शनिवार, 1 सितंबर 2012

प्रसव के दौरान अस्‍पताल में बनाया महिला का एमएमएस!

प्रसव के दौरान अस्‍पताल में बनाया महिला का एमएमएस!  प्रसव के दौरान अस्‍पताल में बनाया महिला का एमएमएस! 

दुर्ग. छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर आजकल एक अश्‍लील पूल पार्टी आयोजित होने के चलते विवाद और चर्चा में है ही, अब दुर्ग में भी शर्मसार होने वाली एक घटना सामने आई है। यहां के जिला अस्पताल के कर्मचारियों पर एक महिला का प्रसव के दौरान एमएमएस बनाने का आरोप लगा है। हद तो यह है कि आरोपों से नाराज अस्पतालकर्मी मरीजों की जान से खेलने लगे हैं। डॉक्टर्स भी उनका साथ दे रहे हैं। शुक्रवार को अस्‍तपाल के तमाम कर्मचारी और डॉक्‍टर, दोनों कुछ घंटों के लिए हड़ताल पर चले गए। सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक अस्पताल में काम ठप रहा। इस दौरान आए मरीजों, यहां तक कि प्रसव के लिए आईं महिलाओं को भी लौटा दिया गया।


27 अगस्त को कैंप-1 भिलाई की शबनम बानो को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। प्रसव वार्ड में डॉक्टर समेत 11 लोग थे। शबनम की जेठानी खुर्शीद ने यह शिकायत की थी कि शबनम के प्रसव के दौरान वहां मौजूद अस्पताल के स्टाफ द्वारा मोबाइल से वीडियो क्लिपिंग तैयार की जा रही थी। इसका विरोध करने पर वहां मौजूद स्टाफ नर्स ने उनके साथ बदसलूकी की और धमकाया। मामले में 29 अगस्त को खुर्शीद की रिपोर्ट पर 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चार को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। अस्पताल प्रबंधन ने उसी दिन 7 लोगों को सस्पेंड कर दिया। अब अस्‍पताल के डॉक्‍टर्स और कर्मचारी निलंबन का विरोध कर रहे हैं।
विरोध में दोनों स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन और डॉक्टर्स के संगठन एक हो गए हैं। शुक्रवार को चिकित्सा अधिकारी संघ, छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ व स्वास्थ्य एवं बहुद्देशीय कर्मचारी संघ ने एकजुट होकर जिला अस्पताल से रैली निकाली और नारेबाजी करते हुए कलेक्टरेट पहुंचे। अस्पताल में कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सभी निलंबित कर्मचारियों व इंटर्नशिप करने वाले स्टूडेंट्स का निलंबन वापस नहीं लिया गया तो सोमवार को फिर रैली निकालकर विरोध करेंगे।
डॉक्‍टर्स और कर्मचारी दोपहर 12 बजे ड्यूटी पर लौटे। इस दौरान मरीजों को खासी परेशानी हुई। इमरजेंसी के लिए तैनात डॉक्टर्स ने सामान्य मरीजों की जांच न कर उन्हें बैरंग लौटा दिया। इस बीच प्रसव के लिए आईं दो मरीजों को भी सीधे लौटा दिया गया। डॉक्‍टर और कर्मचारी हड़ताल को जायज ठहरा रहे हैं वहीं सिविल सर्जन का कहना है कि आरोपों की जांच करवाई जा रही है और जल्‍द ही स्थिति साफ हो जाएगी। 
 कर्मचारियों ने यह भी मांग की कि यदि जांच में एमएमएस बनाने की बात गलत साबित होती है तो शिकायत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। जचकी के दौरान काम में बाधा डाली गई। वहां 6 महिलाएं भर्ती थीं। व्यवधान होने से अगर किसी के साथ अप्रिय स्थिति निर्मित होती तो इसका जवाबदार कौन होता। ऐसी हालत में तो कर्मचारी असुरक्षित रहेंगे। कर्मचारियों के बारे में कोई नहीं बोल रहा है। सब अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने में लगे हैं। गलत रंग देकर राजनीति से जुड़े लोगों ने बहुत गलत किया है।   चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल अग्रवाल ने कहा कि एमएमएस बनाने का आरोप बेबुनियाद है। इसे बेवजह तूल दिया गया, जिससे डॉक्टर्स व कर्मचारियों का मनोबल गिरा है। जिला अस्पताल की छवि को आघात लगा है। केवल आरोप लगाने पर ही अस्पताल प्रबंधन ने 11 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया। बेहतर होता कि जांच के बाद कार्रवाई की जाती।



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