क्रोध से विवेक का नाश होता है'
बालोतरा
अनंत विभूषित ब्रह्मा सावित्री पीठाधीश्वर के 32 वें चातुर्मास व्रतोत्सव में सवेरे एवं शाम को वेदांताचार्य श्री ध्याना राम महाराज के श्रीमुख से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने हजारों भाविक ब्रह्मधाम आए रहे हैं। ब्रह्मधाम पर भाविकों को कथा श्रवण के साथ ब्रह्माजी, गुरु महाराज खेताराम महाराज के वैकुंठधाम के दर्शन के साथ पीठाधीश्वर तुलछाराम महाराज के दर्शन व आशीर्वाद का लाभ मिल रहा है। शुक्रवार की कथा में वेदांताचार्य ध्याना राम ने गरुड़ एवं कालिया नाग की कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि व्यक्ति में अगर घमंड भाव आ जाता है तो उसमें दूसरा अवगुण क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध के उत्पन्न होने से विवेक स्वत:: नष्ट हो जाता है। जब व्यक्ति का विवेक नष्ट होता है तो वह दिशा भ्रमित होकर अनीति के रास्ते पर चलने लगता है।
उन्होंने कहा कि आखिर अनीति का फल कुल यश को नष्ट कर उसे भवसागर में भटकने के लिए छोड़ देता है। कथा में अन्य उदाहरण श्रीकृष्ण एवं गोपियों का देते हुए कहा कि जीवन पुरुषत्व को भूला कर प्रकृति बना हुआ है। स्थूल शरीर व सूक्ष्म शरीर ये दो उसके आवरण है। शास्त्रों में इन्हें अपरा व परा प्रकृति रूप से जाना जाता है। जब व्यक्ति भगवत्प्राप्ति की इच्छा से साधना प्रारंभ करता है तो भगवान कृपा कर उसके उक्त दोनों वस्त्र हर लेता है। जिससे जीव का देहाभिमान निवृत हो जाता है और वह विशुद्ध चित होकर ईश्वर से मिलने का अधिकारी हो जाता है। अत: हमें जीवन में निर्मल भाव से जगत के साथ रहना सीखना चाहिए। यही हमारे जीवन की मुख्य साधना है। महामंत्री भंवरसिंह कनाना ने बताया कि गुरु महाराज के 32 वें चातुर्मास समापन समारोह के अवसर पर 27 सितंबर तक गायत्री महायज्ञ का वैदिक विधि से आयोजन होगा। 29 सितंबर को रात्रि में जागरण का आयोजन किया जाएगा। 30 सितंबर को दोपहर 2 बजे चातुर्मास व्रतोत्सव का समापन समारोह का आयोजन किया जाएगा। समारोह के बाद गुरु महाराज तुलछाराम महाराज, गुरुदेव खेताराम महाराज के वैकुंठधाम, ब्रह्माजी को आशीर्वचन प्रदान करेंगे। अनन्त चतुर्दशी को गुरु महाराज श्री तुलछाराम महाराज का 60 वां जन्म दिवस हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें