सरकार ने कहा सोसायटीज में लगाया गया जनता का पैसा सुरक्षित नहीं।
शक के घेरे में के्रडिट सोसायटियां
जयपुर। जनता के 6 अरब 20 करोड़ रूपए पर खतरा मंडरा रहा है। खून-पसीना एक करके क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज में लगाया गया जनता का पैसा सुरक्षित नहीं। ...क्योंकि इन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज पर कोई नजर नहीं रखने वाला।
राज्य में पंजीकृत सोसायटीज में से ज्यादातर का ऑडिट ही नहीं हुआ। सोसायटियों का पंजीयन करने वाले सहकारिता विभाग की ओर से जारी चेतावनी के बाद जमाकर्ताओं की चिंता और बढ़ गई है। राज्य के विभिन्न जिलों में 817 सोसायटियां वर्तमान में पंजीकृत हैं, जिनमें से 2010-11 तक महज 264 सोसायटियों का ही ऑडिट हुआ। शेष 553 सोसायटियों के हिसाब-किताब पर कोई नजर ही नहीं है। ऑडिट नहीं कराने के बावजूद इनमें से अधिकांश सोसायटियां जनता से लगातार पैसा जमा कर रही हैं।
...और बंद हो गई सोसायटियां
सहकारिता विभाग की ओर से इन सोसायटियों के बारे में हाल ही में किए गए सर्वे की रिपोर्ट से पता चला है कि पंजीकृत सोसायटियों में से सैकड़ों ऎसी हैं, जो रिकॉर्ड में बन्द हैं, लेकिन इनमें भी सदस्यों से जमाएं ली जा रही हैं।जारी की थी अपीलएक पखवाड़े पूर्व सहकारिता विभाग ने आम जनता के नाम अपील जारी कर इस तरह की सोसायटियों से सावधान रहने की अपील की थी। जिसमें कहा गया था जनता सोसायटियों का पूरा अध्ययन व छानबीन के बाद ही इनसे लेनदेन करे।
कानून में प्रावधान हैं, जिससे विभाग इनका पंजीकरण करता है। पंजीकरण के बाद हर साल सोसायटीज को निजी ऑडिटर से ऑडिट कराकर रिपोर्ट विभाग को देने का भी प्रावधान है, लेकिन अधिकांश सोसायटी ऎसा नहीं कर रहीं। ऎसे में जनता को सोच समझकर अपना खून पसीने का पैसा इन सोसायटीज में जमा कराना चाहिए। परसादी लाल मीणा सहकारिता मंत्री
जयपुर। जनता के 6 अरब 20 करोड़ रूपए पर खतरा मंडरा रहा है। खून-पसीना एक करके क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज में लगाया गया जनता का पैसा सुरक्षित नहीं। ...क्योंकि इन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज पर कोई नजर नहीं रखने वाला।
राज्य में पंजीकृत सोसायटीज में से ज्यादातर का ऑडिट ही नहीं हुआ। सोसायटियों का पंजीयन करने वाले सहकारिता विभाग की ओर से जारी चेतावनी के बाद जमाकर्ताओं की चिंता और बढ़ गई है। राज्य के विभिन्न जिलों में 817 सोसायटियां वर्तमान में पंजीकृत हैं, जिनमें से 2010-11 तक महज 264 सोसायटियों का ही ऑडिट हुआ। शेष 553 सोसायटियों के हिसाब-किताब पर कोई नजर ही नहीं है। ऑडिट नहीं कराने के बावजूद इनमें से अधिकांश सोसायटियां जनता से लगातार पैसा जमा कर रही हैं।
...और बंद हो गई सोसायटियां
सहकारिता विभाग की ओर से इन सोसायटियों के बारे में हाल ही में किए गए सर्वे की रिपोर्ट से पता चला है कि पंजीकृत सोसायटियों में से सैकड़ों ऎसी हैं, जो रिकॉर्ड में बन्द हैं, लेकिन इनमें भी सदस्यों से जमाएं ली जा रही हैं।जारी की थी अपीलएक पखवाड़े पूर्व सहकारिता विभाग ने आम जनता के नाम अपील जारी कर इस तरह की सोसायटियों से सावधान रहने की अपील की थी। जिसमें कहा गया था जनता सोसायटियों का पूरा अध्ययन व छानबीन के बाद ही इनसे लेनदेन करे।
कानून में प्रावधान हैं, जिससे विभाग इनका पंजीकरण करता है। पंजीकरण के बाद हर साल सोसायटीज को निजी ऑडिटर से ऑडिट कराकर रिपोर्ट विभाग को देने का भी प्रावधान है, लेकिन अधिकांश सोसायटी ऎसा नहीं कर रहीं। ऎसे में जनता को सोच समझकर अपना खून पसीने का पैसा इन सोसायटीज में जमा कराना चाहिए। परसादी लाल मीणा सहकारिता मंत्री
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