नई दिल्ली. दफ्तरों में महिलाओं के साथ केवल शारीरिक प्रताडऩा ही नहीं बल्कि बुनियादी सुविधाओं से वंचित करने को भी प्रताडऩा माना जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्री समूह की बैठक में 'प्रोटेक्शन ऑफ वुमन अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट एट वर्क-प्लेस बिल, 2010' को मंजूरी दी गई। समूह ने नए बिल को 'बर्डन ऑफ प्रूफ' की परिधि से बाहर माना है।
अगले हफ्ते इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलने की संभावना है। मंत्री समूह की बैठक में गृह मंत्री के अलावा मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल, महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हुए। मंत्री समूह की बैठक से जुड़े महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दफ्तरों में महिला सहकर्मी को कार्यस्थल पर बैठने के लिए टूटी कुर्सी, खराब पंखा या एसी और अन्य सहकर्मियों से दूर बैठाने को प्रताडऩा की संज्ञा देने का फैसला किया गया है। मंत्री समूह ने माना है कि ऐसे तरीकों से भी महिलाओं का शोषण किया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया कि पी. चिदंबरम समेत सभी मंत्रियों ने इसे नए कानून में शामिल करने पर हामी भर दी है। 'प्रोटेक्शन ऑफ वुमन अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट एट वर्क-प्लेस बिल, 2010' को पिछले हफ्ते कैबिनेट ने मंत्री समूह को भेज दिया था। अधिकारी का कहना है कि कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने नए बिल को कंपनियों के मालिकों पर बेवजह दबाव करार देते हुए विचार के लिए समय मांगा था। मंत्री समूह की बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने साफ किया कि इस बिल को शुरुआती चरण में आपराधिक कानून से दूर रखा गया है। इसीलिए इसे 'बर्डन ऑफ प्रूफ' नहीं माना जा सकता।
नए बिल के प्रावधान: - दफ्तर में महिला सहकर्मी से लेकर घर में साफ-सफाई करने वाली तक होंगी नए बिल की परिधि में - सभी कंपनियों-कारखानों को एक शिकायत विभाग बनाना होगा। शिकायतकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करना कंपनी की जिम्मेदारी। - प्रबंधन को कंपनी की सभी शाखाओं में आंतरिक शिकायत समिति बनाना होगा। जिलाधिकारी को महिलाओं के लिए स्थानीय शिकायत समिति बनाना होगा अनिवार्य - महिलाओं की शिकायत पर कार्रवाई के लिए समितियों को सिविल कोर्ट जैसी होगी शक्ति। दोषी पाने पर 50 हजार तक का जुर्माना।
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