राजस्थान दर्शन ...बूंदी शौर्य की दंतव्य कहानियों का साक्षी
बूंदी एक प्राकृतिक घाटी में बसा हैं। इस घाटी को बून्दु का नाला कहते हैं। सन् 1342 में राव देवा ने इस नाले के बीच बूंदी कस्बे की स्थापना की। 1991 में यह राजस्थान का एक नवीन जिला बना। कोटा से 35 किलोमीटर दूर स्थित बूंदी इस जिले का एक प्रमुख ऐतिहासिक नगर हैं। मीणा प्रमुख बूंदा के नाम पर इस शहर का नाम बूंदी पडा हैं। बूंदी अनेक शहरों जैसे कोटा, टोंक, जयपुर और अजमेर से सडक मार्ग से जुडा हुआ हैं। यहाँ पर्यटकों के लिये अनेक आकर्षण हैं। पहाडी के ऊपर हाडाओं का प्रसिद्व किला स्थित हैं जिसका निर्माण 1354 ईस्वी में राव राजा बरसिंह ने करवाया था। कोटा-अजमेर सडक मार्ग से बूंदी का भव्य दृश्य दर्शनीय हैं।
भौगोलिक स्थिति
एक अनियमित, समतल व चतुर्भुजाकार का बूंदी जिला मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्र हैं, पश्चिमी भाग में अरावली की पहाडि़यां हैं। जिले में विन्ध्यांचल और अरावली दोनों पहाड़ी श्रेणियां हैं। फूलसागर, दुगारी, वर्धा, नमाना, हिण्डोली, गंगासागर, दादूर, जेतसागर, चांदोलिया तथा रोठेदा आदि जिले के प्रमुख तालाब हैं। जिले में रामगढ जीव अभयारण्य व दुगारी में एक पक्षी अभयारण्य भी हैं।
एक अनियमित, समतल व चतुर्भुजाकार का बूंदी जिला मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्र हैं, पश्चिमी भाग में अरावली की पहाडि़यां हैं। जिले में विन्ध्यांचल और अरावली दोनों पहाड़ी श्रेणियां हैं। फूलसागर, दुगारी, वर्धा, नमाना, हिण्डोली, गंगासागर, दादूर, जेतसागर, चांदोलिया तथा रोठेदा आदि जिले के प्रमुख तालाब हैं। जिले में रामगढ जीव अभयारण्य व दुगारी में एक पक्षी अभयारण्य भी हैं।
दर्शनीय पर्यटन स्थल
चौरासी खम्भों की छतरी - बूंदी शहर से लगभग डेढ किलोमीटर दूर कोटा मार्ग पर यह भव्य छतरी स्थित हैं। राव राजा अनिरूद्व सिंह के भाई देवा द्वारा सन् 1683 में इस छतरी का निर्माण करवाया गया था। चौरासी स्तम्भों की यह विशाल छतरी नगर के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं।
तारागढ दुर्ग - बूंदी शहर का प्रसिद्व दुर्ग जो पीले पत्थरों का बना हुआ हैं, तारागढ के दुर्ग के नाम से प्रसिद्व हैं। इसका निर्माण राव राजा बरसिंह ने 1354 में बनवाया था।.
