शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

राजस्थानी मान्यता के लिए नेपाल में जन-जागरण

राजस्थानी मान्यता के लिए नेपाल में जन-जागरण

संघर्ष समिति के दल का सात दिवसीय दौरा

नागौर. अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के 16
सदस्यीय दल ने नेपाल का दौरा कर प्रवासी राजस्थानियों से मातृभाषा
राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने का
आह्वान किया।
शुक्रवार को नागौर लौटे दल के सदस्यों ने बताया कि इस दौरान नेपाल की
राजधानी काठमांडु में नेपाल राष्ट्रीय मारवाड़ी परिषद की ओर से मारवाड़ी
सेवा सदन में आयोजित बैठक में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए समिति के
संस्थापक एवं अन्तरराष्ट्रीय मुख्य संगठक लक्ष्मणदान कविया ने कहा कि अब
राजस्थान की जनता जाग चुकी है तथा हम अपनी भाषा को संवैधानिक मान्यता
लेकर रहेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि देश की राजनीतिक परिस्थितियां
अनुकूल रहीं तो सरकार को राजस्थानी एवं भोजपुरी को शीघ्र मान्यता देनी
पड़ेगी। कविया ने संघर्ष की जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षा प्रणाली ने
हमारी युवा एवं बाल पीढ़ी को पूरी तरह से राजस्थानी से काटने के कुत्सित
प्रयास किए, लेकिन साहित्यकारों व राजस्थानी जनता ने आज भी अपनी भाषा की
पहचान को कायम रखा है। बैठक में आनन्द कविया व कैलास नवलखा ने राजस्थानी
गीत सुनाए। अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष पवन मित्तल ने की। विशिष्ट अतिथि
दिनेश नवलखा थे। बीएल शर्मा, जगदीश खेतान, ऊषा चैनवाला, जयप्रकाश
चैनवाला, पदम धनावत, ओम नवलकरण, महेश मोदी, कैलाश गोयल, केशव घीमेल, किरण
सरावगी आदि प्रवासी राजस्थानियों ने भी विचार रखे। परिषद की ओर से कविया
का अभिनन्दन किया गया। इस दौरान कविया के एकल काव्यपाठ के भी आयोजन हुए।
दल ने पशुपतिनाथ की यात्रा कर राजस्थानी मान्यता की मन्नत मांगी। दल में
श्रीराम वैष्णव, सुरजाराम ईनाणिया, शैतानराम टाक, श्रवण वैष्णव, आनन्द
कविया, हरिराम भाणु, रामनिवास ईनाणिया, चिमनाराम ईनाणिया, भंवरलाल
कासणिया, सुखाराम रोज, बुधाराम सारस्वत, देवकिशन टाक व सीताराम भाटी
शामिल थे।
फोटो : काठमांडु में नेपाल राष्ट्रीय मारवाड़ी परिषद की ओर से कविया को
सम्मानित करते हुए पवन मित्तल व दिनेश नवलखा। उद्बोधन करते हुए कविया।
दर्शक दीर्घा।

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