शनिवार, 23 जून 2012

इस शख्स ने बनाया ऐसा सॉफ्टवेयर, जिसने उड़ा दी नेताओं-उद्योगपतियों की नींद!

नई दिल्ली.आमजन को भले ही 21 दिन बाद सिलेंडर मिलता हो, लेकिन नेता-उद्योगपति तो तकरीबन हर दिन रसोई गैस सिलेंडर ले रहे हैं। सरकारी तेल कंपनियों की ट्रांसपेरेंसी पोर्टल में इसका खुलासा हुआ है। यह झूठ भी उजागर हुआ है कि दूसरे सिलेंडर के लिए 21 दिन के इंतजार का नियम पेट्रोलियम कंपनियों का नहीं है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने शुक्रवार को कंपनियों का ट्रांसपेरेंसी पोर्टल शुरू किया। पोर्टल के अनुसार, उद्योगपति नवीन जिंदल के घर हर दिन एक सिलेंडर की खपत हुई। रेड्डी के घर एक साल में 26 सिलेंडर इस्तेमाल हुए। इस खुलासे के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने आनन-फानन में बयान दिया कि कोई भी व्यक्ति महीने में कितने भी सिलेंडर ले सकता है।इसके लिए कोई समय-सीमा तय नहीं है। 
डीलर अभी भी अड़े:

आम लोगों के लिए पेट्रोलियम कंपनियां एक बार सिलेंडर की डिलीवरी देने के बाद 21 दिन तक दोबारा बुकिंग नहीं करतीं। सालभर में अधिकतम 17 सिलेंडर ही ले सकते हैं। दिल्ली की सोना एंटरप्राइजेज, कंसल एजेंसी, दीक्षित गैस और जयनगर, मधुबनी की सपना गैस एजेंसी का कहना है कि ग्राहक 22 दिन से पहले सिलेंडर बुक नहीं कर सकता। सपना गैस एजेंसी के मैनेजर विनोद झा का दावा है कि यह नियम पेट्रोलियम मंत्रालय का है।

पोर्टल से फायदा

>बुकिंग की स्थिति पर नजर रख सकेंगे।

>देख सकेंगे कि आपके नाम पर कितने सिलेंडर जारी हुए। ञ्चसिलेंडर नहीं पहुंचने पर एजेंसी की शिकायत कर सकते हैं। ञ्चएक माह में दो से ज्यादा सिलेंडर लेने वालों के नाम सार्वजनिक होंगे।

खुद सरकार ने उजागर किया, मई 2011 से मई 2012 तक किस नेता को कितने सिलेंडर मिले


सब्सिडी का असली फायदा तो नेताओं को

369 नवीन जिंदल को

171 उपराष्ट्रपति अंसारी को

161 मंत्री परनीत कौर को

80 राजनाथ सिंह को।

63 मेनका गांधी को

58 मुलायम यादव को।

49 शरद यादव को

45 अशोक गहलोत को

43 लालू यादव को।

31 शरद पवार को।


हर सिलेंडर पर सरकार को 450 रुपए का आर्थिक बोझ पड़ता है। यानी सब्सिडी का फायदा तो नेताओं को ही मिल रहा है।

सरकार ने बीते साल रसोई गैस पर 30 हजार करोड़ की सब्सिडी दी। 2012-13 में यह 43 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है। यानी 13 हजार करोड़ ज्यादा।

कोई आदमी कितने सिलेंडर लेगा, देश में अभी इसके लिए कोई कानून नहीं है। सिलेंडर की खपत बताती है कि मैं कितना लोकप्रिय नेता हूं। - जयपाल रेड्डी

जोधपुर की कंपनी है पोर्टल की निर्माता

एलपीजी ट्रांसपरेंसी पोर्टल का निर्माण जोधपुर की सीजी टेक्नोसॉफ्ट प्रालि ने किया है। कंपनी के एमडी पुनीत राव, सीईओ दीपकसिंह गहलोत व टीम ने छह माह में इस सॉफ्टवेयर को डवलप किया है। राव ने बताया कि उनकी कंपनी दो साल पहले इंडेन की ऑल इंडिया ऑनलाइन बुकिंग वेबसाइट बना चुकी है। उसी के विस्तार के तौर पर जब उन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय का यह प्रोजेक्ट मिला तो उन्होंने इसे चुनौती की तरह लिया। 14 करोड़ डेटा को ऑनलाइन करना, सारी जानकारी सैकंडों में उपलब्ध व अपडेट करने लायक पोर्टल बनाना एक बड़ी चुनौती थी।इस प्रोजेक्ट पर राव, गहलोत व पूरी टीम ने छह माह तक दिन-रात काम किया।


देश-विदेश दोनों के लिए काम

जोधपुर के जाए-जन्मे पुनीत राव ने 1998 में लाचू कॉलेज से बीएससी बायोलॉजी के बावजूद सॉफ्टवेयर क्षेत्र में रुचि के कारण वेबसाइट क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया। 2001 में उन्होंने दीपकसिंह गहलोत के साथ कंपनी स्थापित की। 2005 में उनकी कंपनी ने कैलिफोर्निया (यूएसए) के एक पूरे शहर का डिजास्टर मैनेजमेंट साफ्टवेयर बनाया। यह उनका टर्निग पाइंट रहा, इसके बाद उन्होंने भारत, यूएसए, यूके आदि कई देशों के लिए अनगिनत साफ्टवेयर डवलप किए।

इस बीच उन्होंने मातृभूमि को भी अपनी प्रतिभा का लाभ देने के लिए ई-मित्र सोसायटी को ऑनलाइन गैस बुकिंग का साफ्टवेयर बनाकर फ्री में उपलब्ध कराया। आज इस कंपनी के 102 लोग देश-विदेश के लिए जोधपुर में ही रहकर साफ्टवेयर डवलप कर रहे हैं।

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