रामेश्वर-बूंरी से 25 किलोमीटर दूर रामेश्वर प्रसिद्व पर्यटक स्थल हैं। यहाँ का जल प्रपात और शिव मंन्दिर प्रसिद्व हैं।
खटखट महादेव-बूंदी नैनवा मार्ग पर खटखट महादेव का प्रसिद्व मंदिर स्थित हैं। यहाँ का शिवलिंग खटखट महादेव के नाम से प्रसिद्व हैं।
इन्द्रगढ- यह पश्चिमी-मध्य रेल्वे के सवाईमाधोपुर-कोटा रेल खण्ड पर स्थित हैं। यहाँ से 20-25 किलोमीटर दूर इन्द्रगढ की माता जी का मंदिर स्थित हैं जहाँ प्रतिवर्ष एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं।
नवलसागर-तारागढ दुर्ग की पाहाडी की तलहटी में स्थित नवलसागर तालाब प्रसिद्व हैं। इसके बीच में एक मंदिर तथा छतरी बनी हुई हैं। इसका निर्माण महाराव राज उम्मेद सिंह द्वारा करवाया गया ।
रानी जी की बावडी- बूंदी को बावडियों का शहर भी कहते हैं। राव राजा अनिरूद्व सिंह की रानी नाथावती द्वारा 1699 में इस बावडी का निर्माण कराया था।
जैतसागर-शहर के निकट जैतसागर तालाब स्थित है। इसका निर्माण जैता मीणा द्वारा करवाया गया था। इसकी पाल पर सुख् महल बना हुआ हैं। जिसका निर्माण राजा विष्णु सिंह ने करवाया था। तालाब के किनारे पहाडी ढलान पर एक मनोरम टेरेस गार्डन बना हुआ है । जैतसागर तालाब में पैडल बोट के द्वार नौका विहार का
चौरासी खम्भों की छतरी - बूंदी शहर से लगभग डेढ किलोमीटर दूर कोटा मार्ग पर यह भव्य छतरी स्थित हैं। राव राजा अनिरूद्व सिंह के भाई देवा द्वारा सन् 1683 में इस छतरी का निर्माण करवाया गया था। चौरासी स्तम्भों की यह विशाल छतरी नगर के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं।
तारागढ दुर्ग - बूंदी शहर का प्रसिद्व दुर्ग जो पीले पत्थरों का बना हुआ हैं, तारागढ के दुर्ग के नाम से प्रसिद्व हैं। इसका निर्माण राव राजा बरसिंह ने 1354 में बनवाया था।.
रामेश्वर-बूंरी से 25 किलोमीटर दूर रामेश्वर प्रसिद्व पर्यटक स्थल हैं। यहाँ का जल प्रपात और शिव मंन्दिर प्रसिद्व हैं।
खटखट महादेव-बूंदी नैनवा मार्ग पर खटखट महादेव का प्रसिद्व मंदिर स्थित हैं। यहाँ का शिवलिंग खटखट महादेव के नाम से प्रसिद्व हैं।
इन्द्रगढ- यह पश्चिमी-मध्य रेल्वे के सवाईमाधोपुर-कोटा रेल खण्ड पर स्थित हैं। यहाँ से 20-25 किलोमीटर दूर इन्द्रगढ की माता जी का मंदिर स्थित हैं जहाँ प्रतिवर्ष एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं।
नवलसागर-तारागढ दुर्ग की पाहाडी की तलहटी में स्थित नवलसागर तालाब प्रसिद्व हैं। इसके बीच में एक मंदिर तथा छतरी बनी हुई हैं। इसका निर्माण महाराव राज उम्मेद सिंह द्वारा करवाया गया ।
रानी जी की बावडी- बूंदी को बावडियों का शहर भी कहते हैं। राव राजा अनिरूद्व सिंह की रानी नाथावती द्वारा 1699 में इस बावडी का निर्माण कराया था।
जैतसागर-शहर के निकट जैतसागर तालाब स्थित है। इसका निर्माण जैता मीणा द्वारा करवाया गया था। इसकी पाल पर सुख् महल बना हुआ हैं। जिसका निर्माण राजा विष्णु सिंह ने करवाया था। तालाब के किनारे पहाडी ढलान पर एक मनोरम टेरेस गार्डन बना हुआ है । जैतसागर तालाब में पैडल बोट के द्वार नौका विहार का
आनन्द लिया जा सकता है।......
फूलसागर- बूंदी शहर से 7 किलोमीटर दूर स्थित फूलसागर तालाब स्थित हैं। इसका निर्माण राव राजा भोज सिंह की पत्नि फूल लता ने 1602 में करवाया था।......
