सिंध में आज भी गाँधी दर्शन के लोग दीवाने हें
भारत में आज महात्मा गाँधी के चरखे को भुला दिया गया हें ...उनके साबरमती आश्रम में जरूर चरखा देखेने को मिलता हें ..बाहर से आने वाले लोग उसे खाश तौर से देखने भी जाते हें ...महात्मा गाँधी के आदर्शो की बात सब करते हें मगर इन आदर्शो को कभी किसी ने जीवन में उतरने का प्रयास नहीं किया .कुछ साल पहले तक जैसलमेर के कबीर बस्ती गाँव में चरखे से सूत कातने की परम्परा जारी थी अब वो भी समय की आंधी में कहीं खो गई मगर पडौसी देश पकिस्तान के सिंध प्रान्त में बसे हिन्दू परिवारों ने महात्मा गाँधी के इस आदर्श को ना केवल अपने जीवन में उतार रखा हें अपितु चरखे से सूत कात कर अपने परिवारों का जीवन यापन भी कर रहे हें ,,,चरखे से परम्परागत रूप से सूत काता जाता था ...मशीनरी युग में चरखे की उपयोगिता को अपने देशवासियों ने भूला दिया मगर अविभाजि भारत का हिस्सा रहे सिंध के इन परिवारों ने गांधीजी की इस परंपरा को जारी रखा ..धन्य हें ....
भारत में आज महात्मा गाँधी के चरखे को भुला दिया गया हें ...उनके साबरमती आश्रम में जरूर चरखा देखेने को मिलता हें ..बाहर से आने वाले लोग उसे खाश तौर से देखने भी जाते हें ...महात्मा गाँधी के आदर्शो की बात सब करते हें मगर इन आदर्शो को कभी किसी ने जीवन में उतरने का प्रयास नहीं किया .कुछ साल पहले तक जैसलमेर के कबीर बस्ती गाँव में चरखे से सूत कातने की परम्परा जारी थी अब वो भी समय की आंधी में कहीं खो गई मगर पडौसी देश पकिस्तान के सिंध प्रान्त में बसे हिन्दू परिवारों ने महात्मा गाँधी के इस आदर्श को ना केवल अपने जीवन में उतार रखा हें अपितु चरखे से सूत कात कर अपने परिवारों का जीवन यापन भी कर रहे हें ,,,चरखे से परम्परागत रूप से सूत काता जाता था ...मशीनरी युग में चरखे की उपयोगिता को अपने देशवासियों ने भूला दिया मगर अविभाजि भारत का हिस्सा रहे सिंध के इन परिवारों ने गांधीजी की इस परंपरा को जारी रखा ..धन्य हें ....
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