शनिवार, 30 जून 2012

जब सरेआम सड़कों पर उतर आए समलैंगिक लड़के-लड़कियां

पटना। महानगरों जैसी सुविधा के लिए इस शहर को अभी शायद काफी लंबा इंतजार करना पड़े, लेकिन बेबाकी से अपनी बात कहने वालों की यहां कमी नहीं है। शुक्रवार को राजधानी पटना की सड़कों पर जो दिखा वह बिहार में पहले कभी नहीं हुआ था। राज्य के चार जिलों से आए दर्जन भर समलैंगिक खुल कर सामने आए और 'गे प्राइड परेड' में हिस्सा लिया।
PHOTOS: जब सरेआम सड़कों पर उतर आए समलैंगिक लड़के-लड़कियां 

समलैंगिकों ने साफ शब्दों में कहा कि हमें अपनी पहचान के साथ जीना है। कोई अगर समलैंगिक जिंदगी जीना चाहता है तो उसे क्यों रोका जाता है? समाज आज भी हमें बुरी नजरों से क्यों देखता है? इस परेड में औरंगाबाद की 'बिहारी सखा', कैमूर का 'दोस्ताना सफर', सासाराम का 'पवन' और जहानाबाद के 'संघर्ष फाउंडेशन' संस्था के लोगों ने भाग लिया।लाखों की संख्या में हैं समलैंगिक
'गे प्राइड परेड' का आयोजन करने वाले प्रोजेक्ट 'पहचान' के ट्रेनिंग को-ऑडिनेटर मो. तनवीर खान ने बताया कि बिहार में समलैंगिक और हिजड़ों की संख्या लाखों में है। लेकिन, अभी सबों को खुलकर सामने आने में वक्त लगेगा। घरवालों का डर, हंसी का पात्र बनने का डर उन्हें सामने आने से रोकता है। उन्होंने दावा किया कि 2015 तक उनका संगठन काफी मजबूत हो जाएगा और वे अपने हितों की रक्षा स्वयं करने में सक्षम होंगे।


हम आठ साल से साथ हैं

परेड में शामिल मोनिका और सुमन ने बताया कि वे आठ साल से साथ रहती हैं। अब वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकतीं। शारीरिक संबंध के बारे में उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उनके पुरुष मित्र इसमें उनका सहयोग करते हैं। परेड में शामिल मुकेश ने कहा कि समाज हमें ताना न दें और न मजाक उड़ाए, हमें भी जीने का हक दे। सोनू ने कहा कि हमलोग खुल कर लोगों के सामने आना चाहते हैं।

लोगों ने दिखायी गहरी रुचि

कारगिल चौक से डाकबंगला चौराहे तक के 'गे प्राइड परेड' में लोगों ने गहरी रुचि दिखायी। लोग एक-दूसरे से पूछते नजर आए कि ये कौन लोग हैं और इनकी क्या मांग है। परेड जहां से गुजरा, वहीं ट्रैफिक जाम हो गया। मीडिया वालों की भीड़ के कारण भी लोग परेड के प्रति आकर्षित हुए।

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