शनिवार, 22 सितंबर 2012

पाक विस्थापितों को नागरिकता का इंतजार

पाक विस्थापितों को नागरिकता का इंतजार

जोधपुर। पाकिस्तान में उत्पीड़न से परेशान होकर भारत आए सात हजार लोग नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा पांच हजार विस्थापित अकेले जोधपुर में हैं। सरकार ने अब इनकी नागरिकता के लिए जिला प्रशासन को आवेदन भरवाकर कर भिजवाने के निर्देश दिए हैं।

फारेनर रजिस्ट्रेशन अधिकारी और विस्थापितों के पुनर्वास से जुड़े सीमांत लोक संगठन के अनुसार कुल सात हजार पाक विस्थापित बिना नागरिकता के रह रहे हैं। इनमें जोधपुर शहर में पांच हजार विस्थापित हैं। शेष जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, पाली, जालोर, सिरोही व कुछ अजमेर व जयपुर मे रह रहे हैं।

यह है प्रक्रिया
पाकिस्तान से लोग धार्मिक, भ्रमण और व्यावसायिक वीजा पर भारत पहुंचते हैं। धार्मिक और व्यावसायिक वीजा एक-एक माह के लिए और भ्रमण वीजा तीन माह के लिए मिलता है। जो व्यक्ति वापस पाकिस्तान नहीं जाना चाहते वे पुलिस विभाग (सतर्कता) के फॉरेनर रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एफआरओ) के यहां स्थाई वास की अनुमति के लिए आवेदन करते हैं। यहां से पूरी जांच कर उनका आवेदन गृह मंत्रालय को भेजा जाता है।

प्रारम्भिक तौर पर उनकी छह माह की वीजा अनुमति बढ़ा दी जाती है। यहां सात साल नियमित रहने पर उन्हें भारत की नागरिकता दी जाती है। बच्चों से बड़ों तक अलग-अलग श्रेणी के लिए तीन हजार रूपए से
बीस हजार रूपए तक नागरिकता फीस है।

विस्थापितों से नागरिकता आवेदन लेने की सतत प्रक्रिया है। जो पाक विस्थापित सात साल से यहां रह रहे हैं, उनके आवेदन हम गृह मंत्रालय को आगे भेजते हैं। गृह मंत्रालय की ओर से मिले निर्देशों के अनुसार काम किया जाता हैं।
रमेश कुमार जैन, संभागीय आयुक्त, जोधपुर।

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