किशोर कुमार के जन्मदिन पर विशेष :-
किशोर कुमार जैसा और कन्हा
तेरे जैसा यार कहा कहा ऐसा याराना ये महज एक गीत है नहीं किशोर कुमार का व्यक्तित्व भी है . आज हिन्दी सिनेमा जगत में शायद ही कोई ऐसा युवा गायक हो जो किशोर कुमार से प्रभावित ना हो. किशोर कुमार, एक ऐसी शख्सियत थे जिसमें बहुमुखी प्रतिभा होने के साथ वह सब था जिसकी वजह से लोग उन्हें महान मानते थे. एक गायक और अभिनेता होने के साथ किशोर कुमार ने लेखक, निर्देशक, निर्माता और संवाद लेखक तक की भूमिका निभाई. सिर्फ हिन्दी ही नहीं बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़ जैसी कई फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा. एक बेहतरीन गायक होने के साथ किशोर कुमार को उनकी कॉमेडियन अदाकारी के लिए आज भी याद किया जाता है.
बिना संगीत सीखे इस इंसान ने हिन्दी संगीत जगत में वह स्थान बनाया है जहां लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. अक्सर युवा पीढ़ी को पुराने जमाने के गानों से दूरी बनाने की आदत है लेकिन जब नाम किशोर कुमार का आता है तो वह भी खिंचे चले आते हैं. किशोर कुमार का जीवन भी किसी फिल्मी किरदार से कम नहीं. बिना पैसा लिए काम न करने वाले इस गायक ने कई बार युवा संगीतकारों की मदद की और नए फिल्मकारों के लिए मुफ्त में गाने भी गाए. उनके अभिनय को फिल्मकार फिल्मों में ज्यादा उतार तो नहीं पाए लेकिन उनकी आवाज आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है.
किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था. उनका बचपन का नाम आभास कुमार गांगुली था. 4 अगस्त, 1929 को जन्मे आभास कुमार ने फिल्मी दुनियां में अपनी पहचान किशोर कुमार के नाम से बनाई. किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडावा के बहुत बड़े वकील थे. किशोर कुमार अपने भाई-बहनों में दूसरे स्थान पर थे. किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार और अनूप कुमार भी बॉलिवुड से ही जुड़े थे. जिस समय किशोर कुमार ने अपना कॅरियर शुरू किया उस समय उनके भाई अशोक कुमार का कॅरियर बन चुका था.
किशोर कुमार का कॅरियर
जब बड़े भाई अशोक कुमार का फिल्मी कॅरियर बन चुका था तब उनके परिवार का मुंबई आना-जाना होने लगा. इसी दौरान उन्होंने अपना नाम आभास कुमार से किशोर कुमार रख लिया. फिल्म “बॉम्बे टॉकीज” से किशोर कुमार ने अपने गायन कॅरियर की शुरुआत की. इस फिल्म में उन्होंने पार्श्व गायक की भूमिका निभाई. 1946 में आई फिल्म “शिकारी” उनकी पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें उन्होंने अभिनेता की भूमिका निभाई थी. इसके बाद 1948 में फिल्म “जिद्दी” में उन्होंने देव आनंद के लिए गाना गाया था. फिल्म में किशोर कुमार के काम की बहुत प्रशंसा हुई और उनको कई अन्य कार्य भी मिले.
इसके बाद 1949 में किशोर कुमार मुंबई में ही बस गए. 1951 में फिल्म “आंदोलन” में उन्होंने अभिनेता की भूमिका निभाई. यह फिल्म फ्लॉप रही और इसके बाद से ही किशोर कुमार ने फिल्मों में अभिनय से ज्यादा अपनी गायकी पर जोर दिया. हालांकि उनके भाई अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर कुमार अभिनय पर ध्यान देकर उनकी तरह एक सफल अभिनेता बनें.
1954 में उन्होंने बिमल राय की ‘नौकरी’ में एक बेरोजगार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी ज़बर्दस्त अभिनय प्रतिभा से भी परिचित कराया. इसके बाद 1955 में बनी “बाप रे बाप”, 1956 में “नई दिल्ली”, 1957 में “मि. मेरी” और “आशा”, और 1958 में बनी “चलती का नाम गाड़ी” जिसमें किशोर कुमार ने अपने दोनों भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया.
संगीत निर्देशक आर.डी. बर्मन ने किशोर कुमार के कॅरियर को बनाने में बहुत मदद की थी. आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने ‘मुनीम जी’, ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘फंटूश’, ‘नो दो ग्यारह’, ‘पेइंग गेस्ट’, गाइड’, ‘ज्वेल थीफ़’, ‘प्रेमपुजारी’, ‘तेरे मेरे सपने’ जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया.
एक अनुमान के अनुसार किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने कॅरियर के दौरान करीब 574 से अधिक फिल्मों में गाने गाए. किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया. फिल्म “पड़ोसन” उनके कॅरियर की एक बेमिसाल फिल्म रही है. इस फिल्म में जिस तरह का मस्तमौला किरदार उन्होंने निभाया वैसा वह अपनी असल जिंदगी में भी थे.
किशोर कुमार की खासियत यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों.
“किशोर से सावधान”
किशोर कुमार का व्यक्तित्व मनमौजी किस्म का था. हमेशा मस्त रहने वाले किशोर कुमार अपनी जन्मभूमि खंडावा से बहुत प्रेम करते थे. एक और बात जिसकी वजह से लोग किशोर कुमार को अधिकतर फिल्मकार पसंद नहीं करते थे वह थी बिना पैसा लिए काम न करने की आदत. वह तब तक किसी गाने की रिकॉर्डिंग नहीं करते थे जब तक उन्हें पैसा नहीं मिल जाता था.
एक वाकए के अनुसार, जब एक फिल्म की शूटिंग के दौरान निर्माता ने उन्हें पहले पूरे पैसे नहीं दिए तो वह फिल्म के सेट पर आधे चेहरे पर ही मेक-अप लगाकर पहुंच गए और पूछने पर कहने लगे कि “आधा पैसा तो आधा मेक-अप.” एक और बहुत ही हास्य घटना के अनुसार जब निर्माता आर.सी. तलवार ने उनके पैसे नहीं दिए तो वह हर दिन तलवार के घर सुबह-सुबह पहुंच कर बाहर से ही चिल्लाने लगते “हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार.”
हालांकि उनका उसूल था कि पैसा नहीं तो काम नहीं पर कई बार उन्होंने निर्माताओं के लिए फ्री में भी गाना गाए हैं. किशोर कुमार बहुत ही दयावान और दूसरों की मदद के लिए भी जाने जाते थे. काफी लोग उनके अक्खड़ और मस्तमौला व्यवहार की आलोचना भी करते थे लेकिन वह किसी की परवाह नहीं करते थे. अपने घर के बाहर उन्होंने “किशोर से सावधान” का बोर्ड लगा रखा था.
किशोर कुमार और फिल्मफेयर का रिकॉर्ड
किशोर कुमार बतौर पार्श्वगायक आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. सबसे पहले उन्हें वर्ष 1969 में “आराधना” फिल्म के गाने ‘रूप तेरा मस्ताना’ गाने के लिये सर्वश्रेष्ठ गायक का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया था.
इसके बाद वर्ष 1975 में फिल्म “अमानुष” के गाने ‘दिल ऐसा किसी ने मेरा .. के साथ वर्ष 1978 में “डॉन” के गाने ‘खाइके पान बनारस वाला’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड मिला. वर्ष 1980 में फिल्म “हजार राहे जो मुड़ के देखी” के गाने “थोड़ी सी बेवफाई .. सहित वर्ष 1982 में फिल्म “नमक हलाल” के गाने ‘पग घुंघरू बांध मीरा नाची’ थी… के लिए भी उन्हें सम्मानित किया गया.वर्ष 1983 में फिल्म “अगर तुम न होते “ के गाने ‘अगर तुम न होते’ और वर्ष 1984 में फिल्म “शराबी” के सुरहिट गाने ‘मंजिलें अपनी जगह है’ सहित वर्ष 1985 में फिल्म “सागर” के ‘सागर किनारे दिल ये पुकारे’ गाने के लिये भी किशोर कुमार सर्वश्रेष्ठ गायक के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए.
किशोर कुमार के प्रेम की गाड़ी
जिंदगी के हर क्षेत्र में मस्तमौला रहने वाले किशोर कुमार के लिए उनकी लव लाइफ भी बड़ी अनोखी थी. प्यार, गम और जुदाई से भरी उनकी जिंदगी में चार पत्नियां आईं. किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई. इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया. जिस समय किशोर कुमार ने मधुबाला को शादी के लिए प्रपोज किया था वह बीमार थीं और लंदन इलाज के लिए जा रही थीं. 1960 में किशोर कुमार और मधुबाला ने शादी कर ली जिसके लिए किशोर कुमार ने अपना नाम बदलकर इस्लामिक नाम “करीम अब्दुल” रख लिया था. फिल्म ‘महलों के ख्वाब’ ने मधुबाला और किशोर कुमार को पास लाने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन शादी के नौ साल बाद ही मधुबाला की मौत के साथ यह शादी भी टूट गई.
1976 में किशोर कुमार ने अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की लेकिन यह शादी भी ज्यादा नहीं चल पाई. इसके बाद 1978 में योगिता बाली ने किशोर कुमार से तलाक लेकर मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली. इसके बाद साल 1980 में उन्होंने चौथी और आखिरी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं.किशोर कुमार के दो बेटे हैं अमित कुमार (पार्श्व गायक) पहली पत्नी रुमा से और सुमीत कुमार लीना चंद्रावरकर से.
“दूध जिलेबी खायेंगे खंडवा में बस जाएंगे.”
वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने यह निर्णय लिया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जाएंगे. वह अक्सर कहा करते थे कि “दूध जिलेबी खायेंगे खंडवा में बस जाएंगे.” लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया. 13 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई. उनकी आखिरी इच्छा के अनुसार उनको खंडवा में ही दफनाया गया. किशोर कुमार की मौत से भारतीय सिनेमा जगत को बहुत बड़ा झटका लगा था.आज उन के जन्म दिन पर आवाज के मस्तमौला किशोर को एक श्रद्धांजलि है.
खरगोश का संगीत राग रागेश्री
जवाब देंहटाएंपर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग
है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी
झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
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