यहां किसी लड़की की शादी तभी होती है जब वह मां बन जाती है। जी हां, यह सुन कर आप भले ही चौंक गए हों, लेकिन यह सौ फीसदी सही है। यह प्रथा अपने ही देश की एक जनजाति में आज भी कायम है। इस जनजाति का नाम टोटो है।
यह जनजाति पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी क्षेत्र में टोटोपाड़ा कस्बे में रहती है। टोटोपाड़ा भारत और भूटान सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है। इस आदिम जनजाति की परंपरा और रहन सहन सब कुछ आनोखा है। यहां शादी का नियम बहुत ही अलग है। यहां विवाह से पहले लड़की का मां बनना अनिवार्य है।इस जनजाति में लड़के को जो लड़की पसंद आती है उसे लड़का रात में लेकर चुपचाप भाग जाता है। इसके बाद लड़की एक साल तक उस लड़के के साथ उसके घर में रहती हैइस दौरान यदि लड़की मां बन जाती है तो उसे विवाह योग्य मान लिया जाता है। इसके बाद लड़का और लड़की के परिवार वाले मिलकार शादी की शानदार तैयारी करते हैं। दोनों की धूमधाम से शादी करवा दी जाती हैइस समुदाय में शादी की मर्यादा को बनाये रखने के लिए कठोर नियम बनाये गये हैं ताकि कोई विवाह को तोड़ न सके। अगर कोई लड़का अथवा लड़की शादी तोड़ना चाहे तो उसे विशेष पूजा का आयोजन करना पड़ता है जो शादी से भी अधिक खर्चीला होता है। इसमें सूअर की बलि दी जाती है।बताते चलें कि टोटो जनजाति दुनिया की लुप्तप्राय जनजातियों में से एक है और यह संभवतः भारत की सबसे कम आबादी वाली जनजाति है। यह जनजाति ऐसी है जिसके ऊपर परिवार नियोजन या नसबंदी जैसे उपायों के प्रयोग पर प्रतिबंध है क्योंकि उनकी कुल संख्या सिर्फ़ 1265 है, 1991 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक़ उनकी आबादी 936 थी।
ज़िंदगी की कठिनाइयों से परेशान होकर इस जनजाति की महिलाएं पास के शहर में जाकर फ़र्ज़ी नामों से नसबंदी करा रही हैं क्योंकि टोटोपारा में बच्चों का पेट पालना कोई आसान काम नहीं है। भूटान की सीमा से लगे टोटोपारा गांव में केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यक्रमों की छाया तक नहीं पहुंची है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें