नागौर की महिला ने सोलापुर रेलवे स्टेशन पर दिया बच्चे को जन्म
रेलकर्मियों ने दिखाई इंसानियत
नागौर नागौर जिले की एक महिला ने हाल ही महाराष्ट्र के सोलापुर रेलवे स्टेशन पर एक बच्चे को जन्म दिया। रेलवे कर्मचारियों ने मौके की नजाकत को भांपते हुए प्रसूता के लिए व्हीलचेअर से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतजाम किया।
अनंतपुर-आगरा कर्नाटक एक्सप्रेस में यह घटना घटी। नागौर जिले का ओमप्रकाश अपनी पत्नी व पुत्री मंजू के साथ राजस्थान से कर्नाटक के अनंतपुर शहर किसी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। वहां से लौटते समय सोलापुर रेलवे स्टेशन से पहले कुछ दूरी पर मंजू को प्रसव पीड़ा हुई।
ओमप्रकाश ने गाड़ी में चल रहे टिकट निरीक्षक एके मीना को बताया। इस पर मीना ने तत्काल सोलापुर कंट्रोल रूम से संपर्क किया। कंट्रोल रूम ने डॉक्टर कॉल का संदेश सोलापुर रेलवे स्टेशन मास्टर को दिया। रेलवे ने ऐसा प्रबंध किया कि ट्रेन के तीन नंबर प्लेटफार्म पर पहुंचने से पहले ही डॉक्टर की टीम तैयार थी। मंजू की जांच कर डॉक्टर ने उसे रेलवे अस्पताल में भर्ती करने का निर्णय लिया। तब तक मंजू का दर्द असहनीय हो चुका था। वह चल भी नहीं पा रही थी। उसे व्हीलचेयर पर बिठाकर प्लेटफार्म से अस्पताल ले जाने के दौरान ही उसने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे और उसकी मां को अस्पताल ले जाया गया। वहां जच्चा और बच्चा को स्वस्थ बताया गया।
'सोलापुर रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन इज वेरी गुड'
जच्चा-बच्चा की हालत अच्छी देखकर ओमप्रकाश ने अपने घर नागौर लौटने का निर्णय लिया। सोलापुर से सीधी कोई गाड़ी नहीं होने के कारण रेलवे कर्मचारियों ने रात में हैदराबाद एक्सप्रेस से मुंबई जाने की सलाह दी। रेलवे कर्मचारियों ने प्रयास कर मुंबई व मुंबई से आगे नागौर तक का टिकट भी करवा दिया। कर्मचारियों की इंसानियत देखकर ओमप्रकाश गद्गद् हो गए। 'सोलापुर रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन इज वेरी गुड' कहते हुए उनकी आंखें खुशी से भर आई। हालांकि सोलापुर रेलवे कर्मी ओमप्रकाश के गांव का नाम ठीक से नहीं बता पाए, लेकिन इतना जरूर समझ पाए कि ओमप्रकाश नागौर जिले के किसी गांव से आए थे जिसका नाम आधा अधूरा उन्होंने 'बोटल' बताया।
अनंतपुर-आगरा कर्नाटक एक्सप्रेस में यह घटना घटी। नागौर जिले का ओमप्रकाश अपनी पत्नी व पुत्री मंजू के साथ राजस्थान से कर्नाटक के अनंतपुर शहर किसी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। वहां से लौटते समय सोलापुर रेलवे स्टेशन से पहले कुछ दूरी पर मंजू को प्रसव पीड़ा हुई।
ओमप्रकाश ने गाड़ी में चल रहे टिकट निरीक्षक एके मीना को बताया। इस पर मीना ने तत्काल सोलापुर कंट्रोल रूम से संपर्क किया। कंट्रोल रूम ने डॉक्टर कॉल का संदेश सोलापुर रेलवे स्टेशन मास्टर को दिया। रेलवे ने ऐसा प्रबंध किया कि ट्रेन के तीन नंबर प्लेटफार्म पर पहुंचने से पहले ही डॉक्टर की टीम तैयार थी। मंजू की जांच कर डॉक्टर ने उसे रेलवे अस्पताल में भर्ती करने का निर्णय लिया। तब तक मंजू का दर्द असहनीय हो चुका था। वह चल भी नहीं पा रही थी। उसे व्हीलचेयर पर बिठाकर प्लेटफार्म से अस्पताल ले जाने के दौरान ही उसने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे और उसकी मां को अस्पताल ले जाया गया। वहां जच्चा और बच्चा को स्वस्थ बताया गया।
'सोलापुर रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन इज वेरी गुड'
जच्चा-बच्चा की हालत अच्छी देखकर ओमप्रकाश ने अपने घर नागौर लौटने का निर्णय लिया। सोलापुर से सीधी कोई गाड़ी नहीं होने के कारण रेलवे कर्मचारियों ने रात में हैदराबाद एक्सप्रेस से मुंबई जाने की सलाह दी। रेलवे कर्मचारियों ने प्रयास कर मुंबई व मुंबई से आगे नागौर तक का टिकट भी करवा दिया। कर्मचारियों की इंसानियत देखकर ओमप्रकाश गद्गद् हो गए। 'सोलापुर रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन इज वेरी गुड' कहते हुए उनकी आंखें खुशी से भर आई। हालांकि सोलापुर रेलवे कर्मी ओमप्रकाश के गांव का नाम ठीक से नहीं बता पाए, लेकिन इतना जरूर समझ पाए कि ओमप्रकाश नागौर जिले के किसी गांव से आए थे जिसका नाम आधा अधूरा उन्होंने 'बोटल' बताया।
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