शनिवार, 9 जून 2012

सेना ने मानी हार तो विरान बर्फ में पति को खोजने निकली नेहा

केलांग. आठ माह पहले मिग-29 की दुर्घटना में लापता हुए पायलट और स्क्वाड्रन लीडर धमेंद्र सिंह तोमर की पत्नी को अपने पति के जीवित होने की उम्मीद भले ही धूमिल हो गई हो लेकिन आस्था और विश्वास ने उन्हें एक ओर प्रयास करने की शक्ति दी है। इसी उम्मीद और विश्वास के साथ वह शीत मरुस्थल लाहौल में अपनी पति की तलाश में निकली हैं।  
उनका मानना है कि पति भले ही जीवित न मिलें लेकिन उनकी अस्थियां मिलने पर वह उनका हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार कर पत्नी धर्म को पूरा करेंगी। धर्मेद्र की पत्नी नेहा तोमर कहती हैं कि ‘उनके’ जीवित होने की उम्मीद तो बहुत कम है। क्योंकि जिस क्षेत्र में मिग गिरा वह बहुत ही बीहड़ और बारह महीनों बर्फ से ढका रहता है। जिंदा न सही तो उनका शव मिल जाए तो वे हिंदु धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर सकें।

वह अपने परिवार के कुछ लोगों के साथ लाहौल पहुंची हैं और स्थानीय प्रशासन की मदद से सर्च अभियान में जुट गई हैं। जिला के स्थानीय ट्रेकरों से मदद की गुहार लगाकर किसी भी सूरत में पायलट को ढूंढ निकालना चाहती हैं।

मिग के दुर्घनाग्रस्त होने के बाद से लापता हैं धर्मेंद्र

18 अक्टूबर 2011 की रात को लाहौल में मिग-29 मौसम खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में पायलट एवं स्क्वाड्रन लीडर धर्मेंद्र सिंह तोमर का कोई पता नहीं लगा। सेना ने उस दौरान सर्च अभियान भी चलाया लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। सेना के जवानों को उस समय मांस के कुछ टुकड़े मिले थे जिसे फॉरेंसिक लैब भेजा गया लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली। धर्मेद्र के परिवार वाले इस बारे में किसी गुरु की शरण में गए थे। गुरु ने उनके मन में उम्मीद की किरण जगा दी। गुरु ने कहा कि वे तलाश करें ऐसा लगता है कि धर्मेंद्र जिंदा है और वह बारालाचा की तरफ चले गए हों। हालांकि इतनी लंबी अवधि के दौरान धर्मेद्र के बारे में कोई पुख्ता जानकारी न मिलना भी परिवारवालों के मन में शक पैदा करता है लेकिन उम्मीद एक बार फिर उन्हें लाहौल स्पीति की घाटियों में ले आई।

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