कोटा. तीन साल पहले मिलावटी मसाले बनाने के कारखाने पर दबिश देने के दौरान कार्रवाई नहीं करने की एवज में सीआई को 30 हजार रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की गई थी। सीआई तो नहीं माने, लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। इस प्रकरण में एसीबी की टीम ने मसाला उद्योग संचालक की पत्नी को गिरफ्तार कर लिया। सीआई ने तब गुमानपुरा थाने में मामला दर्ज कराया, लेकिन मामला भ्रष्टाचार का होने के कारण एसीबी में चला गया था। मामले की जांच टोंक एसीबी के एएसपी ने की थी। जांच में आरोपी महिला को दोषी पाया था।
जिले की विशेष अपराध शाखा में तैनात सीआई नेत्रपालसिंह के साथ टीम ने 6 मार्च 09 को रामचंद्रपुरा छावनी में मिर्ची-धनिया व हल्दी के मसाले बनाने के कारखाने पर दबिश दी थी। वहां संचालक सलीम तो नहीं मिला, लेकिन उसकी पत्नी आजरा बेगम व उसकी दो लड़कियां रजिया व नजराना मिली। पुलिस को वहां नकली मसाले बनाने का कच्चा माल, भूसा, चपड़ी तथा कृत्रिम रंग मिला। पुलिसकर्मियों ने उसके एक कमरे की तलाशी ली तो उसमें मिलावटी हल्दी, धनियां व मिर्ची काफी मात्रा में पाई गई थी। इस पर आजरा बेगम ने सीआई नेत्रपाल को कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा और उन्हें 30 हजार रुपए देने की कोशिश की।
सीआई ने मना किया तो आजरा बेगम ने सीआई की जेब में जबरन 30 हजार रुपए रख दिए। सीआई ने गुमानपुरा थाने में मामला दर्ज कराया। थाने में रिश्वत का मामला नहीं चलने के कारण कोर्ट में एफआर दे दी। इसके बाद मामला एसीबी में भेज दिया गया। इस पर जयपुर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 23 अक्टूबर 09 को एफआईआर दर्ज कर जांच टोंक एसीबी के एएसपी सतनामसिंह को दे दी। उन्होंने जांच में आजरा बेगम को रिश्वत देने का दोषी माना और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। एसीबी की टीम ने आजरा को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने अर्जी मंजूर उसे जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।
जिले की विशेष अपराध शाखा में तैनात सीआई नेत्रपालसिंह के साथ टीम ने 6 मार्च 09 को रामचंद्रपुरा छावनी में मिर्ची-धनिया व हल्दी के मसाले बनाने के कारखाने पर दबिश दी थी। वहां संचालक सलीम तो नहीं मिला, लेकिन उसकी पत्नी आजरा बेगम व उसकी दो लड़कियां रजिया व नजराना मिली। पुलिस को वहां नकली मसाले बनाने का कच्चा माल, भूसा, चपड़ी तथा कृत्रिम रंग मिला। पुलिसकर्मियों ने उसके एक कमरे की तलाशी ली तो उसमें मिलावटी हल्दी, धनियां व मिर्ची काफी मात्रा में पाई गई थी। इस पर आजरा बेगम ने सीआई नेत्रपाल को कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा और उन्हें 30 हजार रुपए देने की कोशिश की।
सीआई ने मना किया तो आजरा बेगम ने सीआई की जेब में जबरन 30 हजार रुपए रख दिए। सीआई ने गुमानपुरा थाने में मामला दर्ज कराया। थाने में रिश्वत का मामला नहीं चलने के कारण कोर्ट में एफआर दे दी। इसके बाद मामला एसीबी में भेज दिया गया। इस पर जयपुर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 23 अक्टूबर 09 को एफआईआर दर्ज कर जांच टोंक एसीबी के एएसपी सतनामसिंह को दे दी। उन्होंने जांच में आजरा बेगम को रिश्वत देने का दोषी माना और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। एसीबी की टीम ने आजरा को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने अर्जी मंजूर उसे जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।
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