जयपुर.जयपुर के जाने-माने चित्रकार गोविंद रामदेव और रामू रामदेव की बनाई संयुक्त कृति शिव परिवार को भी इस वर्ष राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजा जाएगा। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपए नकद, ताम्रपत्र और प्रशस्ति पत्र आदि प्रदान किए जाएंगे। रामदेव बंधुओं की बनाई इस कृति की कहानी भी रोचक है।
रामू रामदेव बताते हैं कि उन्होंने इस कृति की रचना वैदिक मंत्रों के बीच की तथा चित्रकृति बनने तक हर दिन स्टूडियो में रुद्री पाठ किया गया। इसमें रंगों को घोलने के लिए सादे पानी की जगह गंगा जल का उपयोग किया ताकि भगवान शिव की महिमा को ठेस नहीं पहुंचे।
क्या है इस कृति में
चित्रकृति का विषय वैदिक है जिसमें भगवान शिव एवं पार्वती परिवार के साथ विराजमान हैं। इसमें एक ओर सप्तऋषि हैं तो दूसरी ओर पंचतत्व हैं, सामने कार्तिकेय और श्रीगणेश विराजमान हैं। अगले भाग में चारों प्रमुख देवताओं के वाहन चित्रित किए गए हैं। सेवक के रूप में काले-गोरे भैरव, नारद और दिग्पाल कृति की शोभा बढ़ा रहे हैं।
रंगों की कला
पारंपरिक रंगों का प्रयोग किया है। जैसे सोना, चांदी, हिंगलू, सिंदूर, खंड़िया, नील, मेनसिल, यलेपिस, हिलकारी, लाख का लाल रंग।
पीला रंग गऊ गोली का
इस कृति में प्रयोग में लिया गया पीला रंग गऊ गोली से बनाया गया है। इस रंग को विदेशों में इंडियन यलो रंग के नाम से जाना जाता है। अल्ट्रावॉयलेट लाइट में देखने से यह रंग सोने की तरह चमकता है।
कितना समय लगा
रामदेव बंधुओं को इस कृति को बनाने में एक वर्ष का समय लगा। यह कृति कपड़े पर बनी हुई जिसे लकड़ी के बोर्ड पर चिपकाया गया है।
रामू रामदेव बताते हैं कि उन्होंने इस कृति की रचना वैदिक मंत्रों के बीच की तथा चित्रकृति बनने तक हर दिन स्टूडियो में रुद्री पाठ किया गया। इसमें रंगों को घोलने के लिए सादे पानी की जगह गंगा जल का उपयोग किया ताकि भगवान शिव की महिमा को ठेस नहीं पहुंचे।
क्या है इस कृति में
चित्रकृति का विषय वैदिक है जिसमें भगवान शिव एवं पार्वती परिवार के साथ विराजमान हैं। इसमें एक ओर सप्तऋषि हैं तो दूसरी ओर पंचतत्व हैं, सामने कार्तिकेय और श्रीगणेश विराजमान हैं। अगले भाग में चारों प्रमुख देवताओं के वाहन चित्रित किए गए हैं। सेवक के रूप में काले-गोरे भैरव, नारद और दिग्पाल कृति की शोभा बढ़ा रहे हैं।
रंगों की कला
पारंपरिक रंगों का प्रयोग किया है। जैसे सोना, चांदी, हिंगलू, सिंदूर, खंड़िया, नील, मेनसिल, यलेपिस, हिलकारी, लाख का लाल रंग।
पीला रंग गऊ गोली का
इस कृति में प्रयोग में लिया गया पीला रंग गऊ गोली से बनाया गया है। इस रंग को विदेशों में इंडियन यलो रंग के नाम से जाना जाता है। अल्ट्रावॉयलेट लाइट में देखने से यह रंग सोने की तरह चमकता है।
कितना समय लगा
रामदेव बंधुओं को इस कृति को बनाने में एक वर्ष का समय लगा। यह कृति कपड़े पर बनी हुई जिसे लकड़ी के बोर्ड पर चिपकाया गया है।
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