भीरासाहब की दरगाह -बूंदी शहर में निकट की पहाडी चोटी पर मीरा साहब की दरगाह बनी हुई हैं। यह दरगाह दूर से ही दिखाई देती हैं।
बाण गंगा- बूंदी के उत्तर में शिकार बुर्ज के पास बाण गंगा एक प्रसिद्व धार्मिक स्थल हैं। यह स्थान कैदारेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता हैं।
क्षारबाग -बूंदी राज्य के भूतपूर्व राजाओं की अनेक छतरियाँ जैतसागर औ शिकार बुर्ज के मध्य स्थित हैं। इन्हें क्षारबाग की छतरियों के नामे जाना जाता हैं।
शिकार बुर्ज - जैतसागर से 3 किलोमीटर दूर शिकार बुर्ज स्थित हैं। इसका निर्माण शिकार खेलने के लिए करवाया गया था। शिकार बुर्ज के निकट ही चौथ माता का मन्दिर स्थित हैं।
भीमलूत- बूंदी से 24 किलोमीटर दूर भीमलत एक धार्मिक और प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। यहाँ का जल प्रपात 150 फीट ऊंचा हैं। बरसात के दिनों में यहाँ का दृश्य बहुत ही मनोहारी होता हैं। नीच े एक शिव मंदिर बना हुआ हैं।
लाखेरी-बूंदी से 60 किलोमीटर दूर पश्चिमी-मध्य रेल्वे के दिल्ली-मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित हैं। राजस्थान की पहली सीमेंट फैक्ट्री 1912-13 में यहाँ स्थापित की गई थी। यहाँ से तुगलक कालीन सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
केशोरायपाटन-(46 किमी) यह एक प्राचीन शहर हैं जो चम्बल नदी के किनारे स्थित हैं।यहाँ जो लेख पाये जाते हैं वो 1 शताब्दी ईस्वी के हैं। नदी के किनारे केसरिया जी (विष्णु का स्वरूप) का प्रसिद्व मंदिर स्थित हैं। यहाँ एक चीनी मील कार्यरत हैं जो सहकारी क्षेत्र में स्थित हैं।
अभयारण्य - बुन्दी जिले मे वन क्षेत्र राज्य के औसत 9 प्रतिशत से कहीं अधिक है। जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 5530 वर्ग किलामीटर में से 1569.28 वन क्षेत्र है जो कि लगभग 28 प्रतिशतहै। जिले में विन्ध्याचल एवं अरावली पर्वतमाला है, परन्तु ज्यादातर भाग विन्धयाचल पर्वतमाला का है। यहां के वन पतझड़ वाले शुल्क वन श्रेणी के है जिनमे मुख्य वृक्ष प्रजाति धोक है। मुख्य वनस्पति: धाके , पलाश, खेर, करे , सालर, विलायती बबलू है जबकि मुख्य वन्यप्राणी: तेन्दुआ, भालु, कृष्ण मृग, सांभर, चीतल, बिज्जु, काली पुछं का नेवला, जंगली सुअर है। मुख्य पक्षी: सारस, जंगली मुर्गा है।
जिले मे कुल तीन अभयारण्य है।
रामगढ़ - रामगढ़ अभयारण्य: रामगढ़ अभयारण्य की स्थापना 20 मई 1982 को हुई। इसका क्षेत्रफल 307 वर्ग कि.मी. है। इसके मुख्य आर्कषण में सघन वन, रामगढ़ महल एंव मजे नदी है। बाघ यहां नब्बे के दशक तक था। उसका स्थान अब तेन्दुआ ने ले लिया है। रामगढ़ में कई ट्रेकिगं रास्ते है जिनके द्वारा इसकी जैव विविधता का आनन्द उठाया जा सकता है। इसमें प्रवेश के लिये फिलहाल टिकिट व्यवस्था मण्डल कार्यालय बुन्दी से ही है।
राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य : चम्बल नदी के एक किमी. चोडी पट्टी मे यह अभयारण्य केशोराय पाटन से आरम्भ होकर
सवाईमाधोपुर की सीमा तक है। घडिय़ाल व मगर संरक्षण वास्ते इस क्षेत्र का अभयारण्य घोषित किया है।
जवाहर सागर - जवाहर सागर अभयारण्य का नियंत्रण वन मण्डल कोटा (वन्यजीव) द्वारा होता है।
फूलसागर- बूंदी शहर से 7 किलोमीटर दूर स्थित फूलसागर तालाब स्थित हैं। इसका निर्माण राव राजा भोज सिंह की पत्नि फूल लता ने 1602 में करवाया था।......
