर बार स्वर्ण अक्षरों में अंकित होती है। इसी बात को आधार बनाकर शहर में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग ने मोक्ष गुंडम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस को अभियांत्रिकी दिवस के रुप में आयोजित किया। सीसीडीयू के आईईसी कन्सलटेंट अशोकसिंह ने बताया कि 15 सितंबर का दिन भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वश्वरैया का जन्म दिवस है। इनकी उपलिब्धयां और उनकी सफलता के आयाम विश्व भर में भारत का नाम ऊंचा करने वाले रहे है। ऐसे में भावी पीि को इने जीवन वृतांत से रुबरु करवाने के लिए अभियांत्रिकी दिवस का आयोजन शहर के विभिन्न विद्यालयों में किया गया। स्थानीय भीम विद्या मंदिर नेहरु नगर में प्रबंध निदेशक प्रेम परिहार के मुख्यआतिथ्य में बच्चों ने मोक्ष गुंडम विश्वश्वरैया को पुष्पांजली अर्पित कर याद दिलाया। इसी तरह भीम विद्या मंदिर तिलक नगर में भी पुष्पांजली अर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कल के सपने कागज पर उतरे वर्ष 1860 की 15 सितंबर को इस दुनिया में कदम रखकर विश्व भर में अभियांत्रिकी के परचम को लहराने वाले मोक्ष गुंडम विश्वश्वरैया के जन्म दिवस के अवसर पर सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा शहर में विभिन्न विद्यालयों में चित्रकला, प्रश्नोतरी और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रश्नोतरी में जहां बच्चों ने अभियांत्रिकी से जुड़े विभिन्न सवालों के सटिक जवाब दिए वहीं चित्रकला और निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से अपने आने वाले कल को कागज पर उेरा। बच्चों ने न केवल चित्रों के माध्यम से अपने सपनों की ऊंची उड़ान को कूंची का सहारा दिया वहीं निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से अपनी भावनाओं को उकेरा।

इन प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय रहने वालों को सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इन प्रतियोगिताओं में लक्ष्मी चौधरी, प्रीति परिहार, पृथ्वीराज सेवड़ और उदाराम परिहार ने निर्णायक की भूमिका अदा की वहीं डालूराम सेजू और मानाराम ग़वीर ने प्रतियोगिताओं के सफल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

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