इस्लामाबाद. पाकिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सत्ता पर काबिज पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के राजा परवेज अशरफ प्रधानमंत्री चुन लिए गए हैं। वे पाकिस्तान के 25 वें प्रधानमंत्री होंगे। अशरफ को नेशनल असेंबली में हुए चुनाव में 211 वोट मिले हैं। दूसरे नंबर पर पीएमएल (एन) के मेहताब अब्बासी को 89 वोट मिले हैं।
मखदूम शहाबुद्दीन के बाद शुक्रवार को पीपीपी ने राजा परवेज अशरफ का नाम पीएम पद के लिए नामित कर दिया। लेकिन अशरफ के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के पुराने आरोप हैं। इन्हीं आरोपों के चलते उन्हें गिलानी की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। वे जल और ऊर्जा मंत्री थे। इसी वजह से कई राजनीतिक दल उनका विरोध कर रहे थे।
राजा परवेज अशरफ के नाम ऐलान पीपीपी के खुर्शीद शाह, एमक्यूएम के हैदर अब्बास रिजवी और अवामी नेशनल पार्टी के अफराशियब खटक ने किया। गुरुवार रात को हुई बैठक में पीपीपी के सहयोगी दलों ने भी परवेज अशरफ के नाम पर मुहर लगा दी थी। अशरफ को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला मखदूम शहाबुद्दीन का नाम नकारे जाने के बाद लिया गया। मख्दूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक अदालत ने गैर जमानती वॉरंट जारी किया था और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
कौन हैं राजा परवेज अशरफ
राजा परवेज अशरफ रावलपिंडी के शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें भुट्टो परिवार का बेहद खास माना जाता है। 61 साल के अशरफ नेशनल अकाउंटीबिलिटी कोर्ट में जांच का सामना कर रहे हैं। जल और ऊर्जा मंत्री के पद पर रहते हुए उन पर बिजली परियोजनाओं में हुए घोटाले का आरोप है। अशरफ पीपीपी के महासचिव रह चुके हैं। वे रावलपिंडी की गुजर खान सीट से नेशनल असेंबली के लिए 2002 और 2008 में चुने गए थे। वे गिलानी की सरकार में दो बार मंत्री रहे हैं। उन्होंने पिछले साल फरवरी में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इस साल अप्रैल में उन्होंने सूचना तकनीक के मंत्री के तौर पर कैबिनेट में वापसी की। जानकार अशरफ के नामांकन को पाकिस्तान की न्यायपालिका से टकराव के तौर पर देख रहे हैं। अशरफ का नामांकन वहां की सुप्रीम कोर्ट को रास नहीं आएगा क्योंकि इसी कोर्ट ने सरकार को अशरफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
मखदूम शहाबुद्दीन के बाद शुक्रवार को पीपीपी ने राजा परवेज अशरफ का नाम पीएम पद के लिए नामित कर दिया। लेकिन अशरफ के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के पुराने आरोप हैं। इन्हीं आरोपों के चलते उन्हें गिलानी की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। वे जल और ऊर्जा मंत्री थे। इसी वजह से कई राजनीतिक दल उनका विरोध कर रहे थे।
राजा परवेज अशरफ के नाम ऐलान पीपीपी के खुर्शीद शाह, एमक्यूएम के हैदर अब्बास रिजवी और अवामी नेशनल पार्टी के अफराशियब खटक ने किया। गुरुवार रात को हुई बैठक में पीपीपी के सहयोगी दलों ने भी परवेज अशरफ के नाम पर मुहर लगा दी थी। अशरफ को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला मखदूम शहाबुद्दीन का नाम नकारे जाने के बाद लिया गया। मख्दूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक अदालत ने गैर जमानती वॉरंट जारी किया था और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
कौन हैं राजा परवेज अशरफ
राजा परवेज अशरफ रावलपिंडी के शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें भुट्टो परिवार का बेहद खास माना जाता है। 61 साल के अशरफ नेशनल अकाउंटीबिलिटी कोर्ट में जांच का सामना कर रहे हैं। जल और ऊर्जा मंत्री के पद पर रहते हुए उन पर बिजली परियोजनाओं में हुए घोटाले का आरोप है। अशरफ पीपीपी के महासचिव रह चुके हैं। वे रावलपिंडी की गुजर खान सीट से नेशनल असेंबली के लिए 2002 और 2008 में चुने गए थे। वे गिलानी की सरकार में दो बार मंत्री रहे हैं। उन्होंने पिछले साल फरवरी में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इस साल अप्रैल में उन्होंने सूचना तकनीक के मंत्री के तौर पर कैबिनेट में वापसी की। जानकार अशरफ के नामांकन को पाकिस्तान की न्यायपालिका से टकराव के तौर पर देख रहे हैं। अशरफ का नामांकन वहां की सुप्रीम कोर्ट को रास नहीं आएगा क्योंकि इसी कोर्ट ने सरकार को अशरफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
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