भीरासाहब की दरगाह -बूंदी शहर में निकट की पहाडी चोटी पर मीरा साहब की दरगाह बनी हुई हैं। यह दरगाह दूर से ही दिखाई देती हैं।
बाण गंगा- बूंदी के उत्तर में शिकार बुर्ज के पास बाण गंगा एक प्रसिद्व धार्मिक स्थल हैं। यह स्थान कैदारेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता हैं।
क्षारबाग -बूंदी राज्य के भूतपूर्व राजाओं की अनेक छतरियाँ जैतसागर औ शिकार बुर्ज के मध्य स्थित हैं। इन्हें क्षारबाग की छतरियों के नामे जाना जाता हैं।
शिकार बुर्ज - जैतसागर से 3 किलोमीटर दूर शिकार बुर्ज स्थित हैं। इसका निर्माण शिकार खेलने के लिए करवाया गया था। शिकार बुर्ज के निकट ही चौथ माता का मन्दिर स्थित हैं।
भीमलूत- बूंदी से 24 किलोमीटर दूर भीमलत एक धार्मिक और प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। यहाँ का जल प्रपात 150 फीट ऊंचा हैं। बरसात के दिनों में यहाँ का दृश्य बहुत ही मनोहारी होता हैं। नीच े एक शिव मंदिर बना हुआ हैं।
लाखेरी-बूंदी से 60 किलोमीटर दूर पश्चिमी-मध्य रेल्वे के दिल्ली-मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित हैं। राजस्थान की पहली सीमेंट फैक्ट्री 1912-13 में यहाँ स्थापित की गई थी। यहाँ से तुगलक कालीन सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
केशोरायपाटन-(46 किमी) यह एक प्राचीन शहर हैं जो चम्बल नदी के किनारे स्थित हैं।यहाँ जो लेख पाये जाते हैं वो 1 शताब्दी ईस्वी के हैं। नदी के किनारे केसरिया जी (विष्णु का स्वरूप) का प्रसिद्व मंदिर स्थित हैं। यहाँ एक चीनी मील कार्यरत हैं जो सहकारी क्षेत्र में स्थित हैं।
अभयारण्य - बुन्दी जिले मे वन क्षेत्र राज्य के औसत 9 प्रतिशत से कहीं अधिक है। जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 5530 वर्ग किलामीटर में से 1569.28 वन क्षेत्र है जो कि लगभग 28 प्रतिशतहै। जिले में विन्ध्याचल एवं अरावली पर्वतमाला है, परन्तु ज्यादातर भाग विन्धयाचल पर्वतमाला का है। यहां के वन पतझड़ वाले शुल्क वन श्रेणी के है जिनमे मुख्य वृक्ष प्रजाति धोक है। मुख्य वनस्पति: धाके , पलाश, खेर, करे , सालर, विलायती बबलू है जबकि मुख्य वन्यप्राणी: तेन्दुआ, भालु, कृष्ण मृग, सांभर, चीतल, बिज्जु, काली पुछं का नेवला, जंगली सुअर है। मुख्य पक्षी: सारस, जंगली मुर्गा है।
जिले मे कुल तीन अभयारण्य है।
रामगढ़ - रामगढ़ अभयारण्य: रामगढ़ अभयारण्य की स्थापना 20 मई 1982 को हुई। इसका क्षेत्रफल 307 वर्ग कि.मी. है। इसके मुख्य आर्कषण में सघन वन, रामगढ़ महल एंव मजे नदी है। बाघ यहां नब्बे के दशक तक था। उसका स्थान अब तेन्दुआ ने ले लिया है। रामगढ़ में कई ट्रेकिगं रास्ते है जिनके द्वारा इसकी जैव विविधता का आनन्द उठाया जा सकता है। इसमें प्रवेश के लिये फिलहाल टिकिट व्यवस्था मण्डल कार्यालय बुन्दी से ही है।
राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य : चम्बल नदी के एक किमी. चोडी पट्टी मे यह अभयारण्य केशोराय पाटन से आरम्भ होकर
सवाईमाधोपुर की सीमा तक है। घडिय़ाल व मगर संरक्षण वास्ते इस क्षेत्र का अभयारण्य घोषित किया है।
जवाहर सागर - जवाहर सागर अभयारण्य का नियंत्रण वन मण्डल कोटा (वन्यजीव) द्वारा होता है।
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