पदोन्नति में मिलेगा 28 प्रतिशत आरक्षण
जयपुर। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पालन में पदोन्नति में 28 प्रतिशत आरक्षण फिर से देने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकारी भर्ती की तरह पदोन्नति में भी अनुसूचित जाति के अधिकारी-कर्मचारियों को 16 और जनजाति को 12 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। गुरूवार को मुख्य सचिव सी.के.मैथ्यू की अध्यक्षता में उच्चाधिकारियों की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर चर्चा की गई।
बैठक में इस नतीजे पर पहुंचा गया कि अदालत का निर्णय पदोन्नति में आरक्षण के पक्ष में है और सरकार दो माह के भीतर भटनागर समिति की रिपोर्ट को आधार मानते हुए इसे लागू करेगी।
बैठक में भटनागर कमेटी के सदस्य डा. अशोक सम्पतराम, डा. गोविन्द शर्मा, प्रमुख विधि सचिव प्रकाश गुप्ता, विधि सचिव पंकज भंडारी, महाधिवक्ता जी. एस.बापना, प्रमुख कार्मिक सचिव सुदर्शन सेठी, तत्कालीन प्रमुख कार्मिक सचिव व वर्तमान में वाणिज्यिक कर आयुक्त खेमराज व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
1997 से ही दिया जाएगा लाभ
बैठक में यह तय हुआ कि इस बारे में राज्य सरकार की 11 सितम्बर 2011 को जारी अधिसूचना प्रभावी होगी और इसका लाभ 1997 से ही दिया जाएगा। सरकार को जरूरत पड़ी तो 1997 के बाद हुई डीपीसी के बदले रिव्यू डीपीसी कराई जा सकेगी। बैठक में सरकार का यह रूख भी स्पष्ट किया गया कि किसी विभाग या सेवा में अजा-जजा कर्मियों की आरक्षित कोटे से ज्यादा पदोन्नतियां हो चुकी हैं तो भी किसी को पदावनत नहीं किया जाएगा। इस बारे में छाया पद सृजित करने व अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
पदोन्नतियों का रास्ता साफ
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आरएएस से आईएएस में पदोन्नतियों का रास्ता भी फिर से खुल सकेगा। अदालती निर्णय के पालन से सभी वर्गो की पदोन्नतियों का रास्ता साफ हो गया है।
...और राह में यह रोडा
इधर, अधिकारियों व विधि सलाहकारों का मानना है कि जब तक हाईकोर्ट में समता आंदोलन समिति की अवमानना याचिका लम्बित है, 11 सितम्बर 11 की अधिसूचना लागू नहीं की जा सकेगी। सरकार ने हाईकोर्ट में पिछले साल यह अधिसूचना लागू न करने की अंडरटेकिंग दी थी। सरकार याचिका को निस्तारित कराने के लिए जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर सकती है। समता आंदोलन ने एक अवमानना याचिका में भटनागर कमेटी को भी चुनौती दे रखी हैै।
जयपुर। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पालन में पदोन्नति में 28 प्रतिशत आरक्षण फिर से देने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकारी भर्ती की तरह पदोन्नति में भी अनुसूचित जाति के अधिकारी-कर्मचारियों को 16 और जनजाति को 12 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। गुरूवार को मुख्य सचिव सी.के.मैथ्यू की अध्यक्षता में उच्चाधिकारियों की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर चर्चा की गई।
बैठक में इस नतीजे पर पहुंचा गया कि अदालत का निर्णय पदोन्नति में आरक्षण के पक्ष में है और सरकार दो माह के भीतर भटनागर समिति की रिपोर्ट को आधार मानते हुए इसे लागू करेगी।
बैठक में भटनागर कमेटी के सदस्य डा. अशोक सम्पतराम, डा. गोविन्द शर्मा, प्रमुख विधि सचिव प्रकाश गुप्ता, विधि सचिव पंकज भंडारी, महाधिवक्ता जी. एस.बापना, प्रमुख कार्मिक सचिव सुदर्शन सेठी, तत्कालीन प्रमुख कार्मिक सचिव व वर्तमान में वाणिज्यिक कर आयुक्त खेमराज व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
1997 से ही दिया जाएगा लाभ
बैठक में यह तय हुआ कि इस बारे में राज्य सरकार की 11 सितम्बर 2011 को जारी अधिसूचना प्रभावी होगी और इसका लाभ 1997 से ही दिया जाएगा। सरकार को जरूरत पड़ी तो 1997 के बाद हुई डीपीसी के बदले रिव्यू डीपीसी कराई जा सकेगी। बैठक में सरकार का यह रूख भी स्पष्ट किया गया कि किसी विभाग या सेवा में अजा-जजा कर्मियों की आरक्षित कोटे से ज्यादा पदोन्नतियां हो चुकी हैं तो भी किसी को पदावनत नहीं किया जाएगा। इस बारे में छाया पद सृजित करने व अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
पदोन्नतियों का रास्ता साफ
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आरएएस से आईएएस में पदोन्नतियों का रास्ता भी फिर से खुल सकेगा। अदालती निर्णय के पालन से सभी वर्गो की पदोन्नतियों का रास्ता साफ हो गया है।
...और राह में यह रोडा
इधर, अधिकारियों व विधि सलाहकारों का मानना है कि जब तक हाईकोर्ट में समता आंदोलन समिति की अवमानना याचिका लम्बित है, 11 सितम्बर 11 की अधिसूचना लागू नहीं की जा सकेगी। सरकार ने हाईकोर्ट में पिछले साल यह अधिसूचना लागू न करने की अंडरटेकिंग दी थी। सरकार याचिका को निस्तारित कराने के लिए जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर सकती है। समता आंदोलन ने एक अवमानना याचिका में भटनागर कमेटी को भी चुनौती दे रखी हैै।
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