मैनपुर की सुनीता बनेगी "शिक्षक"
रायपुर । कम उम्र में विवाह से इनकार कर समाज के लिए मिसाल बन चुकी मैनपुर की सुनीता मरकाम शिक्षक बनेगी और समाज के लोगों को भी जागरूक करेगी। उसके साहस से प्रभावित होकर सरकार ने पढ़ाई से लेकर विवाह तक का खर्च उठाने की घोषणा की है। आदिम जाति कल्याण मंत्री केदार कश्यप ने गुरूवार को अपने निवास पर सुनीता का सम्मान किया।
मैनपुर ब्लॉक के बेहराडीह निवासी सुनीता पर कमार समाज को नाज है। कम उम्र में विवाह करने से इनकार कर सुनीता ने जो राह दिखाई, उसे समाज में फैलाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। सुनीता पढ़-लिखकर शिक्षक बनना चाहती है। उसकी इच्छा को पूरी करने के लिए सरकार भी सामने आई है। सुनीता की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी।
आदिम जाति विभाग के प्रतिवेदन में सुनीता और उसे प्रेरित करने वाले शिक्षक गाड़ाराय सोरी का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। समाज की बैठकों में भी दोनों का उल्लेख किया जाएगा। मंत्री कश्यप ने सुनीता के पिता लखनलाल और उसकी मां शांतिबाई को आश्वस्त किया कि उन्हें शादी के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार पढ़ाई से लेकर शादी तक का खर्च उठाएगी।
अनपढ़ होकर पढ़ाया
सुनीता के पिता लखन अनपढ़ हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी सुनीता को पढ़ाने का फैसला किया। सुनीता 10वीं कक्षा की छात्रा है। सुनीता के दो छोटे भाई भी हैं। इनमें से एक आठवीं और दूसरा छठी कक्षा में पढ़ता है। मंत्री कश्यप ने जब यह जाना तो लखन से प्रभावित हुए और शाबासी दी।
कुम्हार बनेंगे शिक्षक
मंत्री कश्यप के बंगले में सोरी के अलावा झरियाबहरा आश्रम विद्यालय के शिक्षक भी आए थे। मंत्री ने उन्हें कुम्हार बनकर सुनीता की तरह छात्र गढ़ने को कहा। इसके लिए उन्होंने सरकार की तरफ से पूरी मदद का आश्वासन भी दिया। मंत्री ने सुनीता के प्रेरक सोरी और सुनीता के साहस को उजागर करने वाले पत्रकार का भी सम्मान किया।
रायपुर । कम उम्र में विवाह से इनकार कर समाज के लिए मिसाल बन चुकी मैनपुर की सुनीता मरकाम शिक्षक बनेगी और समाज के लोगों को भी जागरूक करेगी। उसके साहस से प्रभावित होकर सरकार ने पढ़ाई से लेकर विवाह तक का खर्च उठाने की घोषणा की है। आदिम जाति कल्याण मंत्री केदार कश्यप ने गुरूवार को अपने निवास पर सुनीता का सम्मान किया।
मैनपुर ब्लॉक के बेहराडीह निवासी सुनीता पर कमार समाज को नाज है। कम उम्र में विवाह करने से इनकार कर सुनीता ने जो राह दिखाई, उसे समाज में फैलाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। सुनीता पढ़-लिखकर शिक्षक बनना चाहती है। उसकी इच्छा को पूरी करने के लिए सरकार भी सामने आई है। सुनीता की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी।
आदिम जाति विभाग के प्रतिवेदन में सुनीता और उसे प्रेरित करने वाले शिक्षक गाड़ाराय सोरी का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। समाज की बैठकों में भी दोनों का उल्लेख किया जाएगा। मंत्री कश्यप ने सुनीता के पिता लखनलाल और उसकी मां शांतिबाई को आश्वस्त किया कि उन्हें शादी के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार पढ़ाई से लेकर शादी तक का खर्च उठाएगी।
अनपढ़ होकर पढ़ाया
सुनीता के पिता लखन अनपढ़ हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी सुनीता को पढ़ाने का फैसला किया। सुनीता 10वीं कक्षा की छात्रा है। सुनीता के दो छोटे भाई भी हैं। इनमें से एक आठवीं और दूसरा छठी कक्षा में पढ़ता है। मंत्री कश्यप ने जब यह जाना तो लखन से प्रभावित हुए और शाबासी दी।
कुम्हार बनेंगे शिक्षक
मंत्री कश्यप के बंगले में सोरी के अलावा झरियाबहरा आश्रम विद्यालय के शिक्षक भी आए थे। मंत्री ने उन्हें कुम्हार बनकर सुनीता की तरह छात्र गढ़ने को कहा। इसके लिए उन्होंने सरकार की तरफ से पूरी मदद का आश्वासन भी दिया। मंत्री ने सुनीता के प्रेरक सोरी और सुनीता के साहस को उजागर करने वाले पत्रकार का भी सम्मान किया।
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