रोहिणी।। उनकी उम्र 73 साल है। उनके खिलाफ 1964 से इस साल तक चीटिंग, जालसाजी और वाहन चोरी के 92 केस दर्ज हो चुके हैं। वह फौजदारी वकील हैं, लेकिन अदालतों से कारें चोरी करते हैं। वह हैंड राइटिंग डिप्लोमा होल्डर हैं, लेकिन उससे मिले ज्ञान को फर्जी दस्तखत करने में इस्तेमाल करते हैं। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
धनीराम मित्तल (73) सोनीपत के मोहन नगर के मूल निवासी हैं। अडिशनल डीसीपी पी. करुणाकरण के मुताबिक, रोहिणी में एम2के सिनेमा के नजदीक मारुति जेन में सवार धनीराम को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि उसने यह कार पश्चिम विहार से 20 दिन पहले चुराई थी। उसकी निशानदेही पर रोहिणी नॉर्थ से चोरी की गई बाइक भी बरामद की गई। उससे मारुति 800 और सैंट्रो भी बरामद की गई। इन दोनों कारों से वह टारगेट की गई कार की साइड में खड़ी कर गाड़ी चोरी करता था।
भिवानी के तोशाम कस्बे में जन्मे धनीराम ने बीएससी फर्स्ट क्लास में करने के बाद हैंड राइटिंग और ग्राफोलॉजी में डिप्लोमा किया। उसने 1970 में लॉ की डिग्री हासिल कर रोहतक कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी। धनीराम ने पुलिस को बताया कि उसी साल उसने एक डिस्ट्रिक्ट जज की कंपलसरी लीव का फर्जी ऑर्डर तैयार कर उन्हें छुट्टी भिजवा दिया। उसके बाद धनीराम ने अपना फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार किया और खुद 40 दिन तक जज के तौर पर काम करता रहा था। धनीराम के खिलाफ पहला मुकदमा चोरी और चीटिंग के आरोप में 1964 में रोहतक में दर्ज हुआ। उसके बाद उत्तरी दिल्ली के सब्जी मंडी, हिसार, जींद, रोहतक, मोती नगर, दरियागंज, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, किंग्स्वे कैम्प, करनाल, बीकानेर, श्रीगंगानगर, लाहौरी गेट, भिवानी, बाड़ा हिंदूराव, कनॉट प्लेस, फरीदाबाद, आईपी एस्टेट, तिलक मार्ग, गोहाना, बहादुरगढ़, गुड़गांव, चंडीगढ़, हरिनगर, डाबड़ी, रानी बाग आदि थानों में 2009 तक कुल 89 मुकदमे उस पर दर्ज हुए। इनके बाद इस साल उस पर सुभाष प्लेस, नॉर्थ रोहिणी और पश्चिम विहार में भी वाहन चोरियों के केस दर्ज हुए।
अडिशनल डीसीपी के अनुसार , धनीराम चोरी की जाने वाली कार को टारगेट करने के बाद उसकी साइड मेंअपनी कार खड़ी कर देता था। इसके बाद मास्टर की से उस कार को खोलकर उसे चुराता था। अगर इस दौरानवह पकड़ा जाता तो अपनी बढ़ी हुई उम्र में याददाश्त को जिम्मेदरार ठहरा कर वह साइड में खड़ी कार दिखातेहुए अपनी गलती मान लेता था। कार चोरी में कामयाबी मिलने पर वह ट्रांसपोर्ट दफ्तरों में अपनी जान पहचानसे फर्जी कागजात तैयार करवा कर उन्हें बेच देता था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें