"राज्य में 1 हजार करोड़ का घोटाला"
जयपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता किरिट सौमेया ने छबड़ा एवं सूरतगढ़ विद्युत परियोजना की निविदा निरस्त करने के पीछे एक हजार करोड़ रूपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल तथा राजस्थान के ऊर्जा मंत्री जितेन्द्र सिंह से त्याग पत्र देने की मांग की है।
सौमेया ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों को बताया कि छबड़ा एवं सूरतगढ़ विद्युत परियोजनाओं के लिए 2009 में निविदा प्रक्रिया शुरू हुई तथा 2010 में निविदाएं मांगी गई। 2011 में निविदाएं खोलने के बाद मार्च 2012 में सरकारी उपक्रम भेल को आदेश दिए जाने का निर्णय हुआ लेकिन अगले माह ही निविदाएं निरस्त कर दी गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि निजी कंपनी को फायदा देने के लिए ऎसा किया गया। उन्होंने कहा कि भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बारे में पत्र लिखा था, लेकिन बाद में चुप्पी साध गए। साथ ही भेल को निविदाएं निरस्त करने के निर्णय के खिलाफ अदालत में जाने की छूट भी नहीं दी गई।
सौमेया ने कहा कि केन्द्र सरकार के विरोध के बावजूद नए टैण्डर क्यों निकाले जा रहे हैं। इसके अलावा 12 हजार करोड़ रपए की परियोजनाओं का दो हिस्सों में टैण्डर क्यों मांगा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि दो हिस्सों में निविदा मांगने का कारण भेल को एक परियोजना से वंचित करना है क्योंकि नई निविदा प्रक्रिया में यह शर्त है कि एक कंपनी दोनों परियोजना पर काम नहीं कर सकती।
सौमेया ने सवाल किया कि सरकारी कंपनी भेल पर भरोसा नहीं करने का क्या कारण है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में विद्युत की बेहद कमी के बावजूद बिजली परियोजनाओं में देरी की जा रही है। उक्त दोनों परियोजनाएं भी तीन साल देरी से शुरू हो पाएंगी।
जयपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता किरिट सौमेया ने छबड़ा एवं सूरतगढ़ विद्युत परियोजना की निविदा निरस्त करने के पीछे एक हजार करोड़ रूपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल तथा राजस्थान के ऊर्जा मंत्री जितेन्द्र सिंह से त्याग पत्र देने की मांग की है।
सौमेया ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों को बताया कि छबड़ा एवं सूरतगढ़ विद्युत परियोजनाओं के लिए 2009 में निविदा प्रक्रिया शुरू हुई तथा 2010 में निविदाएं मांगी गई। 2011 में निविदाएं खोलने के बाद मार्च 2012 में सरकारी उपक्रम भेल को आदेश दिए जाने का निर्णय हुआ लेकिन अगले माह ही निविदाएं निरस्त कर दी गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि निजी कंपनी को फायदा देने के लिए ऎसा किया गया। उन्होंने कहा कि भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बारे में पत्र लिखा था, लेकिन बाद में चुप्पी साध गए। साथ ही भेल को निविदाएं निरस्त करने के निर्णय के खिलाफ अदालत में जाने की छूट भी नहीं दी गई।
सौमेया ने कहा कि केन्द्र सरकार के विरोध के बावजूद नए टैण्डर क्यों निकाले जा रहे हैं। इसके अलावा 12 हजार करोड़ रपए की परियोजनाओं का दो हिस्सों में टैण्डर क्यों मांगा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि दो हिस्सों में निविदा मांगने का कारण भेल को एक परियोजना से वंचित करना है क्योंकि नई निविदा प्रक्रिया में यह शर्त है कि एक कंपनी दोनों परियोजना पर काम नहीं कर सकती।
सौमेया ने सवाल किया कि सरकारी कंपनी भेल पर भरोसा नहीं करने का क्या कारण है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में विद्युत की बेहद कमी के बावजूद बिजली परियोजनाओं में देरी की जा रही है। उक्त दोनों परियोजनाएं भी तीन साल देरी से शुरू हो पाएंगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें