मैरीकोम हारीं,ब्रॉंज मैडल से संतोष
लंदन। पांच बार की विश्व चैंपियन भारत की एमसी मैरीकॉम को ओलंपिक में कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। बुधवार शाम हुए सेमीफाइनल मुकाबले में दूसरी वरीयता प्राप्त ब्रिटेन की निकोला एडम्स ने मैरीकोम को 11-6 से हरा कर फाइनल में जगह बनाई। इस हार के साथ मैरीकोम का गोल्ड मैडल हासिल करने का सपना टूट गया।
मैरीकोम का अभियान थमने के साथ भारत को लंदन ओलंपिक में उसका तीसरा कांस्य और कुल चौथा पदक मिल गया। निशानेबाज विजय कुमार ने रजत जीता जबकि निशानेबाज गगन नारंग तथा बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता। इन चार पदकों के साथ भारत ने बीजिंग ओलंपिक की तीन पदकों की संख्या को पीछे छोड़ दिया।
मैरीकोम पूरे मुकाबले में निकोला के खिलाफ हमेशा बैकफुट पर रही। निकोला में जहां गजब की पुर्ती और मुक्कों में ताकत दिखाई दे रही थी वहीं मैरी काफी थकी नजर आ रही थीं और उनके पंच निकोला के चेहरे पर लगने के बजाए दाएं-बाएं से निकल रहे थे। पहले ही राउंड में निकोला के प्रहार से मैरीकोम का हैडगीयर हिल गया जिसे ठीक कराने के लिए उन्हें कोच के पास जाना पड़ा।
पहला राउंड जब समाप्त हुआ तो ब्रिटिश मुक्केबाज 3-1 से आगे थीं। दूसरे राउंड में मैरी ने वापसी करने की भरपूर कोशिश लेकिन निकोला ने अपने जोरदार प्रहारों से मैरीकोम को पस्त कर दिया। दूसरा राउंड 1-2 से निकोला के पक्ष में रहा और अब ब्रिटिश मुक्केबाज के पास 5-2 की मजबूत बढ़त आ चुकी थी।
तीसरे और चौथे राउंड में मैरी ने पहले दो राउंड के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। ब्रिटिश मुक्केबाज अपनी बढ़त को मजबूत कर रही थीं और उसके दाएं-बाएं के प्रहार मैरी को कोई मौका नहीं दे रहे थे। मैरी अपना डिफेंसिव रख छोड़कर आक्रमण पर आ चुकी थीं लेकिन निकोला को सिर्फ अपनी बढ़त का बचाव करना था। तीसरा राउंड 2-3 से निकोला के पक्ष में गया और उनकी बढ़त अब 8-4 हो चुकी थी। अंतिम राउंड में मैरी ने हताशा में दूर से पंच मारने की कोशिश की मगर ब्रिटिश समर्थकों ने अपनी मुक्केबाज की जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था।
निकोला ने चौथा राउंड भी 3-2 से समाप्त किया और 11-6 से मुकाबला जीतकर फाइनल में स्थान बना लिया जहां उनका मुकाबला दुनिया की नंबर एक मुक्केबाज चीन की रेन केनकेन से होगा जिन्होंने अमेरिका की मार्लेन एस्पारजा की कड़ी चुनौती पर 10-8 से काबू पा लिया। भारतीय और ब्रिटिश मुक्केबाज दोनों की उम्र हालांकि एक समान 29 वर्ष है लेकिन जुड़वां बेटों की सुपर माम मैरीकोम निकोला के मुकाबले कुछ धीमी साबित हुई। मैरीकोम ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में भी क्वार्टरफाइनल में निकोला से हारी थीं लेकिन निकोला के फाइनल में पहुंचने के कारण उन्हें ओलंपिक का टिकट मिल गया था।
मैरीकोम का नाम इतिहास में दर्ज
मैरीकोम का लंदन ओलंपिक में अभियान हालांकि सेमीफाइनल में थम गया लेकिन उन्होंने कांस्य पदक जीतकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला खिलाड़ी और दूसरी भारतीय मुक्केबाज हैं। इससे पहले भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 के सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक और सायना ने लंदन में महिला एकल में कांस्य पदक हासिल किया था। देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न से सम्मानित मैरीकोम ने बार-बार कहा था कि यदि महिला मुक्केबाजी को ओलंपिक में शामिल किया जाता है तो वह देश को पदक दिलाकर रहेंगी। आखिर उन्होंने अपनी बात को सही साबित कर दिखाया।
