पुलिस की हिरासत में जयपुर की महापौर
जयपुर। नगर निगम में भाजपा पार्षदों के रवैये और सीईओ समेत निगम अफसरों पर कार्रवाई की मांग को लेकर इंदिरा गांधी सर्कल पर धरने पर बैठी महापौर ज्योति खंडेलवाल ने जब गांधी प्रतिमा की ओर कूच किया,तो पहले तो पुलिस ने रोका। और फिर हिरासत में ले लिया।
जानकारी के अनुसार महापौर को गांधी प्रतिमा से रोकने के बाद भी जब महापौर अपने समर्थकों के साथ आगे बढ़ने की जिद पर अड़ी रहीं,तो पुलिस ने उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाया और गांधी सर्कल तक पहुंचाने की बात कहते हुए उन्हें हिरासत में लेकर निकल पड़े।
बताया जाता है कि जब महापौर के साथ जा रही पार्षद मंजू शर्मा ने गाड़ी को दूसरे रास्ते जाते देखा, तो पूछा कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। इस पर पुलिस ने बताया कि उन्हें कानोता के पास कहीं छोड़ा जाएगा। एसीपी योगेश दाधीच के मुताबिक, चूंकि महापौर ने लिखित में अपने कार्यक्रम की सूचना नहीं दी थी लिहाजा जब वे गांधी सर्कल की ओर बढ़ीं, तो उन्हें रोकना पड़ा। फिलहाल हम उन्हें कानोता छोड़ने के लिए ले जा रहे हैं।
गौरतलब है कि नगर निगम बोर्ड की 14 वीं बैठक में हुए हंगामे के बाद महापौर ने आज सुबह गांधी सर्कल पर धरना देने की घोषणा की थी। महापौर इंदिरा सर्कल से गांधी सर्किल तक रैली निकालने वाली थीं लेकिन भीड़ नहीं जुटने पर महापौर ने इंदिरा सर्कल पर ही धरना शुरू कर दिया। इस धरने के लिए महापौर ने सभी कांग्रेसी पाष्ाüदों, विधायक एवं सांसद को भी बुलाया था लेकिन अधिकांश पाष्ाüद नहीं पहुंचे। महापौर मोबाइल से फोन पर फोन करती रहीं लेकिन अधिकतर पार्षद दूर ही रहे।
मेयर के साथ सिर्फ 4 पार्षद!
भाजपाई पाष्ाüदों के रवैये और अधिकारियों के खिलाफ मोर्चाबंदी करने की नीयत से गांधी सर्कल पर धरना देने की घोषणा कर चुकी महापौर तब अचकचा गई, जब उन्हें धरनास्थल पर पर्याप्त संख्या में समर्थक ही नहीं दिखे। उन्हें तब बेहद मायूसी हुई जब उनके साथ महज तीन निर्वाचित व एक मनोनीत सहित कुल चार पार्षद ही कार्यक्रम में जुट सके। इससे महापौर के साथ कितने लोगों का समर्थन है, यह सवाल आम कांग्रेसियों में भी चर्चा का विषय बना रहा।
नहीं थी अनुमति
महापौर ने धरने के लिए पुलिस से अनुमति नहीं ली थी। इसलिए पुलिस उन्हें गांधी सर्कल की ओर बढ़ने से रोका। शांति व्यवस्था कायम करने के लिहाज से यह कार्रवाई की गई।
जयपुर। नगर निगम में भाजपा पार्षदों के रवैये और सीईओ समेत निगम अफसरों पर कार्रवाई की मांग को लेकर इंदिरा गांधी सर्कल पर धरने पर बैठी महापौर ज्योति खंडेलवाल ने जब गांधी प्रतिमा की ओर कूच किया,तो पहले तो पुलिस ने रोका। और फिर हिरासत में ले लिया।
जानकारी के अनुसार महापौर को गांधी प्रतिमा से रोकने के बाद भी जब महापौर अपने समर्थकों के साथ आगे बढ़ने की जिद पर अड़ी रहीं,तो पुलिस ने उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाया और गांधी सर्कल तक पहुंचाने की बात कहते हुए उन्हें हिरासत में लेकर निकल पड़े।
बताया जाता है कि जब महापौर के साथ जा रही पार्षद मंजू शर्मा ने गाड़ी को दूसरे रास्ते जाते देखा, तो पूछा कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। इस पर पुलिस ने बताया कि उन्हें कानोता के पास कहीं छोड़ा जाएगा। एसीपी योगेश दाधीच के मुताबिक, चूंकि महापौर ने लिखित में अपने कार्यक्रम की सूचना नहीं दी थी लिहाजा जब वे गांधी सर्कल की ओर बढ़ीं, तो उन्हें रोकना पड़ा। फिलहाल हम उन्हें कानोता छोड़ने के लिए ले जा रहे हैं।
गौरतलब है कि नगर निगम बोर्ड की 14 वीं बैठक में हुए हंगामे के बाद महापौर ने आज सुबह गांधी सर्कल पर धरना देने की घोषणा की थी। महापौर इंदिरा सर्कल से गांधी सर्किल तक रैली निकालने वाली थीं लेकिन भीड़ नहीं जुटने पर महापौर ने इंदिरा सर्कल पर ही धरना शुरू कर दिया। इस धरने के लिए महापौर ने सभी कांग्रेसी पाष्ाüदों, विधायक एवं सांसद को भी बुलाया था लेकिन अधिकांश पाष्ाüद नहीं पहुंचे। महापौर मोबाइल से फोन पर फोन करती रहीं लेकिन अधिकतर पार्षद दूर ही रहे।
मेयर के साथ सिर्फ 4 पार्षद!
भाजपाई पाष्ाüदों के रवैये और अधिकारियों के खिलाफ मोर्चाबंदी करने की नीयत से गांधी सर्कल पर धरना देने की घोषणा कर चुकी महापौर तब अचकचा गई, जब उन्हें धरनास्थल पर पर्याप्त संख्या में समर्थक ही नहीं दिखे। उन्हें तब बेहद मायूसी हुई जब उनके साथ महज तीन निर्वाचित व एक मनोनीत सहित कुल चार पार्षद ही कार्यक्रम में जुट सके। इससे महापौर के साथ कितने लोगों का समर्थन है, यह सवाल आम कांग्रेसियों में भी चर्चा का विषय बना रहा।
नहीं थी अनुमति
महापौर ने धरने के लिए पुलिस से अनुमति नहीं ली थी। इसलिए पुलिस उन्हें गांधी सर्कल की ओर बढ़ने से रोका। शांति व्यवस्था कायम करने के लिहाज से यह कार्रवाई की गई।
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