फूटा महंगाई बम,बिगड़ेगा बजट
नई दिल्ली। गृहणियों, किसानों और परिवहन सेवाओं पर व्रजपात करते हुए मनमोहन सिंह सरकार ने गुरूवार को उन पर करीब 25 हजार करोड़ रूपए का आर्थिक बोझ डाला तथा डीजल की कीमतों में 5 रूपए प्रति लीटर की एक बारगी की सबसे अधिक बढ़ोतरी कर दी। साथ ही रसोई गैस की आपूर्ति को सीमित करते हुए साल में सब्सिडी वाले केवल छह सिलेंडरों की सीमा तय कर दी। डीजल की दरों में बढ़ोतरी आधी रात से लागू हो गई।
अब साल भर में छह सिलेंडर से ज्यादा उपभोग करने वालों को सातवां सिलेंडर 700-800 रूपए में मिलेगा। मोटे रूप से एक सामान्य परिवार में 14.2 किलोग्राम का रसोई गैस का सिलेंडर लगभग एक माह चलता है। इस प्रकार जरूरत को पूरा करने के लिए लोगों को पांच से छह सिलेंडर बाजार दाम पर खरीदने होंगे। इतना ही बल्कि एलपीजी के दाम भी हर महीने तय होंगे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने बताया कि डीजल के दाम पांच रूपए लीटर बढ़ाने का फैसला किया गया है। रेड्डी ने बताया कि रसोई गैस और मिट्टी के तेल के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं, किंतु अब उपभोक्ता को साल में केवल छह सिलेंडर सबसिडी पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे अधिक सिलेंडर के लिए उपभोक्ता को बाजार दर पर इसे खरीदना पडेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां लागत से कम कीमत पर हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए सरकार से सब्सिडी देने अथवा दाम बढ़ाने का आग्रह कर रही थी। कंपनियों का कहना है कि फिलहाल डीजल पर 19 रूपए प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। रसोई गैस के 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर पर अंडर रिकवरी 347 रूपए और मिट्टी के तेल पर 32.70 रूपए प्रति लीटर है।
सरकार ने पिछले साल जून में ही डीजल के दाम तय करने के लिए इसे प्रशासनिक मूल्य प्रणाली से अलग करने का फैसला लिया था, किंतु इसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। पेट्रोल के दाम जून 2010 में ही प्रशासनिक मूल्य प्रणाली से अलग कर दिए गए थे और इसके बाद से कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों के आधार पर इसमें हर पखवाडे संशोधन करने का फैसला करती हैं।
सरकार की चांदी
19000 करोड़ रूपए सरकार कमाएगी डीजल
की बढ़ी कीमतों से 2000 करोड़ रूपए लगभग सिलेंडर सब्सिडी हटाने से होगी कमाई
तीन साल में 16 रूपए बढ़े डीजल के दाम
संप्रग-2 सरकार ने पिछले तीन साल में अब तक 7 बार डीजल के दामों में बढ़ोतरी की है। इस दौरान दिल्ली में डीजल के दाम 30.86 रूपए प्रति ली. से बढ़कर 46.95 रूपए तक पहुंच गए हैं।
यह होगा असर
परिवहन खर्च बढ़ेगा, क्योंकि ट्रक-बस डीजल से ही चलती हैं।
खाने-पीने की चीजें महंगी होंगी। लोडिंग व शिफ्टिंग खर्च भी बढ़ेगा।
सिंचाई की कीमत बढेगी, भरपाई अनाज के दाम बढ़ाकर।
मार्च तक सिर्फ तीन सस्ते सिलेंडर मिलेंगे छह माह तीन से ही काम चलाना होगा।
नई दिल्ली। गृहणियों, किसानों और परिवहन सेवाओं पर व्रजपात करते हुए मनमोहन सिंह सरकार ने गुरूवार को उन पर करीब 25 हजार करोड़ रूपए का आर्थिक बोझ डाला तथा डीजल की कीमतों में 5 रूपए प्रति लीटर की एक बारगी की सबसे अधिक बढ़ोतरी कर दी। साथ ही रसोई गैस की आपूर्ति को सीमित करते हुए साल में सब्सिडी वाले केवल छह सिलेंडरों की सीमा तय कर दी। डीजल की दरों में बढ़ोतरी आधी रात से लागू हो गई।
अब साल भर में छह सिलेंडर से ज्यादा उपभोग करने वालों को सातवां सिलेंडर 700-800 रूपए में मिलेगा। मोटे रूप से एक सामान्य परिवार में 14.2 किलोग्राम का रसोई गैस का सिलेंडर लगभग एक माह चलता है। इस प्रकार जरूरत को पूरा करने के लिए लोगों को पांच से छह सिलेंडर बाजार दाम पर खरीदने होंगे। इतना ही बल्कि एलपीजी के दाम भी हर महीने तय होंगे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने बताया कि डीजल के दाम पांच रूपए लीटर बढ़ाने का फैसला किया गया है। रेड्डी ने बताया कि रसोई गैस और मिट्टी के तेल के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं, किंतु अब उपभोक्ता को साल में केवल छह सिलेंडर सबसिडी पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे अधिक सिलेंडर के लिए उपभोक्ता को बाजार दर पर इसे खरीदना पडेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां लागत से कम कीमत पर हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए सरकार से सब्सिडी देने अथवा दाम बढ़ाने का आग्रह कर रही थी। कंपनियों का कहना है कि फिलहाल डीजल पर 19 रूपए प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। रसोई गैस के 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर पर अंडर रिकवरी 347 रूपए और मिट्टी के तेल पर 32.70 रूपए प्रति लीटर है।
सरकार ने पिछले साल जून में ही डीजल के दाम तय करने के लिए इसे प्रशासनिक मूल्य प्रणाली से अलग करने का फैसला लिया था, किंतु इसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। पेट्रोल के दाम जून 2010 में ही प्रशासनिक मूल्य प्रणाली से अलग कर दिए गए थे और इसके बाद से कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों के आधार पर इसमें हर पखवाडे संशोधन करने का फैसला करती हैं।
सरकार की चांदी
19000 करोड़ रूपए सरकार कमाएगी डीजल
की बढ़ी कीमतों से 2000 करोड़ रूपए लगभग सिलेंडर सब्सिडी हटाने से होगी कमाई
तीन साल में 16 रूपए बढ़े डीजल के दाम
संप्रग-2 सरकार ने पिछले तीन साल में अब तक 7 बार डीजल के दामों में बढ़ोतरी की है। इस दौरान दिल्ली में डीजल के दाम 30.86 रूपए प्रति ली. से बढ़कर 46.95 रूपए तक पहुंच गए हैं।
यह होगा असर
परिवहन खर्च बढ़ेगा, क्योंकि ट्रक-बस डीजल से ही चलती हैं।
खाने-पीने की चीजें महंगी होंगी। लोडिंग व शिफ्टिंग खर्च भी बढ़ेगा।
सिंचाई की कीमत बढेगी, भरपाई अनाज के दाम बढ़ाकर।
मार्च तक सिर्फ तीन सस्ते सिलेंडर मिलेंगे छह माह तीन से ही काम चलाना होगा।
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