ओलंपिक के लिए भार वर्ग बदला
जुड़वां बेटों की मां मैरीकॉम ने 2002, 2005, 2006, 2008 और 2010 की विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। हालांकि उन्होंने ये सभी स्वर्ण पदक 46 और 48 किग्रा में जीते थे लेकिन ओलंपिक में यह वजन वर्ग न होने के कारण उन्हें 51 किग्रा फ्लाईवेट भार वर्ग में खुद को शिफ्ट करना पड़ा।
दो साल रहीं खेल से दूर
मैरीकॉम ने 2006 के बाद दो साल का ब्रेक ले लिया था, लेकिन उन्होंने अपने संन्यास से जोरदार वापसी करते हुए 2008 में एशियाई चैम्पियनशिप में रजत और विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण हासिल किया था। अपने गृह राज्य के डिंको सिंह से प्रेरणा लेकर मुक्केबाज बनी मैरीकॉम ने 2010 के ग्वांगझू एशियाड में कांस्य पदक भी जीता था।
800 मीटर दौड़: टिंटू सेमीफाइनल में
लंदन। भारत की महिला एथलीट टिंटू लुका शानदार प्रदर्शन करते हुए लंदन ओलम्पिक की 800 मीटर स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं। टिंटू ने बुधवार को आयोजित हीट-2 में तीसरा स्थान हासिल कर अगले दौर में दौड़ने की योग्यता हासिल की। हीट-2 में रूस की मारिया साविनोवा ने 2 मिनट 1.56 सेकेंड के साथ पहला स्थान हासिल किया। जबकि अमेरिका की एलिस स्कीमड्ट ने 2 मिनट 1.65 सेकेंड के साथ दूसरा स्थान पाया। टिंटू ने 2 मिनट 1.75 सेकेंड में रेस पूरी की। इस हीट में सात खिलाडियों ने हिस्सा लिया था। एथलेटिक्स में टिंटू के रूप में भारत की एकमात्र उम्मीद बची हुई है।
लंदन। पांच बार की विश्व चैंपियन भारत की एमसी मैरीकॉम को ओलंपिक में कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। बुधवार शाम हुए सेमीफाइनल मुकाबले में दूसरी वरीयता प्राप्त ब्रिटेन की निकोला एडम्स ने मैरीकोम को 11-6 से हरा कर फाइनल में जगह बनाई। इस हार के साथ मैरीकोम का गोल्ड मैडल हासिल करने का सपना टूट गया।
मैरीकोम का अभियान थमने के साथ भारत को लंदन ओलंपिक में उसका तीसरा कांस्य और कुल चौथा पदक मिल गया। निशानेबाज विजय कुमार ने रजत जीता जबकि निशानेबाज गगन नारंग तथा बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता। इन चार पदकों के साथ भारत ने बीजिंग ओलंपिक की तीन पदकों की संख्या को पीछे छोड़ दिया।
मैरीकोम पूरे मुकाबले में निकोला के खिलाफ हमेशा बैकफुट पर रही। निकोला में जहां गजब की पुर्ती और मुक्कों में ताकत दिखाई दे रही थी वहीं मैरी काफी थकी नजर आ रही थीं और उनके पंच निकोला के चेहरे पर लगने के बजाए दाएं-बाएं से निकल रहे थे। पहले ही राउंड में निकोला के प्रहार से मैरीकोम का हैडगीयर हिल गया जिसे ठीक कराने के लिए उन्हें कोच के पास जाना पड़ा।
पहला राउंड जब समाप्त हुआ तो ब्रिटिश मुक्केबाज 3-1 से आगे थीं। दूसरे राउंड में मैरी ने वापसी करने की भरपूर कोशिश लेकिन निकोला ने अपने जोरदार प्रहारों से मैरीकोम को पस्त कर दिया। दूसरा राउंड 1-2 से निकोला के पक्ष में रहा और अब ब्रिटिश मुक्केबाज के पास 5-2 की मजबूत बढ़त आ चुकी थी।
