लालबत्तियां ही लालबत्तियां...!
बाड़मेर। बाड़मेर जिले के राजनेताओं के पास इतनी लालबत्तियां पहले कभी नहीं रही। एक तरह से लाल बत्तियों से नेताओं की झोली भर गई है। जिले से एक केबिनेट मंत्री, एक राज्य मंत्री है और दो नेताओं को सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया है। आजादी के बाद ऎसा पहली बार हुआ है कि बाड़मेर जिले में एक साथ चार नेताओं को लाल बत्ती का सुख मिल रहा है।
हेमाराम चौधरी-राजस्व मंत्री
वर्तमान में बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हेमाराम चौधरी को राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। चौधरी इस सरकार में राजस्व मंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं। हेमाराम ने पिछली भाजपा सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाला। नेता प्रतिपक्ष को केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। लिहाजा उनके पास पिछले पांच वर्ष से निरंतर लालबत्ती है। इससे पहले वे वर्ष 1998 से 2003 तक रही कांग्रेस सरकार में अंतिम दो वर्ष के लिए कृषि राज्य मंत्री रहे।
अमीनखां-अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री
शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक अमीनखां वर्तमान सरकार में अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री है। राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनते ही अमीनखां को पहली बार लालबत्ती दी गई। उन्हें ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्यमंत्री बनाया गया, लेकिन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान के बाद उनसे लालबत्ती छीन ली गई। विवाद खत्म होने के बाद उन्हें फिर से राज्यमंत्री बनाया गया। फिलहाल अमीनखां अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री का कामकाज संभाल
रहे हैं।
गोपाराम मेघवाल-अध्यक्ष, अनुसूचित जाति आयोग
सिवाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके गोपाराम मेघवाल को हाल ही में राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
गफूर अहमद-अध्यक्ष, राज्य सलाहकार समिति (श्रम)
चौहटन के पूर्व विधायक अब्दुल हादी के पुत्र गफूर अहमद को चार दिन पहले ही राज्य सलाहकार समिति (श्रम) का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया।
सात बार विधायक रहने के बावजूद स्व. अब्दुल हादी को अपने राजनीतिक जीवन में कभी लालबत्ती का सुख नहीं मिला, लेकिन उसका प्रतिफल उनके पुत्र गफूर अहमद जरूर मिल गया है। हालांकि किसी बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर उनका नाम पिछले तीन वर्ष चर्चा में था, लेकिन नतीजा अब निकला है।
पहले मंत्री गंगाराम चौधरी
वर्ष 1967 में मोहनलाल सुखाडिया के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में बाड़मेर जिले के विधायक गंगाराम चौधरी उपमंत्री बने। वर्ष 1989 में भैरोसिंह शेखावत सरकार में श्रीमती मदनकौर वन राज्यमंत्री व गंगाराम चौधरी राजस्व मंत्री बने। शेखावत के अंतिम कार्यकाल में अमराराम राज्यमंत्री बने, जो वसुंधरा सरकार में भी राज्य मंत्री रहे।
एक सरकार में सात मंत्रालयों का जिम्मा
बाड़मेर जिले के जसोल निवासी जसवंतसिंह केन्द्र सरकार के एक कार्यकाल में छह मंत्रालयों में मंत्री पद का दायित्व संभालने वाली एक मात्र शख्सियत रहे। उन्होंने वित्त, विदेश, रक्षा, कम्पनी मामलात, इलेक्ट्रानिक्स, भूतल परिवहन मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। इसके अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एन डी ए सरकार के समय राजस्थान से राज्यसभा सांसद रहते हुए जसवंत ने ये मंत्री पद संभाले।
बाड़मेर। बाड़मेर जिले के राजनेताओं के पास इतनी लालबत्तियां पहले कभी नहीं रही। एक तरह से लाल बत्तियों से नेताओं की झोली भर गई है। जिले से एक केबिनेट मंत्री, एक राज्य मंत्री है और दो नेताओं को सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया है। आजादी के बाद ऎसा पहली बार हुआ है कि बाड़मेर जिले में एक साथ चार नेताओं को लाल बत्ती का सुख मिल रहा है।
हेमाराम चौधरी-राजस्व मंत्री
वर्तमान में बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हेमाराम चौधरी को राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। चौधरी इस सरकार में राजस्व मंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं। हेमाराम ने पिछली भाजपा सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाला। नेता प्रतिपक्ष को केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। लिहाजा उनके पास पिछले पांच वर्ष से निरंतर लालबत्ती है। इससे पहले वे वर्ष 1998 से 2003 तक रही कांग्रेस सरकार में अंतिम दो वर्ष के लिए कृषि राज्य मंत्री रहे।
अमीनखां-अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री
शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक अमीनखां वर्तमान सरकार में अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री है। राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनते ही अमीनखां को पहली बार लालबत्ती दी गई। उन्हें ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्यमंत्री बनाया गया, लेकिन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान के बाद उनसे लालबत्ती छीन ली गई। विवाद खत्म होने के बाद उन्हें फिर से राज्यमंत्री बनाया गया। फिलहाल अमीनखां अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री का कामकाज संभाल
रहे हैं।
गोपाराम मेघवाल-अध्यक्ष, अनुसूचित जाति आयोग
सिवाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके गोपाराम मेघवाल को हाल ही में राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
गफूर अहमद-अध्यक्ष, राज्य सलाहकार समिति (श्रम)
चौहटन के पूर्व विधायक अब्दुल हादी के पुत्र गफूर अहमद को चार दिन पहले ही राज्य सलाहकार समिति (श्रम) का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया।
सात बार विधायक रहने के बावजूद स्व. अब्दुल हादी को अपने राजनीतिक जीवन में कभी लालबत्ती का सुख नहीं मिला, लेकिन उसका प्रतिफल उनके पुत्र गफूर अहमद जरूर मिल गया है। हालांकि किसी बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर उनका नाम पिछले तीन वर्ष चर्चा में था, लेकिन नतीजा अब निकला है।
पहले मंत्री गंगाराम चौधरी
वर्ष 1967 में मोहनलाल सुखाडिया के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में बाड़मेर जिले के विधायक गंगाराम चौधरी उपमंत्री बने। वर्ष 1989 में भैरोसिंह शेखावत सरकार में श्रीमती मदनकौर वन राज्यमंत्री व गंगाराम चौधरी राजस्व मंत्री बने। शेखावत के अंतिम कार्यकाल में अमराराम राज्यमंत्री बने, जो वसुंधरा सरकार में भी राज्य मंत्री रहे।
एक सरकार में सात मंत्रालयों का जिम्मा
बाड़मेर जिले के जसोल निवासी जसवंतसिंह केन्द्र सरकार के एक कार्यकाल में छह मंत्रालयों में मंत्री पद का दायित्व संभालने वाली एक मात्र शख्सियत रहे। उन्होंने वित्त, विदेश, रक्षा, कम्पनी मामलात, इलेक्ट्रानिक्स, भूतल परिवहन मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। इसके अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एन डी ए सरकार के समय राजस्थान से राज्यसभा सांसद रहते हुए जसवंत ने ये मंत्री पद संभाले।
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