गुरुवार, 26 जुलाई 2012

भूला दिया कारगिल शहीद भीखाराम को बाड़मेर प्रशासन ने

भूला दिया कारगिल शहीद भीखाराम को बाड़मेर प्रशासन ने 

बाड़मेर मातृभूमि की बलिवेदी पर हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले मारवाड के वीर सपूत भीखाराम चौधरी के गांव में आज भी बिजली नहीं है। सरकार द्वारा शहीदों के दिए जाने वाले निःशुल्क ट्यूबवैल कनेक्शन का लाभ भीखाराम की शहादत के दस साल भी उसके परिवार को नहीं मिला है। शहीद की वीरागंना श्रीमती भंवरी देवी बताती है कि वह और उसके परिवारजनों ने जिला कलेक्टर से लेकर संबंधित मंत्रियों तक गांव में बिजली के लिए पत्र लिखा। मगर अफसोस, किसी ने भी आज दिन-तक इस ओर ध्यान नही दिया। शहीद का गांव पतासर,तहसील पचपदरा जिला बाडमेर का यह गांव आज भी बिजली से मेहरूम है। श्रीमती भंवरी देवी बताती है कि सरकार ने नहरी क्षेत्र बज्जू में 25 बीघा जमीन उपलब्ध जरूर कराई मगर वहां नहरी पानी नही लगने से उसका कोई उपयोग नही हो पा रहा है। शहीद के परिवारजन एक बार नहरी क्षेत्र में तब गए जब उन्हें वहां जमीन उपलब्ध कराने के कागजाद दिए। उसके बाद वहां कोई नही गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक लाख रुपए भी दिए थे। सरकार ने धोरीमन्ना में पेट्रोल पंप खुलवाकर दिया। इसकी देखरेख शहीद भीखाराम चधरी के छोटे भाई पदमाराम कर रहे है। ससुर चौनाराम चौधरी भी रिटायर होने के बाद पेट्रोेल पंप आदि के कामों में अपना हाथ बंटाते है। श्रीमती भंवरीदेवी अपने पुत्र भूपेन्द्र के साथ गांव पतरासर से पाल गांव स्थित कोर्णाकनगर, गंगाणा रोड पर शहीद के नाम बनाए गए घर में रहती है। पुत्र भूपेन्द्र गंगाणी गांव की जी.एस. जांगिड स्कूल में सातवीं कक्षा में पढता है।

जाने शहीद भीखाराम चौधरी के बारेः-

बाडमेर जिले की पचपदरा तहसील के करीब चार सौ घरों और पांच हजार की अधिक की आबादी वाले गांव पतासर में 16 सितम्बर 77 की श्रीमती राईदेवी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम रखा भीखाराम। स्कूली शिक्षा गांव में ही प्राप्त करने के बाद 28 अप्रैल 95 को भीखाराम बीकानेर में सेना में 4 जाट रेजीटमेंट में भर्ती हुआ।
कारगिल में ऑपरेशन विजय के दौरान भीखाराम को अप्रैल के अंत में कारगिल भेजा गया। वह उन कुछ जवानों में से एक था, जिन्हें सबसे पहले कारगिल में लगाया गया। वह कारगिल की काकसर अग्रिम चौकी पर तैनात था। 4 जाट रेजीमेंट के छः जवानों की जिस टोली को, घुसपैठ की सूचना के बाद 14 मई 99 को पेट्रोलिंग के लिए कारगिल के काकसर सैक्टर में भेजा गया, उनमें भीखाराम भी शामिल था। बजरंग चैक पोस्ट पर तैनात भीखाराम को पेट्रोलिग के दौरान वहां मौजूद पाकिस्तानी घुसपैठियों व रेंजरों ने चारों और से घेर कर अचानक हमला बोला। कई घंटो के खूनी संघर्ष के बाद अततः उन्हें अन्य पांच साथियों सहित बंदी बना लिया और पाकिस्तान ले जाकर उन्हें भंयकर यातनाएं दी उनके अंग-भंग कर नृशंस हत्या कर दी। इनमें लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया, भीखाराम, अर्जुनराम, भंवरलाल, मूलाराम व नरेशसिंह शामिल थे। इनमें से चार भीखाराम, भंवरलाल, अर्जुनराम व मूलाराम राजस्थान के थे। इनके क्षत-विक्षत शत पाकिस्तान ने 26 दिन बाद 9 जून 1999 को भारत को लौटाए।
शहीद भीखाराम का शव 12 जून 99 को दोपहर करीब साढे तीन बजे दिल्ली से विशेष वाहन से उनके पैतृक गांव पहुंचा तथा करीब पांच बजे शव पंचतत्व में विलीन कर दिया गया। बाडमेर जिले का नाम गौरवान्वित करने वाले शहीद को हजारों सजन नेत्रों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र चौधरी, क्षेत्रीय विधायक व कई नेताओं ने उनके शव पर पुष्पांजलि अर्पित की। शहीद के शव को आमजन के अंतिम दर्शनों के लिए तिरंगे में लपेट कर रखा गया। बाद में पश्चिमी मोर्चे की सैनिक टुकडी द्वारा सलामी देकर शव यात्रा शुरू हुई।
अंत्येष्टि स्थल पर सेना के जवानों ने तीन चक्र फायर करके मातमीधुन बजाई। बाद में भीखाराम के तीन वर्षीय पुत्र भूपेन्द्र सिंह उर्फ बॉबी के मुखाग्नि दी और वैदिक मंत्रोच्चार से दाह संस्कार सम्पन्न हुआ। उस समय शहीद के पिता चैनाराम पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र मंडोर में नियुक्त थे। इस परिवार के अधिकांश सदस्य फौज में है। भीखाराम का विवाह पतासर से तीन किलोमीटर दूर संताऊनी पुरोहित के बुद्धाराम सियाल की बेटी भंवरी देवी से हुआ था। भंवरी देवी की उम्र अभी मात्र तीस वर्ष है। भंवरी देवी अधिक पढी लिखी नही है। पति के बलिदान से उसे एक ध्येय मिल गया है। शहीद के गांव में स्थित राजकिय उच्च प्राथमिक विद्यालय का नामकरण शहीद भीखाराम राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय करने की घोषणा जरूर हुई मगर आज-तक केवल एक बोर्ड पर ही शहीद का नाम लिखा गया है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, जोधपुर की पूर्व सांसद कृष्णा कुमारी एवं पूर्व महाराजा गजसिंह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी पतासर जाकर शहीद के परिजनों को सांत्वना दी थी।

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