तीसरे और चौथे राउंड में मैरी ने पहले दो राउंड के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। ब्रिटिश मुक्केबाज अपनी बढ़त को मजबूत कर रही थीं और उसके दाएं-बाएं के प्रहार मैरी को कोई मौका नहीं दे रहे थे। मैरी अपना डिफेंसिव रख छोड़कर आक्रमण पर आ चुकी थीं लेकिन निकोला को सिर्फ अपनी बढ़त का बचाव करना था। तीसरा राउंड 2-3 से निकोला के पक्ष में गया और उनकी बढ़त अब 8-4 हो चुकी थी। अंतिम राउंड में मैरी ने हताशा में दूर से पंच मारने की कोशिश की मगर ब्रिटिश समर्थकों ने अपनी मुक्केबाज की जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था।
निकोला ने चौथा राउंड भी 3-2 से समाप्त किया और 11-6 से मुकाबला जीतकर फाइनल में स्थान बना लिया जहां उनका मुकाबला दुनिया की नंबर एक मुक्केबाज चीन की रेन केनकेन से होगा जिन्होंने अमेरिका की मार्लेन एस्पारजा की कड़ी चुनौती पर 10-8 से काबू पा लिया। भारतीय और ब्रिटिश मुक्केबाज दोनों की उम्र हालांकि एक समान 29 वर्ष है लेकिन जुड़वां बेटों की सुपर माम मैरीकोम निकोला के मुकाबले कुछ धीमी साबित हुई। मैरीकोम ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में भी क्वार्टरफाइनल में निकोला से हारी थीं लेकिन निकोला के फाइनल में पहुंचने के कारण उन्हें ओलंपिक का टिकट मिल गया था।
मैरीकोम का नाम इतिहास में दर्ज
मैरीकोम का लंदन ओलंपिक में अभियान हालांकि सेमीफाइनल में थम गया लेकिन उन्होंने कांस्य पदक जीतकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला खिलाड़ी और दूसरी भारतीय मुक्केबाज हैं। इससे पहले भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 के सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक और सायना ने लंदन में महिला एकल में कांस्य पदक हासिल किया था। देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न से सम्मानित मैरीकोम ने बार-बार कहा था कि यदि महिला मुक्केबाजी को ओलंपिक में शामिल किया जाता है तो वह देश को पदक दिलाकर रहेंगी। आखिर उन्होंने अपनी बात को सही साबित कर दिखाया।
ओलंपिक के लिए भार वर्ग बदला
जुड़वां बेटों की मां मैरीकॉम ने 2002, 2005, 2006, 2008 और 2010 की विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। हालांकि उन्होंने ये सभी स्वर्ण पदक 46 और 48 किग्रा में जीते थे लेकिन ओलंपिक में यह वजन वर्ग न होने के कारण उन्हें 51 किग्रा फ्लाईवेट भार वर्ग में खुद को शिफ्ट करना पड़ा।
दो साल रहीं खेल से दूर
मैरीकॉम ने 2006 के बाद दो साल का ब्रेक ले लिया था, लेकिन उन्होंने अपने संन्यास से जोरदार वापसी करते हुए 2008 में एशियाई चैम्पियनशिप में रजत और विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण हासिल किया था। अपने गृह राज्य के डिंको सिंह से प्रेरणा लेकर मुक्केबाज बनी मैरीकॉम ने 2010 के ग्वांगझू एशियाड में कांस्य पदक भी जीता था।
800 मीटर दौड़: टिंटू सेमीफाइनल में
लंदन। भारत की महिला एथलीट टिंटू लुका शानदार प्रदर्शन करते हुए लंदन ओलम्पिक की 800 मीटर स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं। टिंटू ने बुधवार को आयोजित हीट-2 में तीसरा स्थान हासिल कर अगले दौर में दौड़ने की योग्यता हासिल की। हीट-2 में रूस की मारिया साविनोवा ने 2 मिनट 1.56 सेकेंड के साथ पहला स्थान हासिल किया। जबकि अमेरिका की एलिस स्कीमड्ट ने 2 मिनट 1.65 सेकेंड के साथ दूसरा स्थान पाया। टिंटू ने 2 मिनट 1.75 सेकेंड में रेस पूरी की। इस हीट में सात खिलाडियों ने हिस्सा लिया था। एथलेटिक्स में टिंटू के रूप में भारत की एकमात्र उम्मीद बची हुई है।
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