क्या हो गया हें मालानी की पवित्र धरा को .ऐसा तो नहीं था मेरा मालानी
क्या मानवता और इंसानियत ख़त्म हो गई इस धरा पर
बाड़मेर वृहद लोक संस्कृति और परम्पराओ तथा सिद्ध्पुरुशो की पवित्र धरा अपनी लोक परम्पराओ तथा लोक संस्कृति के लिए युगों युगों से जाना जाता हें ,राजस्थान की इस पवित्र धरा पर राव मल्लिनाथ ,सिद्धपुरुष खेमा बाबा ,रानी रूपादे 'संत शिरोमणि खेतारामजी महाराज ,वीर दुर्गादास ,राव कल्ला जैसे महापुरुषों ने जन्म लेकर इस धरा को अजर अमर कर दिया .आज मुझे इस धरा पर जन्म लेने का अफ़सोस होता हें ,मेने पच्चीस साल पहले जब पत्रकारिता शुरू की थी तो मुझे अपराध की सामान्य खबरों के लिए सप्ताह तक इंतज़ार करना पड़ता था .खबरे आत्यी भी थी तो मारपीट .आपसी झगड़े ,चोरी आदी की .क्योंकि उस वक़्त बाड़मेर में आपसी सद्भावना और भाईचारे का माहौल था .जहां अपराध के लिए कोई जगह नहीं थी मालानी की धरा के लोग पाक साफ़ और सद्भनवि थे .अतिथि देवो भाव उनका सत्कार था .समय का पहिया घूमा १९९७ में एक विदेशी कंपनी शेल इंडिया में बाड़मेर की धरा पर कदम रखा ठीक उसी तरह जब अंग्रेजो ने भारत में कदम रखा और हज़ारो सालो तक भारत को गुलाम बनाये रखा .इस कंपनी ने तेल गेस खोज के जरिये अपसने कदम बढाये,जल्द इस कंपनी को एक विदेशी कंपनी केयर्न एनेर्जी ने ले लिया .केयर्न के बाड़मेरप्रवेश के साथ बाड़मेर वासियों ने पैसे की चमक दमक देख उसमे खो गए .केयर्न के बाद जे एस डब्लू ने कदम रखे ,किसानो की भूमि अवाप्ति के लिए करोडो रुपयों का खेल खेला .दो वक़्त की रोटी को तरसते परिवारों के पास करोडो रुपये आ गए ,पैसो की आवक के साथ बाड़मेर में भाईचारा ,सदभावाना,नाते रिश्तेदारिया ख़त्म सी हो गयी .मानवता को जंग लग गयी .थार नगरी के लोगो की मानवता को पैसे की दमक लील गया .गत सालो में बाड़मेर जिले में मेट्रो शहरों की माफिक अपत्रधो का ग्राफ बढ़ने लगा ,इन जघन्य अपराधो के बीच रिश्ते नाते ,घर परिवार सब छूट गए ,यहाँ के लोग अपने ही घर परिवार से अपराध की शुरुआत करने लगे .कोनसा ऐसा अपराध हें जो गत सालो में बाड़मेर में नहीं हुआ .इंसान को सरेराह ज़िंदा जलाना ,मासूम बचियो के साथ बलात्कार ,आये दिन घरो की बेतिया घर परिवारों से बगावत कर भागना ,दहेज़ हत्याए ,प्रताड़ना ,भाई द्वारा भाइयो की ह्त्या ,भाभयो ,बहनों ,और पत्नियों को पर पुरुषो के संग जबरदस्ती हमबिस्तर करना ,चोरी डकेती तो आम हो गयी ,हद तब हो गयी जब जिले के एक कसबे में चार युवतियों ने मिलकर एक युवक के साथ जोर जबरदस्ती कर उसे अधमरा कर दिया ,उस युवक को आज दिन तक होश नहीं आया ,एक घटना ने जिले भर के लोगो को शर्मशार कर दिया .एक दर्दनाक वाकया हुआ सरहदी गाँव में जहां एक बाप ने अपनी ही बेटी को हवस का शिकार बना दिया .जब यह घटना मेरे सामने आई तो एक पल के लिए तो मेरे शारीर से जान ही बाकी नहीं रही ,इस वहशी घटना ने मुझे पूरी तरह झकझोर के रख दिया ,क्या मेरी थार की खूबसूरत धरा को इतने बुरे दिन देखेने थे .कान्हा गई लोगो की इन्सानियाँ ,कहाँ गई मानवता जिसाका हमारे पूर्वज ही नहीं देश विदेश के लोग जिसका दम भरते थे ,क्या हो गया मुरुध्रा के लोगो को ,पैसो की चमक ने इस धरा का शुख चैन सब कुछ छीन लिया ,आज अफ़सोस होता हें मुझे की में इस थार के रेगिस्तान में पैदा हुआ ,पैसे ने इंसान को इस नीचता की हद तक गिरा दिया ,क्या इस धरा की संस्कृति और परम्पराए ,भाईचारा और सद्भावना पुनः बहल होगी .दोस्तों आज पहली बार मुझे आत्मग्लानी हो रही हें .ऐसे वहशी लोगो के बीच मेरा क्या काम ,खून के आंसू भी कम पद रहे हें .हे भगवान् थार और मालानी की धरा के लोगो को सद्बुद्धि दे .राह भटके लोग वापस अपने असली रूप में आये ..
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