गुरुवार, 21 जून 2012

रम्मत कलाकार व लोक कवि तेज की जयंती आज

रम्मत कलाकार व लोक कवि तेज की जयंती आज



कवि तेज की रचनाएं एवं उनका योगदान रहेगा हमेशा याद









जैसलमेर स्वर्णनगरी की रम्मत कला, आरती, होली के गीत, स्वराज बावनी, आईनाथ अड़तालिसी जैसे ग्रंथ के रचयिता स्वर्णनगरी के कवि तेज की 131वीं जयंती 21 जून को है। कवि तेज जैसलमेर के इतिहास में अपना एक उल्लेखनीय स्थान रखते हैं। उनके द्वारा लिखी गई रचनाओं ने जैसलमेर के सांस्कृतिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया। साथ ही रम्मत कला के भी वह धुरंधर थे। कृष्ण कंपनी द्वारा अभी भी र रम्मतों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं से स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी योगदान दिया। 1920 में कांग्रेस के नागपुर सम्मेलन में वह गांधीजी से मिले, तथा उनके विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने स्वराज बावनी तथा वंदे मातरम जैसी रचनाएं भी लिखी तथा आमजन को स्वतंत्रता के प्रति जागरूक करने का भी कार्य किया। इतिहासकार नंद किशोर शर्मा ने बताया कि उनका जन्म आषाढ़ शुक्ल द्वितीया संवत् 1938 तदनुसार ई.1881 में दवेरा गोत्र शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण कुल के जैसलमेर निवासी श्री गोरीदास जी भोजक के यहां हुआ। इनके पूर्वज भट्ीवंशीय राजाओं के साथ श्री आदिनारायण जी की पूजा सेवा निमित रहा करते थे। तेज कवि की शिक्षा-दीक्षा जैसलमेर के सुप्रसिद्ध विद्वान मेहता अजीतसिंह की देख रेख में हुई।




स्वतंत्रता संग्राम में भी दिया योगदान




1920 में नागपुर में कांग्रेस के अधिवेशन में कवि तेज महात्मा गांधी जी से मिले। गांधी के विचारों का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा और स्वराज बावनी वंदे मातरम्, नागपुर एवं कांग्रेस की लवाणियों की रचनाएं बनाई थी। राष्ट्रभक्ति आंदोलन में जैसलमेर का प्रतिनिधित्व करने वाले महान कवि ने स्वाधीनता संग्राम, समाज सुधार आदि विषयों पर भी कई रचनाएं लिखकर अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। फाल्गुन शुक्ला द्वितीया संवत 1983 वि. ई. 1926 में कवि तेज का 45 वर्ष की अल्पायु में निधन हुआ। मरु सांस्कृतिक केन्द्र के संस्थापक नंद किशोर शर्मा ने बताया कि इस वर्ष कवि तेज की 131 वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाने की योजना थी मगर मरु श्री एवं रम्मत के कलाकार श्री लक्ष्मीनारायण के असामयिक निधन से जयंती समारोह की आगामी तिथियां शीघ्र घोषित की जाएगी।

















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