गुरुवार, 17 मई 2012

तस्वीरों में देखें: जोधपुर में ज़मीन ने उगला दो हजार साल पुरानी सभ्यता का खज़ाना!

जोधपुर.शहर से महज 30-40 किलोमीटर दूर स्थित तीन गांवों की जमीन डेढ़ से दो हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के निशान उगल रही है। प्राचीन सभ्यता के प्रमाण धीरे-धीरे जमीन से बाहर निकल रहे हैं। इनमें जैन र्तीथकरों की मूर्तियां, शिलालेख, नर्तकियों की प्रतिमाएं, शिवलिंग, नक्काशीदार लेख, मंदिर व बावड़ी आदि से संबंधित पुरा संपदा शामिल है। ‘दैनिक भास्कर’ की पड़ताल में बावरली, तोलासर और लोरडी गांव में प्राचीन सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। ये तीनों गांव 15 किलोमीटर के दायरे में हैं। यहां आस-पास 200 किलोमीटर के दायरे में पुरा संपदा के भंडार दबे होने की संभावना है। तस्वीरों में देखें: जोधपुर में ज़मीन ने उगला दो हजार साल पुरानी सभ्यता का खज़ाना  तस्वीरों में देखें: जोधपुर में ज़मीन ने उगला दो हजार साल पुरानी सभ्यता का खज़ाना   तस्वीरों में देखें: जोधपुर में ज़मीन ने उगला दो हजार साल पुरानी सभ्यता का खज़ाना तस्वीरों में देखें: जोधपुर में ज़मीन ने उगला दो हजार साल पुरानी सभ्यता का खज़ाना 
चौंकाने वाली बात यह है कि हजारों साल पुरानी संपदा वीरानी में बर्बाद हो रही है। गांव में नाडी के किनारे जैसे-जैसे पानी कम हुआ तो जमीन से ये अवशेष बाहर निकलने लगे। भास्कर टीम ने कंटीली झाड़ियों, तालाब के नीचे मिट्टी से झांकते ये अवशेष देखे। पुरातत्व विभाग के अधीक्षक ने जब अवशेष के फोटो देखे तो वे दंग रह गए।

पहले भी मिले थे अवशेष

पड़ताल में पता चला कि इसी बेल्ट में आगोलाई में करीब ढाई दशक पहले नाडी की खुदाई के दौरान शेष साई विष्णु की विशाल मूर्ति मिली थी। वर्ष 2004 में घंटियाला गांव में कीर्ति स्तंभ व सर्वतोभद्र गणोश की प्राचीन मूर्तियां मिली थी। इसके अलावा एक मंदिर के अवशेष भी मिले थे।

700 साल पुराने गांव

ग्रामीणों की मानें तो यहां के गांव करीब 700 साल पहले बसे थे, जबकि प्राचीन अवशेष डेढ़ से दो हजार साल पुराने हैं। लोरडी , तोलेसर व आगोलाई से एक नदी निकलती थी। पुरातत्व विभाग के अधीक्षक वीरेंद्र कविया भी मानते हैं कि नदी में बाढ़ आने से ही प्राचीन सभ्यता नष्ट हो गई थी। उसी के निशान अब बाहर निकलने लगे हैं।

निशान मिलने के कारण

पुरा विशेषज्ञों की मानें तो जोधपुर के निकटवर्ती गांवों में पुरा संपदा का भंडार है। इसके कुछ खास कारण है। वीरेंद्र कविया का कहना है कि गांव के समीप नदी होने व बाढ़ आने से प्राचीन सभ्यता के निशान बह गए थे, जो अब बाहर निकल रहे हैं। दूसरा कारण मुगल काल के दौरान मूर्तियों व मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए नाडियों व तालाबों में छिपाया गया। पानी सूखने व रेत हटने से वही मूर्तियां बाहर आने लगी हैं। एक कारण यह भी है कि प्राचीन काल में अग्निकांड में भी गांव व मूर्तियां तबाह हुई थीं।

चित्रलिपि है या कुछ और

इन निशानियों में चित्रलिपि जैसा प्रतीक भी मिला है। पुरा विशेषज्ञों का कहना है कि यह चित्रलिपि दो हजार साल पहले पाई जाती थी। बाद में ब्राह्मीलिपि प्रचलन में आई। इसके बारे में रोचक बात यह भी बताई जा रही है कि यह प्राचीन समय में खजाना खोजने के दौरान काम में लिए जाने वाले संकेत भी हो सकते हैं।

दो हजार साल पुराने सिक्के मिले

शोध करने वाले सूर्यवीरसिंह ने बताया कि दो माह पहले लोरड़ी गांव में मकानों की खुदाई के दौरान हजारों साल पुराने सिक्के मिले हैं। इनमें करीब दो हजार साल पुराने तांबे के सिक्के भी हैं। गांव के लोगों का कहना है कि दो लोगों के मकान से कुछ सिक्के मिले थे। एक युवक ने सिक्का भी दिखाया। यह काफी पुराना लग रहा है।

बुद्ध प्रतिमा का भी दावा

'मैं पांच साल से इन क्षेत्रों में रिसर्च कर रहा हूं। इस दौरान पाया कि हजारों साल पुरानी सभ्यता की निशानियां यहां छिपी हैं। यहां के 200 किलोमीटर दायरे में जमीन में पुरा संपदा दबी पड़ी है। इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए।'

सूर्यवीर सिंह राजपुरोहित, युवा शोधार्थी

डेढ़-दो हजार साल पुरानी सभ्यता है

'शिलालेख, मूर्तियों, तालाब व सीढ़ियों के निशान देखने से लगता है कि यहां कम से कम डेढ़ से दो हजार साल पुरानी सभ्यता के निशान दबे हैं। विभाग इन क्षेत्रों का सर्वे कराएगा और पता लगाएगा कि कितनी पुरा संपदा है, ताकि इन्हें सहेज कर रखा जा सके।'

वीरेंद्र कविया, अधीक्षक, पुरातत्व विभाग जोधपुर

सरकार को संरक्षण करना चाहिए

'जोधपुर के आस-पास के गांवों में प्राचीन सभ्यता के भंडार दबे हैं। इंटेक ने कई जगह शोध किए हैं। इसमें खुलासा हुआ है। सरकार को पुरा संपदा को सहेजने के लिए योजना बनानी होगी, वरना यह खजाना यूं ही धूल चाटता रहेगा।'

महेंद्रसिंह नगर, संयोजक, जोधपुर चैप्टर इंटेक

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